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राजस्थान का रेत नगरी हुआ 538 साल का, पिता ने दिया ताना, बेटे ने बसा लिया नया शहर, जानें अनोखी कहानी

राजस्थान का धोरों वाला बीकानेर शहर अब 538 साल का हो गया है. इस शहर की आज स्थापना दिवस है और आज ही के दिन 538 साल पहले एक पिता ने अपने पुत्र को ताने मारने के बाद एक पुत्र ने पूरा नया शहर ही बसा दिया. आज इस शहर के धोरे को देखने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते है. यह मारवाड़ का ऐसा इलाका है जहां से निकलकर लोग आज पूरी दुनिया में सबसे अमीर व्यक्तियों में नाम आता है. बीकानेर का खान पान पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस शहर की सबसे बड़ी खासियत अपनायत के लिए प्रसिद्ध है. इस शहर की सबसे बड़ी खासियत है कि यह शहर अपनी परम्परा ओर सौहार्द के लिए पुरी दुनिया भर में जाना जाता है. ऐसे में अपनी गंगा-जमुना संस्कृति को दर्शाती इस शहर की आबों हवा भी ऐसी है जहां एक बार कोई आता है तो यहीं का होकर रह जाता है.

राजकीय डूंगर महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनिला पुरोहित ने बताया कि बीकानेर की स्थापना 1488 में राव बीका ने की थी. जो जोधपुर के महाराजा राव जोधा के पुत्र थे. बताते है कि इस शहर के बसने के पीछे एक कहानी है कि जब जोधपुर में दरबार चल रहा था.  राव बीका जी अपने मामा से बात कर रहे थे. राव जोधा जी ने कहा कि मामा और भांजा कोई नए राज्य की स्थापना कर रहे हो क्या. इसके बाद राव बीका ने अपने पिता की इस बात को ताने के रूप में लेकर एक नए राज्य की स्थापना करने के लिए निकल पड़े. राव बीका ने कुछ सैनिकों के साथ और कुछ सामान के साथ बीकानेर शहर की स्थापना की.

बीकानेर शहर हुआ 538 सालवे बताते है कि यहां के धोरे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस शहर को हजार हवेलियों का शहर कहा जाता है. यहां कि उस्ता आर्ट, माथेरन कला काफी प्रसिद्ध है. कई देशी और विदेशी लोग यह कला सीखने के लिए यहां आते है. बीकानेर का भुजिया और रसगुल्ला की डिमांड पूरी दुनिया में है. जमीन का जेवर कहा जाने वाला जूनागढ़ का किला और भंडाशाह जैन मंदिर देखने के लिए विदेशी भी आते है. बीकानेर का तीज त्योहारों को देखने के लिए कई लोग आते है.

बीकानेर की स्थापना 1488 में राव बीका ने की थीराव बीका जी ने 1472 से 1504 तक बीकानेर की स्थापना की. इनके बाद राव नरा ने 1504 से 1505, राव लूणकरण जी ने 1505 से 1526, राव जेतसी ने 1526 से 1542, राव कल्याण जी ने 1542 से 1574, महाराजा राय सिंह ने 1574 से 1612, महाराजा दलपत सिंह ने 1612 से 1613, महाराजा शूर सिंह ने 1613 से 1631, महाराजा करण सिंह जी ने 1631 से 1669, महाराजा अनूप सिंह जी ने 1669 से 1698, महाराजा सुजान सिंह जी ने 1700 से 1735, महाराजा जोरावर सिंह जी ने 1735 से 1746, महाराजा गज सिंह जी ने 1746 से 1787, महाराजा सूरत सिंह जी ने 1787 से 1828, महाराजा रतन सिंह जी ने 1828 से 1851, महाराजा सरदार सिंह जी ने 1851 से 1872, महाराजा डूंगर सिंह जी ने 1872 से 1887, महाराजा गंगा सिंह जी ने 1887 से 1943, महाराजा सार्दुल सिंह जी ने 1943 से 1950, महाराजा करणी सिंह जी ने 1950 से 1971, महाराजा नरेंद्र सिंह अंतिम महाराजा रहे.

बीकानेर का पुराना नाम था जांगल देशबीकानेर का पुराना नाम जांगल देश था. इसके उत्तर में कुरुऔर मद्रदेश थे, इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है. बीकानेर के राजा जंगल देश के स्वामी होने के कारण अब तक जंगल धर बादशाह कहलाते हैं.बीकानेर राज्य महाभारत काल में जांगल देश था. राठौड़ वंश के संस्थापक राव जोधा का पुत्र राव बीका ने बीकानेर की स्थापना की. राव बीका ने करणी माता के आशीर्वाद से 1465 में जांगल प्रदेश में राठौड़ वंश की स्थापना की. 1488 में नेरा जाट के सहयोग से बीकानेर की स्थापना हुई. राव बीका ने जोधपुर के राव सुजा को पराजित कर राठौड़ वंश के सारे राजकीय चिन्ह बीकानेर ले आए.

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