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व्हीलचेयर पर बैठ देखें बड़े सपने, बेटे ने कराई प्रैक्टिस, जुबेर खां ने दिव्यांगता की बेड़ियां तोड़ पाया मुकाम

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 19, 2025, 16:02 IST

राजस्थान के जुबेर खान ने दिव्यांगता के बावजूद नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट में अलवर का नाम रोशन किया. बेटे उमर ने प्रैक्टिस में मदद की, आर्थिक तंगी के बावजूद जुबेर ने अपने सपने को पूरा किया.X
अभ्यास
अभ्यास करते हुए जुबेर खान 

हाइलाइट्स

जुबेर खां ने दिव्यांगता को हराकर सपना पूरा किया.बेटे उमर ने जुबेर की प्रैक्टिस में मदद की.जुबेर ने नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट में नाम कमाया.

आसिफ खान/अलवर. एक दिव्यांग व्यक्ति के लिए क्रिकेट मैच खेलकर जिले का नाम रोशन करना आसान नहीं है, लेकिन लगन, मेहनत और आत्मविश्वास से हर काम संभव है. अलवर के किशनगढ़ बास के छोटे से गांव बगथला के रहने वाले जुबेर खां ने अपनी सफलता की कहानी लोकल 18 की टीम के साथ साझा की.

राजस्थान वीलचेयर ऑलराउंडर क्रिकेट खिलाड़ी जुबेर ख़ान को बचपन से क्रिकेट खेलने का शौक था, लेकिन दिव्यांगता के कारण वह खेल नहीं सकते थे. उन्होंने बताया कि जब भी भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होता, तो टीवी पर मैच देखकर मन में सोचते कि काश वह भी क्रिकेट खेल पाते और मैदान में जमकर चौके-छक्के लगाते. लेकिन, जुबेर ने ठान लिया था कि वह अपने सपने को जरूर पूरा करेंगे. अब उन्होंने दिव्यांगता की बेड़ियां तोड़कर नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट में अपना खास मुकाम बनाया है.

बेटे उमर ने कराई प्रैक्टिस जब गांव में बच्चे क्रिकेट खेलते थे, तो जुबेर भी उनके साथ खेलने जाते थे, लेकिन दिव्यांग होने के कारण बच्चे उन्हें खेलने नहीं देते थे. क्रिकेट खेलने के सपने को पूरा करने के लिए जुबेर के 10 साल के बेटे उमर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उमर ने अपने पिता के साथ क्रिकेट खेलने में खूब सहयोग किया. उन्होंने घर पर नेट लगाकर खुद बॉलर बनकर पिता के लिए बॉलिंग की और उन्हें बल्लेबाजी का अभ्यास कराया. पिता की कामयाबी के लिए उमर ने पिता की व्हीलचेयर को संभालकर खूब अभ्यास कराया. इसी का नतीजा रहा कि जुबेर ने नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता में अलवर का नाम देश भर में रोशन किया. वह नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता में राजस्थान की ओर से खेल रहे हैं.

पैसों की बहुत तंगी…जुबेर ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर और रोजगार का कोई साधन नहीं होने के कारण वह क्रिकेट अकादमी ज्वाइन नहीं कर पाए. परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. दिव्यांग पेंशन के अलावा पत्नी सिलाई का काम कर थोड़ा बहुत कमाती है. इसी से परिवार का गुजर-बसर हो पाता है.


Location :

Alwar,Rajasthan

First Published :

February 19, 2025, 16:02 IST

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जानिए अलवर के जुबेर खां की कहानी, जिन्होंने दिव्यांगता को हराकर अपना सपना किया सच

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