जब एक दुल्हन के लिए आईं दो बारात, तो शादी के लिए मच गया खून-खराबा, फिर…कुन्जल माता की रहस्यमयी कहानी

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 13, 2025, 12:58 IST
नागौर जिले के डेह ग्राम में स्थित कुन्जल माता का मंदिर चमत्कारी और अनोखा है. यहां साल भर भक्तों की भीड़ रहती है. कुन्जल माता कई समाजों की कुलदेवी हैं और नवरात्रि पर भव्य आयोजन होते हैं.X
कुंजल माता मंदिर मेड़ता नागौर
हाइलाइट्स
कुन्जल माता का मंदिर नागौर जिले के डेह ग्राम में स्थित है.माता की शादी में दो बारातें आईं, खून खराबे से बचने देवी पृथ्वी में समा गईं.कुन्जल माता कई समाजों की कुलदेवी हैं, नवरात्रि पर भव्य आयोजन होते हैं.
नागौर:- राजस्थान का नागौर जिला मंदिर और पशुपालन के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर बहुत बड़े भू-भाग में किसान खेती भी करते हैं. नागौर जिले में राजस्थान के अनेकों लोकदेवताओं के मंदिर भी बने हुए हैं. यहां पर ऐसे भी अनेकों मंदिर हैं, जहां पर राजस्थान भर से भक्त आते हैं. ऐसा ही एक बहुत चमत्कारी और अनोखा मंदिर नागौर जिले में जायल तहसील के डेह ग्राम स्थिर है. यह मंदिर शक्ति का अवतार कुन्जल माता का है. साल भर यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है. इस मंदिर में कई बड़े आयोजन भी होते हैं, जिनमें अन्य राज्यों से भी भक्त आते हैं. कुन्जल माता का यह मंदिर नागौर से 21 किमी. दूर नागौर-लाडनू- सुजानगढ़ मार्ग पर स्थित है.
स्वयं प्रकट हुई थी देवी कुंजल युवा मंडल सेवा समिति के अध्यक्ष मूलाराम फरड़ौदा ने लोकल 18 को बताया कि डेह गांव को प्राचीन समय में चांपावत नगरी के नाम से जाना जाता था. कुन्जल माता यहां पर अपने परिवार के साथ रहती थी. जब माता की शादी होने वाली थी, तो उन्हें ब्याहने (शादी करने के लिए) दो बारातें आ गई. खून खराबे की आशंका से देवी पृथ्वी में समां गई. भाई ने उसे रोकने का प्रयत्न किया, लेकिन हाथ में केवल चुनरी का पल्ला रह गया. वह दोनों परिवारों के बीच होने वाली लड़ाई को रोकना चाहती थी, जिस कारण उन्होंने ऐसा किया. तब से लोग कुन्जल माता की क्षेत्र में पूजा कर रहे हैं. इसके बाद संवत् 1089 से माता की पूजा की जाने लगी.
महाराज ने तपस्या की थी तपस्या कुंजल युवा मंडल सेवा समिति के अध्यक्ष मूलाराम फरड़ौदा ने बताया कि पहले माताजी की प्रतिमा वाली जगह पर केवल एक चबूतरा था. यहां चुना नाथ जी महाराज ने तपस्या की थी. कालान्तर में यहां लाम्बिया के भंवरलाल पुरोहित को आए दिव्य सपने के बाद उन्होंने मन्दिर का निर्माण करवाया. अभी भीही यहां 33 बीघा भूमि पर 50 कमरों की धर्मशाला ओर 2000 के जागरण का विशालकाय मंडप, शिव मंदिर, मनमोहक हरियाली, बड़े हॉल आदि शानदार निर्माण के अलावा अभी यज्ञ शाला का निर्माण हो रहा है.
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इनकी हैं कुलदेवी कुन्जल माता मंदिर को पवित्र माना जाता है. मंदिर पुजारी ने Local 18 को बताया कि कुन्जल माता पारीक, जोशी, लापस्यास, बुधानियो और कई समाजों की कुलदेवी के रूप में पूजती हैं. मंदिर में नवरात्रि के दौरान भव्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है. दशहरे पर लोगों द्वारा डांडिया का भी आयोजन किया जाता है.
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
February 13, 2025, 12:58 IST
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जब एक दुल्हन के लिए आईं दो बारात, तो शादी के लिए मच गया खून-खराबा, फिर
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