Ajmer Dargah : अजमेर दरगाह में शिव मंदिर है या नहीं? हर पक्ष देगा कोर्ट को अहम जवाब, सुनवाई पर सभी की नजरें
अजमेर. राजस्थान के अजमेर की प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर के दावे वाली विष्णु गुप्ता की याचिका पर शुक्रवार को अजमेर की सिविल कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में तीन पक्षकार अजमेर दरगाह कमेटी अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोर्ट के नोटिस पर अपना जवाब दाखिल करेंगे. 27 नवंबर को प्रार्थी हिंदुसेना के विष्णु गुप्ता की याचिका स्वीकार कर इन तीन पक्षकारों को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर को जवाब मांगा था.
याचिका में विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह के तहखाने में शिव मंदिर है. इसका आधार गिनाया हर विलास शारदा की 1911 में लिखी पुस्तक अजमेर हिस्टोरिकल और डिस्करेप्टिव में है. इस पुस्तक में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से एक अध्याय है. 168 पेज की इस किताब में पेज नंबर 93 पर लिखा है कि दरगाह के बुलंद दरवाजे की उतरी तरफ तीसरी मंजिल पर एक छतरी बनी है, ये किसी हिंदू इमारत के हिस्से से बनी है. छतरी के नीचे नक्काशी है जिस पर पुताई कर दी.
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पेज नंबर 94 पर लिखा है कि छतरी में लाल रंग का बलुआ पत्थर लगा है वो किसी जैन मंदिर का है. पेज नंबर 96 पर लिखा है कि दरगाह में बुलंद दरवाजे और आंगन के नीचे हिंदू मंदिर के तहखाने है इन्हें देखकर लगता है कि मुस्लिम शासकों ने दरगाह को पुराने हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया था. पेज नंबर 97 पर लिखा है कि हिंदु परंपरा के मुताबिक, तहखाने में महादेव की छवि है जिस पर एक ब्राह्मण परिवार रोजाना चंदन जलाता है, अब इसे दरगाह के घड़ियाली यानी घंटी बजाने वाले के रुप में जाना जाता है.
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याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने याचिका में दावा किया कि दो साल तक उसने रिसर्च की खुद दरगाह में गया और पाया कि 1 बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदु मंदिरों के दरवाजे जैसी नक्काशी भी हिंदु मंदिरों के दरवाजे जैसी, वहीं दरगाह की उपरी संरचना हिंदु मंदिर जैसी है. गुंबद देखकर लगता है कि हिंदु मंदिर को तोड़कर बनाया गया. जहां शिव मंदिर होते हैं वहां पानी और झरने होते हैं. दरगाह में भी पानी और झरने है. गुप्ता ने याचिका में कहा कि अजमेर का हर शख्स जानता है और कहता है कि दरगाह में नीचे शिव मंदिर था.
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FIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 10:16 IST