लोंगेवाला…. वो जगह जहां छोटी सी टुकड़ी ने PAK रेजिमेंट की नाक में कर दिया था दम, वहीं पहुंचे आर्मी चीफ – After Operation Sindoor COAS Upendra Dwivedi reach Longewala post where BSF beat Pakistan Army in 1971

Last Updated:May 19, 2025, 17:55 IST
Operation Sindoor: चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने लोंगेवाला का दौरा कर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया. लोंगेवाला साल 1971 की ऐतिहासिक लड़ाई का स्थल है, जहां भारतीय सेना ने पाकिस्तानी टैंकों को रोका था. ए…और पढ़ें
लोंगेवाला की कहानी साहस और बलिदान का प्रतीक है. ()
हाइलाइट्स
लोंगेवाला में COAS उपेंद्र द्विवेदी का दौरा.1971 की लड़ाई में भारतीय सेना ने पाक टैंकों को रोका.सेना प्रमुख ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया.
नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ यानी COAS उपेंद्र द्विवेदी आज सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए राजस्थान के जैसलमेर में स्थित लोंगेवाला पहुंच गए हैं. यहां, सीमा पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) तैनात है जबकि पीछे बड़ी रेजिमेंट के पास पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा की जिममेदारी है. भारतीय सुरक्षाबल दुश्मन की हर नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर पल तैयार है. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर सीओएएस लोंगेवाला ही क्यों जा रहे हैं? यहां जाने की असल वजह क्या है. चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं. हमने और आपने सनी देओल की फिल्म बॉर्डर तो जरूर देखी ही होगी. इस फिल्म में लोंगेवाला पोस्ट के बारे में विस्तार से बताया गया है.
लोंगेवाला में साल 1971 में ऐसा क्या हुआ था?
लोंगेवाला की लड़ाई साल 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी हुई है. यह भारत की सबसे ऐतिहासिक और साहसिक लड़ाइयों में से एक है. 4 दिसंबर 1971 की रात को पाकिस्तान की बड़ी टैंक रेजिमेंट ने राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट पर हमला किया. वहां मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की कमान में मात्र 120 भारतीय जवान मौजूद थे. पाकिस्तान का इरादा यहां से भारत में दाखिल होकर एक दिन में दिल्ली तक चढ़ाई करने का था. पाकिस्तान ने करीब 2000 सैनिकों की रेजिमेंट के साथ हमला बोला था. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने दुश्मन को पूरी रात रोके रखा. अगली सुबह भारतीय वायुसेना ने निर्णायक हमला कर पाकिस्तान की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. यह लड़ाई भारतीय जज्बे, साहस और रणनीतिक एकता का प्रतीक बन गई, जिसे आज भी गौरव के साथ याद किया जाता है.
लोंगेवाला से ‘सेना प्रमुख’ ने दिया बड़ा संदेश
सीओएएस जनरल उपेंद्र द्विवेदी का लोंगेवाला दौरा सिर्फ एक औपचारिक निरीक्षण नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश है. लोंगेवाला 1971 के भारत-पाक युद्ध की ऐतिहासिक लड़ाई का स्थल है और भारतीय सैन्य वीरता का प्रतीक रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब सुरक्षा तनाव चरम पर था, तब लोंगेवाला जाकर आर्मी चीफ ने सैनिकों का उत्साहवर्धन कर साहस और संकल्प की परंपरा को पुनः जागृत किया. यह दौरा न केवल सेना, वायुसेना और बीएसएफ के तालमेल को मान्यता देने का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारतीय सेना पुराने गौरवस्थलों को प्रेरणा का केंद्र मानकर भविष्य की रक्षा रणनीतियां गढ़ रही है. इसने साफ कर दिया कि रेगिस्तानी सीमा पर भारत की जवाबी कार्रवाई सिर्फ तेज नहीं, इतिहास से जुड़ी हुई और रणनीतिक रूप से सटीक भी है.
Sandeep Gupta
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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लोंगेवाला….जहां छोटी टुकड़ी ने PAK को किया पस्त, वहीं पहुंचे आर्मी चीफ