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सिंचाई की इस विधि से नहीं लगता फसलों में रोग, किसान का समय, पानी और मेहनत भी बचेगी, जानें एक बीघे का खर्च

Last Updated:May 11, 2025, 14:57 IST

Agriculture News: ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करने वाले पुष्कर के किसान मुकेश रावत ने लोकल 18 को बताया कि ड्रिप सिंचाई विधि से खाद, पानी, पैसे तीनों की बचत होती है, क्योंकि खाद और पानी सीधे फसलों की जड़ में जाता…और पढ़ेंX
ड्रिप
ड्रिप सिंचाई तकनीक किसान के लिए फायदेमंद

ड्रिप सिंचाई या टपक सिंचाई पुष्कर के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. इस तकनीक का उपयोग करने से किसानों को पैसा, समय, और मेहनत तीनों की बचत होती है.ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करने वाले पुष्कर के किसान मुकेश रावत ने लोकल 18 को बताया कि यह सिंचाई विधि पानी की बर्बादी को कम करने के साथ फसलों को सही मात्रा में पानी देती है. जिससे फसल को आवश्यक नमी मिलती है. पानी का दुरुपयोग नहीं होता है

ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करने वाले पुष्कर के किसान मुकेश रावत ने लोकल 18 को बताया कि ड्रिप सिंचाई विधि से खाद, पानी, पैसे तीनों की बचत होती है. क्योंकि खाद और पानी सीधे फसलों की जड़ में जाता है. इससे फसलों की उपज में भी वृद्धि होती है. फसलों में किसी प्रकार का रोग नहीं लगता है . इससे एक बड़ा फायदा यह है कि खरपतवार की उपज भी ना के बराबर होता है.

बूंद-बूंद फसल की जड़ों तक पहुंचता है पानी रावत ने आगे बताया कि ड्रिप की लाईन पूरे खेत में बिछाई जाती है. इन ड्रिप में नियत जगह पर छोटे-छोटे छेद होते हैं. इसको फसलों की जड़ों के पास सेट कर दिया जाता है और ड्रिप प्रेशर मशीन में सेट कर दिया जाता है. साथ ही इंजन चला कर छोड़ दिया जाता है. इसके बाद बूंद-बूंद पानी फसल की जड़ों तक पहुंचता रहता है.

1 बीघा खेत में 30 से 40 हजार रुपए आती है लागतयह प्रणाली एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन को संरक्षित करने में मदद करती है. . उन्होंने आगे बताया कि अगर कोई किसान एक बीघा खेत में ड्रिप सिंचाई तकनीक से खेती करना चाहता है तो उसमें 30 से 40,000 की लागत आती है . इस तकनीक से पानी के संरक्षण से न केवल पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि किसानों और बागवानों के लिए पानी की लागत भी कम होती है.

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Ajmer,Rajasthan

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सिंचाई की इस विधि से नहीं लगता फसलों में रोग,किसान का समय,पानी, मेहनत बचेगी

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