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प्रिंस करीम आगा खान: इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता

Last Updated:February 05, 2025, 12:51 IST

Aga Khan IV Passed Away: प्रिंस करीम आगा खान चतुर्थ का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. वह पैगंबर मोहम्मद के वंशज थे. करीम आगा खान 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता बने. उन्होंने लोक कल्या…और पढ़ेंकरीम आगा खान नहीं रहे, थे पैगंबर के वंशज, 20 साल की उम्र में बने धार्मिक नेता

प्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ ने 88 साल की उम्र में लिस्बन में अंतिम सांस ली.

हाइलाइट्स

प्रिंस करीम आगा खान चतुर्थ का 88 वर्ष की आयु में निधन20 साल की उम्र में बने थे इस्माइली मुसलमानों के नेताआगा खान ने लोक कल्याण के लिए समर्पित किया पूरा जीवन

Aga Khan IV Passed Away: प्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ का निधन हो गया. वह दुनिया भर में फैले लाखों शिया इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता थे. मंगलवार को 88 साल की उम्र में लिस्बन (पुर्तगाल) में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह महज 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के 49वें इमाम और आध्यात्मिक नेता बनाए गए थे. उन्होंने अपना सारा जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने इस्माइली मुसलमानों का आध्यात्मिक नेतृत्व करने के साथ ही अरबों डॉलर की मदद से विकासशील देशों में घरों, अस्पतालों और स्कूलों का निर्माण जैसे लोककल्याणकारी कामों के साथ एक अलग पहचान भी बनाई. 

पैगंबर मोहम्मद साहब के वंशजप्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ के परिवार को इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है. वह पैगंबर मुहम्मद की बेटी हजरत बीबी फातिमा और पैगंबर के चचेरे भाई और दामाद हजरत अली, इस्लाम के चौथे खलीफा और पहले शिया इमाम के वंशज थे. वह प्रिंस अली खान के सबसे बड़े बेटे और दिवंगत सर सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान तृतीय के पोते और इमाम के पद के उत्तराधिकारी थे.

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कम उम्र में बने आध्यात्मिक नेताप्रिंस करीम आगा खान उस समय केवल 20 साल के थे जब उनके दादा ने 1957 में अपने बेटे अली खान को दरकिनार करते हुए उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना. उन्हें आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए नॉमिनेट करते हुए कहा गया कि यह जिम्मेदारी एक ऐसे युवा व्यक्ति को दी जानी चाहिए, जो नए विचारों के बीच पला-बढ़ा हो. प्रिंस करीम आगा खान को जब आध्यात्मिक नेतृत्व सौंपा गया तो उस समय उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था.

समुदाय के लिए समर्पित जीवनप्रिंस करीम आगा खान चतुर्थ ने अपने पूरे जीवन में इस बात पर जोर दिया कि इस्लाम एक विचारशील, आध्यात्मिक विश्वास है जो करुणा और सहिष्णुता सिखाता है और मानव जाति की गरिमा को बनाए रखता है. उन्होंने अपना जीवन अपने समुदाय और उन देशों के लोगों की जीवन स्थिति में सुधार करने के लिए समर्पित कर दिया, जिनमें वे रहते हैं, चाहे उनकी जाति, लिंग, जातीयता या धर्म कुछ भी हो.

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प्रिंस आगा खान चतुर्थ ने आगा खान विकास नेटवर्क की स्थापना की. इस नेटवर्क के जरिये 96000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है. आगा खान विकास नेटवर्क स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आवास और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है. उनका काम कई देशों में फैला है, जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और ताजिकिस्तान समेत कई देश शामिल हैं. 

25 देशों में फैला है इस्माइली समुदायइस्माइली मुस्लिम समुदाय के लोग 25 से अधिक अलग-अलग देशों में रहते हैं. ये मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं.  इस्माइली मुसलमान सबसे पहले 950 साल पहले अफगानिस्तान के खैबर प्रांत से सिंध प्रांत आए और फिर भारत पहुंचे. इस वक्त पूरी दुनिया में इस्माइली मुस्लिम समुदाय के लोगों की जनसंख्या 1.5 करोड़ के करीब है. इस्माइली मुस्लिम समुदाय के लोग मुसलमानों के अन्य संप्रदायों से अलग हैं. 

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ना रोजा रखते हैं, ना हज पर जाते हैंइस्माइली मुसलमान को अलग-अलग नामों से जानते है. इन्हें खोजा मुस्लिम, आगाखानी मुस्लिम और निजारी मुस्लिम भी कहते हैं. ये दिन भर में पांच बार नमाज नहीं पढ़ते हैं. इस्माइली मुसलमान जहां इबादत करते हैं उसे जमातखाना कहा जाता है. जहां पर महिलाएं भी पुरुषों के साथ मिलकर इबादत करती है. इस्माइली मुसलमान रमजान के दौरान पूरे महीने रोजा नहीं रखते हैं. इनका मानना है कि हर दिन खुदा का होता. ये हज पर भी नहीं जाते हैं. इस्माइली मुसलमान राजनीतिक विवादों से खुद को दूर रखते हैं.


Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 05, 2025, 12:38 IST

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करीम आगा खान नहीं रहे, थे पैगंबर के वंशज, 20 साल की उम्र में बने धार्मिक नेता

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