क्या है डिंगा डिंगा? वो बीमारी जिससे लोग सचमुच में हिल गए, किस देश में पसार रही पैर
What is ‘Dinga Dinga’: कोरोना महामारी के बाद अगर कोई रहस्यमयी बीमारी के बारे में सुनता है तो चिंतित होना स्वाभाविक है. इसी तरह ‘डिंगा डिंगा’ नाम की एक रहस्यमयी बीमारी चिंता का विषय बनी हुई है. यह बीमारी अफ्रीका के युगांडा में सामने आई है और रहस्यमयी होने बीमारी के कारण चर्चा में है. ‘डिंगा डिंगा’ का अर्थ है ‘नाचने जैसा हिलना.’ यह रहस्यमयी बीमारी मुख्य रूप से युगांडा के बुंदीबुग्यो जिले की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है. जिससे उनके शरीर में अनियंत्रित कंपन और चलने में कठिनाई हो रही है.
इससे सैकड़ों लोग, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं, सचमुच हिल गए हैं. हालांकि इससे अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह रोग अफ्रीकी देश में तेजी से फैल रहा है और स्वास्थ्य अधिकारी इसके कारण का पता लगाने के लिए प्रयासरत हैं.
ये भी पढ़ें- कौन था 1998 कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बाशा, क्यों एलके आडवाणी को बनाना चाहता था निशाना
क्या हैं डिंगा-डिंगा के लक्षणफर्स्टपोस्ट इंग्लिश की एक रिपोर्ट के अनुसार युगांडा के बुंदीबुग्यो जिले में पहली बार सामने आई इस विचित्र बीमारी के कई प्रकार के परेशान करने वाले लक्षण हैं. जिनमें सबसे उल्लेखनीय है नृत्य जैसी हरकतों के साथ शरीर का अत्यधिक हिलना. इसके साथ ही, पीड़ितों को तेज बुखार, अत्यधिक कमजोरी और कुछ मामलों में लकवाग्रस्त होने का अहसास भी होता है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रभावित लोगों के लिए चलना लगभग असंभव हो जाता है. क्योंकि अनियंत्रित कंपन के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है.
ये भी पढ़ें- Explainer: 2 बार लोकसभा चुनाव हारे बीआर अंबेडकर, क्या इसके लिए कांग्रेस थी जिम्मेदार?
पीड़ित ने क्या कहा बीमारी को लेकरएक मरीज, पेशेंस कटुसिमे ने बीमारी से संबंधित अपना निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे लकवाग्रस्त होने के बावजूद उसका शरीर अनियंत्रित रूप से कांपता रहता था. 18 वर्षीय युवक ने युगांडा के अखबार मॉनिटर को बताया, “मुझे कमजोरी महसूस हुई और लकवा मार गया. जब भी मैं चलने की कोशिश करता, मेरा शरीर अनियंत्रित रूप से हिलने लगता.” उन्होंने कहा, “यह बहुत परेशान करने वाला था. मुझे इलाज के लिए बुंडिबुग्यो अस्पताल ले जाया गया और भगवान का शुक्र है कि अब मैं ठीक हूं.”
ये भी पढ़ें- कभी सब्जी बेची तो कभी बाहुबली बने, रुतबा ऐसा कि 2 बार डिप्टी सीएम रहे, OBC का वह चेहरा जिसके गुरु हैं शरद पवार
300 मामले आए हैं सामनेअब तक, इस बीमारी की पुष्टि केवल बुंडिबुग्यो में हुई है, जहां लगभग 300 मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि किसी की मृत्यु की जानकारी नहीं है. 2023 की शुरुआत में पहली बार पता चली यह बीमारी अभी भी जांच के दायरे में है. स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं इसके कारण का पता लगाने के लिए काम कर रही हैं. आगे के एनालिसिस के लिए नमूने युगांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए हैं.
यह प्रकोप युगांडा और अन्य पूर्वी अफ्रीकी देशों में एमपॉक्स के एक नए प्रकार की रिपोर्ट के कुछ ही महीनों बाद हुआ है. जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अत्यंत घातक क्लेड 1बी वैरिएंट को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है. यह स्ट्रेन तब से अन्य महाद्वीपों तक पहुंच चुका है, और यूरोप और एशिया के कई देशों में इसके मामले पाए गए हैं.
ये भी पढ़ें- Explainer: एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी मिलने के बाद क्या बदलेगा? समझें पूरा प्रोसेस
क्या है डिंगा डिंगा का इलाजजिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कियिता क्रिस्टोफर ने बताया कि डिंगा डिंगा का आमतौर पर सामुदायिक स्वास्थ्य टीमों द्वारा उपलब्ध करायी गई एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज संभव है. हालांकि कुछ मरीज़ अपने लक्षणों को कम करने के लिए हर्बल इलाज का सहारा ले रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी इस बात को मजबूती से हतोत्साहित करते हैं. डॉ. क्रिस्टोफर ने कहा, “इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि हर्बल दवा से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है. हम खास दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं, और मरीज आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं.”
ये भी पढ़ें- भारत के पहले मुस्लिम CJI जो 2 बार रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति, पूर्व पीएम थे उनके स्टूडेंट
कांगो में भी रहस्यमय बीमारीएक ओर युगांडा ‘डिंगा डिंगा’ से जूझ रहा है तो उसका पड़ोसी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी), एक अन्य रहस्यमय बीमारी से जूझ रहा है. जिसे अफ्रीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने ‘बीमारी एक्स’ के रूप में संदर्भित किया है. अक्टूबर के अंत से क्वांगो के एक प्रांत पांजी में स्वास्थ्य विभाग ने अज्ञात बीमारी के 406 मामलों की सूचना दी है. दुखद बात यह है कि अधिकारियों ने कम से कम 79 मौतों की पुष्टि की है, जिनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, शरीर में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और नाक बहना शामिल हैं. अधिक गंभीर मामले कुपोषण और एनीमिया से जुड़े होते हैं.
Tags: Health News, International news
FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 18:33 IST