Rajasthan

Aashapura Mata in child form Becoming little girl showers blessings on devotees

Last Updated:March 10, 2025, 13:34 IST

बीकानेर में रम्मत से पहले आधी रात को बाल स्वरूप में आशापुरा माता के दर्शन के लिए पूरा शहर उमड़ता है. रम्मत को लेकर बिस्सा चौक को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और चौक में मेले सा माहौल रहता है. इस दौरान घरों की छत…और पढ़ेंX
बिस्सो
बिस्सो के चौक में होने वाली रम्मत की

हाइलाइट्स

बीकानेर में 200-300 साल पुरानी रम्मत परंपरा है.रम्मत से पहले बाल स्वरूप में आशापुरा माता के दर्शन होते हैं.हजारों लोग माता के दर्शन के लिए रात 12 बजे इकट्ठे होते हैं.

बीकानेर:- बीकानेर अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां एक ऐसी रम्मत होती है कि जिससे पहले ही हजारों लोग यहां इकट्ठे हो जाते हैं. इस रम्मत से पहले यहां के लोग माता आशापुरा को मनाते हैं. हम बात कर रहे हैं बिस्सो के चौक में होने वाली रम्मत की. यहां रम्मत से पहले आधी रात को बाल स्वरूप में आशापुरा माता के दर्शन के लिए पूरा शहर उमड़ता है. रम्मत को लेकर बिस्सा चौक को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और चौक में मेले सा माहौल रहता है. इस दौरान घरों की छतों पर महिलाओं का जमावड़ा रहता है.

200 से 300 साल पुरानी परंपरारम्मत से जुड़े इंद्र कुमार बिस्सा ने लोकल 18 को बताया कि बिस्सो का चौक में होने वाली रम्मत पंरपरा 200 से 300 साल पुरानी है. एक साल भक्त पूरणमल की रम्मत होती है, तो दूसरे साल नौटंकी शहजादी की रम्मत होती है. यहां रम्मत रात 1 बजे से लेकर सुबह 10 बजे तक यानी 9 घंटे चलती है. मान्यता है कि रम्मत से पहले देवी आशापुरा को मनाया जाता है और वे यहां दर्शन देने के लिए आती हैं.

इस दौरान बाल स्वरूप में देवी एक घंटे तक शहर के सभी लोगों को अपना दर्शन देती हैं. इस दौरान लोग माता के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं और प्रसाद चढ़ाकर साड़ी भी उड़ाते हैं. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां आशापुरा माता का आगमन रात 12 बजे होता है और 1 बजे तक सभी को दर्शन देती हैं.

मंत्रोच्चार से पैर के अंगूठे की पूजा आशापुरा माता बाल स्वरूप का चयन भी कई तरह से होता है. इनमें बच्चे की उम्र 10 से 12 साल होती है. बच्चा खूबसूरत और अच्छा दिखता हो. इस दौरान बच्चे को सोने के गहने भी पहनाए जाते हैं, जिससे बच्चा अच्छे से संभाल सके और उसका वजन उठा सके. इस दौरान गले में गलपटिया, बाजूबंद, कमरबंद, चंद्रहार भी होता है. इसके अलावा हाथ में भी गहने पहने जाते हैं. यहां बाल स्वरूप का वैदिक मंत्रोच्चार से पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. यहां के लोगों की मान्यता है कि एक घंटे के लिए बच्चे में आशापुरा माता आती हैं और जो भी भक्त अपनी कोई मनोकामना मांगते हैं, वो जरूर पूरी होती है.

इस दौरान लोगों की इस बाल स्वरूप के पैर छूने के लिए होड़ लगी रहती है. गायकों और श्रद्धालुओं ने ‘बनो सहायक छन्द बनाने में करो आशापुरा आनंद शहर बिकाणे में’ स्तुति के साथ आराधना की. मां आशापुरा से शहर में सुख-शांति की कामना की. इंद्र कुमार Local 18 को बताते है कि इन बाल स्वरूप के लिए बच्चों का चयन होता है, जिसमें 4 से 5 बच्चे आते है. इन बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर लेते हैं, फिर इनमें से एक का चयन किया जाता है.


Location :

Bikaner,Rajasthan

First Published :

March 10, 2025, 13:34 IST

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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