स्विट्जरलैंड से भरतपुर तक: स्वरन सिंह की मार्मिक कहानी

Last Updated:April 21, 2025, 17:52 IST
Bharatpur News: भरतपुर के ‘अपना घर आश्रम’ से एक ऐसी भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है. जिससे सुनकर दिल धड़क जाएगा. पंजाब के रहने वाले स्वरन सिंह अपने परिवार से 20 साल मिले. बिछड़ने की दर्दनाक दास्तां ने सभी को…और पढ़ेंX
अपने परिवार से मिले स्वरन सिंह
हाइलाइट्स
20 साल बाद स्वरन सिंह का परिवार से मिलन भावुक कर देने वाला रहा.मानसिक संतुलन खोकर भटके स्वरन सिंह को अपना घर आश्रम में मिला परिवार.आश्रम की सेवा और देखभाल से स्वरन सिंह की याददाश्त लौटी.
भरतपुर. भरतपुर के ‘अपना घर आश्रम’ में एक युवक की मार्मिक कहानी सामने आई है. स्विट्जरलैंड में होटल में काम करने वाला स्वरन सिंह मानसिक संतुलन खो बैठा और अपने वतन में भटकते हुए परिवार से बिछड़ गया. यह कहानी पंजाब के कपूरथला जिले के लोधी वाल गांव निवासी स्वरन सिंह की है, जिनके बिछड़ने की दर्दनाक दास्तान ने सभी को भावुक कर दिया.
स्वरन सिंह ने ग्रेजुएशन के बाद स्विट्जरलैंड में होटल में नौकरी शुरू की. कुछ साल बाद भारत लौटने पर वह अचानक मानसिक अस्वस्थता का शिकार हो गया और घर से निकल गया. परिजनों ने उसे हर स्थान पर तलाशा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. इस सदमे में उनकी मां महेंद्र कौर और पिता तेजा सिंह दुनिया छोड़ गए. फिर भी, परिवार ने उम्मीद नहीं छोड़ी और स्वरन की तलाश जारी रखी.
6 महीने बाद लौटी याददाश्तइसके बाद 18 अगस्त 2024 को स्वरन सिंह को भरतपुर के फुलवाड़ा गांव से बेहद खराब मानसिक और शारीरिक स्थिति में अपना घर आश्रम लाया गया, जिसके न बाल कटे थे न सफाई थी और न ही अपना नाम बता पा रहा था. इसलिए आश्रम ने उन्हें अस्थायी नाम महेन्द्र प्रभुजी दिया. छह महीने की सेवा, इलाज और देखभाल के बाद धीरे-धीरे उनकी याददाश्त लौटने लगी और उन्होंने अपना असली नाम और अपने गांव का नाम बताया.
20 साल बाद परिवार से हुई मुलाकातइसके बाद अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम और चंडीगढ़ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुभाष शर्मा ने मिलकर उनके परिवार को खोज निकाला और 18 अप्रैल 2025 को स्वरन सिंह के चाचा बलवीर सिंह, भाभी नरिंदर कौर और भतीजे अनमोल, अमरजीत व करमबीर आश्रम पहुंचे और स्वरन सिंह को देखते ही परिवार की आंखों से आंसू निकल गए. 20 साल की दूरी ने सभी को भावुक कर दिया. परिजनों ने अपना घर आश्रम का धन्यवाद करते हुए कहा कि यहां बिना किसी स्वार्थ के सेवा होती है. वाहेगुरु का शुक्र है कि हमारा बेटा हमें मिल गया. आश्रम की प्रक्रिया पूरी कर स्वरन सिंह अब अपने घर लोधी वाल पंजाब चला गया.
Location :
Bharatpur,Bharatpur,Rajasthan
First Published :
April 21, 2025, 17:52 IST
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20 साल बाद अपनों से मिले स्वरन सिंह, दर्दनाक है बिछड़ने की दास्तां…