जहां पूजा के लिए तैरना पड़ता था! बीकानेर के इस 210 साल पुराने मंदिर की अनोखी कहानी

Last Updated:April 23, 2025, 18:42 IST
बीकानेर के देवी कुंड सागर में स्थित भगवान बद्रीनाथ का 210 साल पुराना मंदिर एक तालाब के बीचोंबीच बना है, जहां पहले दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं और पुजारी को तैरकर जाना पड़ता था. अब तालाब सूख चुका है.X
बीकानेर से 15 किलोमीटर दूर देवी कुंड सागर गांव में भगवान बद्रीनाथ की पंचायत का म
निखिल स्वामी/बीकानेर- बीकानेर को छोटी काशी कहा जाता है और यहां कई प्राचीन व अद्वितीय मंदिर हैं. हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां की धार्मिक धरोहरों के दर्शन करने आते हैं. इन्हीं में से एक मंदिर है जो अपनी विशेषता के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है.
देवी कुंड सागर तालाब के बीचोंबीच स्थित मंदिरबीकानेर से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित देवी कुंड सागर गांव में भगवान बद्रीनाथ की पंचायत का मंदिर है.यह मंदिर तालाब के बीचोंबीच बना हुआ है. पहले जब तालाब में पानी हुआ करता था, तब श्रद्धालुओं को और यहां तक कि पुजारी को भी मंदिर तक तैरकर जाना पड़ता था.
210 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिरपुजारी विकास सेवग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के तत्कालीन महाराजा सूरत सिंह जी ने करवाया था. यह मंदिर करीब 210 वर्ष पुराना है. इस मंदिर परिसर में कुल छह अलग-अलग मंदिर हैं, जिनमें भगवान बद्रीनाथ के साथ-साथ कुबेर जी, नारद जी, भगवान विष्णु और नर-नारायण की प्रतिमाएं विराजमान हैं.
तालाब सूखा, अब पैदल जा सकते हैं दर्शन के लिएसमय के साथ तालाब का पानी सूख गया है, जिससे अब श्रद्धालु सड़क के रास्ते मंदिर तक पहुंच सकते हैं. लेकिन मंदिर की वह अद्भुत विशेषता जहां श्रद्धालु तैरकर पूजा करने जाते थे आज भी लोगों के मन में बसी हुई है.
मनोकामना पूर्ति की मान्यतास्थानीय लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना जल्दी ही पूर्ण होती है. यही कारण है कि आज भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है.
देवस्थान विभाग द्वारा जीर्णोद्धारदेवस्थान विभाग द्वारा समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया जाता है, ताकि इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता बनी रहे. यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है और बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है.
Location :
Bikaner,Rajasthan
First Published :
April 23, 2025, 18:42 IST
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