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Farming Tips: जुताई से कीट और खरपतवार होते हैं नष्ट, गर्मी के सीजन में जुताई से पहले इन बातों का रखें ध्यान, होगी बंपर पैदावार

भीलवाड़ा. गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और इस समय किसानों के लिए खेतों की जुताई करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। गर्मी में खेत की जुताई करने से कई फायदे होते हैं. जुताई का मतलब है मिट्टी को पलट देना ताकि ऊपर की मिट्टी नीचे और नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाए. फसल कटाई के बाद जुताई करना सबसे अच्छा होता है क्योंकि इस समय खेत में नमी होती है, जिससे जुताई आसानी से हो जाती है. अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो 15-20 दिन बाद भी जुताई की जा सकती है. इससे मिट्टी में सूर्य की रोशनी और हवा पहुंचती है, जिससे खरपतवार और कीड़े-मकोड़े नष्ट हो जाते हैं.

फसल कटाई के बाद खरीफ फसल की तैयारीकृषि विभाग के कृषि एवं परियोजना निदेशक आत्मा डॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि फसल कटाई के बाद किसान खरीफ की फसल की तैयारी में जुट जाते हैं. सबसे पहले खेत की जुताई की जाती है. गर्मी की जुताई डीस फ्लो या मोर फ्लोर से करनी चाहिए, जिससे जमीन अंदर तक ठीक हो सके और फसल में कीड़े न लगें. मानसून में बारिश होने पर खेत का पानी खेत में ही रहता है.

जुताई से होता है कीट नियंत्रण कई कीट जैसे टिड्डी अपने अंडे मिट्टी में कुछ सेंटीमीटर भीतर देती हैं, जो पहली बारिश के बाद बाहर निकलते हैं. गर्मियों में जुताई करने से ये अंडे सतह पर आ जाते हैं और पक्षियों द्वारा नष्ट हो जाते हैं या सूर्य की रोशनी से मर जाते हैं. भूमि जनित कवक भी अधिक तापमान के कारण नष्ट हो जाते हैं.

ग्रीष्मकालीन जुताई का तरीकागर्मियों में 15 सेंटीमीटर गहरी जुताई करना लाभकारी होता है. अगर ढलान पूरब से पश्चिम की ओर हो, तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर करनी चाहिए. अगर ढलान हो, तो मिट्टी का बहाव रोकने के लिए विपरीत दिशा में जुताई करनी चाहिए.  ट्रैक्टर से चलने वाले तवेदार और मोल्ड बोर्ड हल का प्रयोग ग्रीष्म ऋतु के लिए उपयुक्त है. पौधों की पत्तियां और डंठल जो समय पर जुताई न करने से उड़कर खेत के बाहर चले जाते हैं, ऐसे खेतों में ग्रीष्मकालीन जुताई और भी लाभकारी होती है.  तवेदार हल के प्रयोग से फसल के डंठल कटकर छोटे हो जाते हैं और भूमि में जीवाष्ठम की मात्रा बढ़ती है.

हर 5 साल में चीजल फ्लो करना जरूरीडॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने कहा कि किसानों को हर 5 साल में अपने खेत की चीजल फ्लो जुताई करनी चाहिए, जिससे खेतों में गहरी और अंदर तक पानी पहुंच सके और फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिले.

उपयुक्त यंत्र का चुनावखेतों में गर्मियों की जुताई मुख्यत: तीन प्रकार से की जा सकती है- बाहर से भीतर, भीतर से बाहर, और चक्का रदार. कौन-सी विधि अपनाई जाए, यह खेत की लंबाई-चौड़ाई, ऊंचाई-निचाई, हलों के प्रकार, मिट्टी की गुणवत्ता और जोतने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है. बाहर से भीतर की जुताई में जब एक बार जुताई समाप्त हो जाए, तो दूसरी हलाई काटकर जुताई शुरू करें.

मिट्टी पलटने वाले हल से लगातार जुताई न करेंइसमें ध्यान रखना जरूरी है कि मिट्टी पलटने वाले हल से लगातार जुताई न करें. अगर चक्का रवार जुताई करनी है, तो टर्नरिस्ट हल से जुताई करना उपयुक्त है, क्योंकि इससे भूमि की समतलता बिगड़ने का कम खतरा होता है. जलवायु और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार मिट्टी पलटने वाले हल का प्रयोग करें. गर्मियों में खेत की जुताई के साथ-साथ किसानों को बरसात शुरू होने से पहले ही सिंचाई और जल निकास नालियों को उचित स्थान पर बना लेना चाहिए.

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