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IFS officer success story know here

Last Updated:April 20, 2025, 13:08 IST

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर को दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका के देश मलावी में भारत का हाई कमिश्नर नियुक्त किया गया है. वर्तमान में वह रोम में मिशन के डिप्टी चीफ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.X
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भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर

हाइलाइट्स

अमराराम गुर्जर बने मलावी में भारत के हाई कमिश्नर.संघर्ष और मेहनत से पाई यूपीएससी में सफलता.पाली जिले के छोटे से गांव से निकले आईएफएस अधिकारी.

पाली:- ‘कौन कहता है कि आसमां में छेद हो नहीं सकते, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ यह कहावट सटीक बैठती है. राजस्थान के एक छोटे से गांव में अमराराम गुर्जर का जन्म पाली जिले में आने वाले सोजत के छोटे से गांव ढूंढा लांबोड़ी गांव में हुआ. किसे पता था कि छोटे से इस गांव को पहचान दिलाने का काम अमराराम इस तरह से करेंगे कि पूरे गांव का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योकि भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर को दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका के देश मलावी में भारत का हाई कमिश्नर नियुक्त किया गया है. वर्तमान में वह रोम में मिशन के डिप्टी चीफ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. अमराराम ने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया. इनका जन्म एक साधारण पशुपालक व किसान परिवार में हुआ था.

छोड़नी पडी पढ़ाई, मगर नहीं मानी हारअमरराराम का जन्म एक छोटे से गांव में एक साधारण पशुपालक व किसान परिवार में हुआ, जिनके पिता का नाम घीसाराम गुर्जर और माता का नाम तीजा देवी है. अमराराम के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके कारण उन्हें कई बार पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उन्होंने हार नहीं मानी और जुटे रहे. पिता की मौत के बाद परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन अमराराम मेहनत और लगन से आगे बढ़ते रहे.

राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी उन्हें मिल गई. लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा पास करना था. 2006 में अपने पहले प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन सफल नहीं हो पाए. लेकिन हार नहीं मानी और साल 2007 में दूसरे प्रयास में पूरे भारत में 140वीं रैंक पाकर आईएफएस अधिकारी बन गए.

माता-पिता के निधन के बाद शुरू की खेतीअमराराम गुर्जर ने 12वीं तक सरकारी विद्यालय में ही अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा किया. जब वह 11वीं में थे तब पिता और 12वीं में माता का निधन हो गया. इससे गुर्जर को खेती बाड़ी शुरू करनी पड़ी. उन्होंने स्नातक की शिक्षा स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की. इसके बाद 2005 में उनका चयन सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया.

दिन-रात मेहनत करने वाले अमराराम पुलिस की नौकरी के दौरान जब भी समय मिलता था, पढ़ाई करते रहते थे. इसके बाद दो बार सिविल सेवा की परीक्षा दी, लेकिन असफल हुए. 2007 में सिविल सेवा में सफलता मिल गई.

स्कूल की छुट्टियां होती, तो पिता संग चराते बकरियांअमराराम गुर्जर की कहानी संघर्ष और मेहनत की एक प्रेरणादायक गाथा है. राजस्थान के पाली जिले के गुड़ा रामसिंह गांव में जन्मे अमराराम ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया और हर बार हार नहीं मानी. अमराराम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के एक सरकारी स्कूल से पूरी की, जहां उन्हें नंगे पैर 10 किमी का सफर तय करना पड़ता था. इसके बाद उन्होंने 15 किमी दूर बगड़ी के एक स्कूल से आगे की पढ़ाई पूरी की. स्कूल की छुट्टी वाले दिन वे अपने पिता के साथ बकरियां चराने जाते थे.

First Published :

April 20, 2025, 13:08 IST

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राजस्थान में कभी बकरियां चराते थे यह व्यक्ति, आज मालवी में भारत के हाई कमिश्नर

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