Caste Census : राजस्थान देख चुका है कई आंदोलन, बरसों से चल रहा संघर्ष, जानें अब क्या हैं उम्मीदें

Last Updated:May 01, 2025, 13:58 IST
Caste Census News: केंद्रीय कैबिनेट ने देश में जातिगत जनगणना को मंजूरी दे दी है. उसके बाद अब इस पर जबर्दस्त तरीके से बहस छिड़ी हुई है. जानें जाति जनगणना का राजस्थान में क्या असर पड़ेगा? यह राजस्थान की राजनीति …और पढ़ें
जानकारों के मुताबिक यह यह दीर्घकालीन परिणाम वाला फैसला है.
हाइलाइट्स
केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का ऐलान किया.राजस्थान में आरक्षण के लिए कई आंदोलन हुए.जातिगत जनगणना से असली हकदार को हक मिलेगा.
जयपुर. केन्द्र सरकार ने आखिरकार जातिगत जनगणना करवाने का ऐलान कर दिया है. केन्द्र सरकार के इस ऐलान को कांग्रेस अपनी जीत मान रही है. वहीं राजनीति के जानकरों को मानना है कि जाति जनगणना करवाने का ऐलान कर देश की मोदी सरकार ने कांग्रेस को अन्य पार्टियों को मुद्दावीहिन कर दिया है. वहीं लंबे समय से आरक्षण के मुद्दे से जुड़े और कानून के जानकार मानते हैं कि जातिगत जनगणना आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगी. इसके पीछे वे कई वजह गिनाते हैं.
राजस्थान की आरक्षण के हक के लिए कई बार लड़ाइयां हुई हैं. ये लड़ाइयां सड़क और रेलवे ट्रैक से लेकर कोर्ट तक लड़ी गई है. सैंकड़ों बार अपने-अपने समाजों की ताकत दिखाने के लिए लोग सड़कों पर आए. जुबानी जंग लड़ी. तर्क वितर्क किए. लाठियां और गोलियां खाईं. कई जेल गए और कई मुकदमें झेले. आज भी कई लोग हक की खातिर कोर्टों के चक्कर लगा रहे हैं. अपनी गाढ़ी कमाई तारीखों पर जाकर गवां रहे हैं. लेकिन हक के लिए उन्होंने हार नहीं मानने की ठान रखी है.
राजस्थान में कई आंदोलन हुए हैंराजस्थान का गुर्जर आरक्षण आंदोलन शायद पूरे देश को याद होगा. गुर्जर समाज ने आरक्षण की लड़ाई के लिए रेलवे ट्रैक पर लंबा संघर्ष किया. समाज के कई लोग पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए. इससे पहले जाट समाज ने ओबीसी में आने के लिए लंबा संघर्ष किया. उसके बाद राजपूत समाज सड़कों पर उतरा. फिर राजपूत समाज और मूल ओबीसी एकजुट होकर सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले सड़कों पर उतरी. लंबी जद्दोजहद के बाद किसी को थोड़ा बहुत हक मिला तो किसी को कुछ नहीं मिला. कुल मिलाकर आरक्षण के हक के अंतहीन लड़ाई अभी भी जारी है.
कोटे में कोटे की राह आसान होगीराजस्थान में वर्तमान में कुल 64 फीसदी आरक्षण लागू है. इनमें एससी- 16 प्रतिशत, एसटी-12, ओबीसी 21, एमबीसी 5 और ईडब्ल्यूएस 10 फीसदी शामिल हैं. जातिगत जनगणना के अभाव में आरक्षण में शामिल कई जातियां ऐसी हैं जो दूसरी जातियों पर हावी हो गई और आरक्षण का मोटा भाग उनके खाते चला गया. क्रिमिलेयर के बावजूद उन जातियों का पलड़ा भारी रहा. एसटी वर्ग में अक्सर ये आरोप लगाता रहा है कि इस वर्ग के अधिकांश आरक्षण का फायदा केवल मीणा समाज ने उठाया है. उसी तरह से राजस्थान में ओबीसी के आरक्षण में यही आरोप जाट समाज पर लगता है. इसलिए लिए बार-बार कोटे में कोटे का सवाल उठता रहा है ताकि उस वर्ग की वंचित जातियों को भी आरक्षण का उचित लाभ मिले.
असली हकदार को उसका हक मिल सकेगाराजस्थान में समता आंदोलन की शुरुआत करने वाले और लंबे समय से आरक्षण के मसले पर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लड़ाई लड़ने वाले पाराशर नारायण शर्मा बताते हैं यह बेदह दीर्घकालीन सोच वाला फैसला है. इससे असली हकदार को उसका हक मिलेगा. जातिगत जनगणना से समूचे सूबे में आर्थिक, सामाजिक और बदलाव होने के आसार हैं. इससे आरक्षण में उपवर्गीकरण की राह आसान होगी. पाराशर की मानें तो वर्तमान में कोई भी जाति अगड़ी नहीं है. सही मायने में देखा जाए तो फिलहाल सभी जातियां पिछड़ी मानी जा सकती है.
जातिगत जनगणना के अभाव में कई जातियों का हक मारा गयाआरक्षण के खेल में और जातिगत जनगणना के अभाव में कई जातियों का हक मारा गया. जातिगत जनगणना में मुस्लिम समाज की भी वास्तविक तस्वीर सामने आ जाएगी. उनके मुताबिक जातिगत जनगणना में आंकड़े तो सामने आ जाएंगे लेकिन वास्तविक बदलाव तभी होगा जब उनके अनुसार नीतियां बनाई जाएंगी. अगर नीति बनाने में राजनीति नफा नुकसान देखा गया तो फिर कोई फायदा नहीं होगा. जातिगत जनगणना से भविष्य में उन जातियों को लाभ मिलने के प्रबल आसार है जिनको आज तक आरक्षण होने के बावजूद भी उसका लाभ नहीं मिल पाया. अगर यह हो गया तो बड़ा सामाजिक और आर्थिक बदलाव आएगा। राजनीति के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक समीकरण भी प्रभावित होंगे.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
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जातिगत जनणना : राजस्थान देख चुका है कई आंदोलन, बरसों से चल रहा संघर्ष