इस कंपकंपी में हाथ-पैर ज्यादा बाहर निकालेंगे तो हो सकती है घातक बीमारी, फ्रॉस्ट बाइट से जीवन मुश्किल में, पहाड़ की बर्फ जानलेवा
How to Prevent Forstbite: उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में कड़ाके की ठंड है और कई जगहों पर शीतलहर का प्रकोप है. ऐसे में हर किसी को फ्रॉस्ट बाइट बीमारी के बारे में पता होना चाहिए. फ्रॉस्ट बाइट (Frostbite) एक ऐसी स्थिति है जिसमें अत्यधिक ठंड के कारण स्किन और शरीर के अन्य हिस्सों के टिशूज डैमेज हो जाता है और उन अंगों में सुन्नापन आ जाता है. फ्रॉस्ट बाइट आमतौर पर तब होता है जब शरीर के कुछ हिस्से, जैसे हाथ, पैर, नाक, या कान बहुत अधिक समय तक बर्फीली या अत्यधिक ठंडी स्थिति में रहते हैं. यूं तो फ्रॉस्ट बाइट के अधिकांश मामले बर्फीले वाली जगहों पर होते हैं लेकिन यदि दिल्ली जैसी सर्दी वाली जगहों में भी हाथ-पैर को बहुत देर तक बाहर में रखेंगे या ठंडे पानी में रखेंगे तो फ्रॉस्ट बाइट का हमला हो सकता है. गंभीर हमलों में प्रभावित अंगों के टिशूज पूरी तरह से मर सकते हैं और तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचे तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
क्या होता है फ्रॉस्ट बाइट संत परमानंद अस्पताल दिल्ली में ऑर्थोप्लास्टिक हैंड एंड लिंब रिकंस्ट्रक्शन माइक्रोवस्कुलर सर्जन डॉ.अभिषेक शर्मा कहते हैं कि फ्रॉस्ट बाइट में शरीर का प्रभावित हिस्सा अत्यंत ठंड हो जाती है. उस हिस्से की रक्त वाहिकाएं और नसें बेहद सिकुड़ जाती हैं जिसके कारण वहां तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है. इससे वह हिस्सा जम जाता है और स्थायी रूप से वहां की कोशिकाएं मर जाती है. इससे वह डैमेज हो जाता है. उन्होंने कहा कि फ्रॉस्ट बाइट का हमला उन लोगों पर ज्यादा होता है जिनकी उंगलियां बहुत पतली होती है. जब किसी का अंग बहुत देर तक बेहद ठंड वाली जगहों में बाहर रहता तब उस अंग के साथ तापमान का संतुलन नहीं आ पाता है. इससे उंगलियों में ब्लड सर्कुलेशन एकदम घट जाता है और नसें सिकुड़ने लगती है. इससे वह अंग फ्रीज हो जाता है और काली पड़ने लगता है. फ्रॉस्ट बाइट का हमला तीन स्टेज में हो सकता है. फ्रस्ट डिग्री फ्रॉस्ट बाइट, सेकेंड डिग्री फ्रोस्ट बाइट और थर्ड डिग्री फ्रॉस्ट बाइट. अंतिम स्टेज में व्यक्ति की उंगलियां काली पड़ जाती है. इस स्थित में उंगलियों को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
फ्रॉस्ट बाइट के लक्षणजब किसी पर फ्रॉस्ट बाइट का हमला होता है तो प्रभावित अंगों में स्किन का कलर सफेद या हल्का पीला होने होने लगता है. बीमारी कितनी गंभीर है, इस हिसाब से स्किन का रंग भी कई कलर का हो जाता है. बहुत तेज सर्द लगती है. जिस अंग पर हमला होता है वह बहुत ही हार्ड हो जाता है. ज्वाइंट में ऐंठन होने लगती है. हाथ और पैर की उंगलियों के पोर में सिहरन होने लगेगी. इसके बाद उंगलियां सून होने लगेंगी.गंभीर फ्रॉस्ट बाइट होने पर उंगलियों की स्किन काली पड़ जाएगी और छाले भी पड़ने लगेंगे.
गंभीर स्थिति से कैसे निपटेंअगर हाथ-पैर की उंगलियों में ज्यादा ठंड लग जाए तो तुरंत गर्म वाली जगहों पर जाना चाहिए. कमरे में जाने से लक्षण कम हो जाएंगे. लेकिन साथ ही अपने हाथ-पैर की उंगलियों को गर्म पानी से सिंकाई करें. अगर नाक या मुंह में ऐसा हुआ है तो तुरंत वहां भी गर्म पानी से सिंकाई करें. पानी का तापमान 40 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही उस व्यक्ति को हीटर या अलाव के पास ले जाएं. फिर डॉक्टर से परामर्श लेकर उसे दवा खिलाएं.
किन लोगों को है ज्यादा खतराफ्रॉस्ट बाइट का खतरा डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा है. वहीं जिन लोगों की उंगलियां बहुत पतली होती है, उन्हें भी यह खतरा ज्यादा है. इसलिए बेहतर यही है कि अत्यधिक ठंड में अपने हाथ-पैरों को हमेशा गर्म कपड़े में लपेटे रहें. अक्सर घर की महिलाएं बहुत देर तक सिंक में ठंडे पानी से कुछ न कुछ काम करती रहती है या देर तक ठंडे पानी से बर्तन साफ करती रहती हैं. ऐसी महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए.
पहाड़ पर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरतजो लोग सर्दी के मौसम में पहाड़ पर जाना पसंद करते हैं, उन्हें खास तौर पर फ्रॉस्ट बाइट से सतर्क रहना चाहिए क्योंकि बर्फ में फ्रॉस्ट बाइट का खतरा ज्यादा रहता है. अगर वहां जा रहे हैं तो बर्फ पर अपने हाथ-पैरों में बेहद गर्म कपड़े का इस्तेमाल करें. बिना प्लास्टिक के जूते बर्फ पर न उतरें. बहुत ज्यादा देर बर्फ पर न रहें.
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FIRST PUBLISHED : December 17, 2024, 18:05 IST