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Stress Due To Social Site – Body and soul: सोशल नेटवर्किंग साइट के चलते बढ़ता तनाव

हाल के दिनों में ऐसे भी कई मामले सामने आये हैं, जिसमें इन्‍हीं साइट्स की वजह से संबंधों में दरार पड़ गयी। इनका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी बहुत गहरा रहता है। हर कोई आपसे बेहतर और अच्छे स्वभाव से बरताओ करे यह भी संभव नहीं है।

नई दिल्ली। 2005 में जब फेसबुक पहली बार आयी थी तो यह पहली बार नहीं था की दोस्तों से जुड़े रहने का माध्यम मिला था। इससे पहले भी माय स्पेस, याहू फ्रेंड जैसे कुछ वेबसाइट इस काम के लिए थे। इन वेबसाइट में एक बड़ा अंतर यह था की इनमें कॉलेज के बच्चों की रूचि अधिक नहीं बन पाई। इन वेबसाइट में एक बड़ा अंतर यह था की इनमें कॉलेज के बच्चों की रूचि अधिक नहीं बन पाई। पूर्व में रहे इन सुविधा की कोई बड़ी उम्र भी नहीं रह पाई जिस कारण से इनके बिजनेस माडल भी नहीं देखे गए। फेसबुक के बाद इन सोशल मीडिया ने अपने असली रंग दिखलायी। इन्होंने बिजनेस माडल अपना बनाया आपको। लोगों को अधिक से अधिक समय इन्ही प्लेटफार्म पर बिताने के लिए मजबूर किया गया। इनका सबसे आसान तरीका यह हुआ की आपके गुस्से को ट्रिगर की जाये। इन प्लेटफार्म के हाथ मे जो एक बड़ी ताकत रही वह ये है की आपको क्या दिखाई जाये।

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इन चक्करों में आपकी भावना को बहुत भीतर तक कस्ट हो सकता है। इन सब से अडिकशन जैसे लक्षण बहुत आम है। सोशल साइट्स लोगों को सामाजिक तौर पर जोड़ती हैं, इससे आप दूर रहकर अपने करीबी लोगों और दोस्‍तों से जुडते हैं। इस पर नये रिश्‍ते बनते हैं और रिश्‍ते टूटते भी है। यदि आप किसी के राजनीतिक या आम राय से सहमति नहीं रखते है यह आपको उनसे नफरत करने के लिए भी प्रेरित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब सोशल मीडिया और सोशल लाइफ आपस में टकराते हैं तो इससे नुकसान केवल सोशल लाइफ को ही होता है और इस‍का असर आपकी संबंधों पर पड़ता है।

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