Initiative to Preserve Soul of Rajasthani Culture Ghoomar dance

Last Updated:May 21, 2025, 16:32 IST
घूमर राजस्थान की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जो वर्षों से सामाजिक आयोजनों और पर्व-त्योहारों में महिलाओं द्वारा बड़ी सादगी और गरिमा के साथ प्रस्तुत किया जाता रहा है.X

घूमर कार्यशाला
हाइलाइट्स
उदयपुर में 15 दिवसीय घूमर कार्यशाला आयोजित.कार्यशाला में पारंपरिक घूमर की बारीकियां सिखाई जा रही हैं.फिल्म पद्मावत के घूमर दृश्य पर विवाद के बाद यह पहल.
उदयपुर:- राजस्थान की पारंपरिक लोक कला को संरक्षित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से उदयपुर के पश्चिमी संस्कृति केंद्र की ओर से 15 दिवसीय विशेष घूमर कार्यशाला का आयोजन किया गया है. शहर की ऐतिहासिक बागोर की हवेली में चल रही इस कार्यशाला में युवतियों को घूमर की बारीकियां, उसकी गरिमा और पारंपरिक प्रस्तुतिकरण के तौर-तरीकों की गहन जानकारी दी जा रही है.
कार्यशाला की प्रशिक्षिका विजयलक्ष्मी आमेटा ने लोकल 18 को बताया कि घूमर राजस्थान की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जो वर्षों से सामाजिक आयोजनों और पर्व-त्योहारों में महिलाओं द्वारा बड़ी सादगी और गरिमा के साथ प्रस्तुत किया जाता रहा है. उन्होंने कहा, “घूमर केवल नृत्य नहीं है, बल्कि यह हमारे पहनावे, शालीनता और जीवनशैली को दर्शाने का एक माध्यम है. इसमें महिलाएं पूर्ण राजस्थानी पोशाक में, घूंघट ओढ़कर नृत्य करती हैं.
ऐसा होता है घूमर नृत्य का पहनावाविजयलक्ष्मी ने यह भी स्पष्ट किया कि घूमर को लेकर अक्सर गलतफहमियां फैलती हैं, जैसा फिल्म पद्मावत के घूमर दृश्य के बाद देखने को मिला. उन्होंने कहा, “पद्मावत फिल्म में दिखाया गया घूमर का दृश्य हमारे पारंपरिक मूल्यों से मेल नहीं खाता. वहां जिस तरह से अदाएं और खुला पहनावा दर्शाया गया, वह पारंपरिक घूमर की मर्यादा के विपरीत था.
यह नृत्य कभी ठुमकों या आकर्षण का माध्यम नहीं रहा है, बल्कि यह स्त्रियों की गरिमा और सामाजिक पहचान का परिचायक रहा है. गौरतलब है कि फिल्म पद्मावत में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण द्वारा किए गए घूमर दृश्य पर राजस्थान सहित देशभर में विरोध दर्ज किया गया था. लोगों ने इस पर सवाल उठाए थे कि ऐतिहासिक रानियों के पारंपरिक नृत्य को फिल्म में ग्लैमराइज कर प्रस्तुत किया गया, जिससे इसकी मूल आत्मा आहत हुई.
गरिमा को सहेजना ही है असली संरक्षणकार्यशाला में हिस्सा लेने वाली युवतियां न केवल घूमर की शुद्ध शैली सीख रही हैं, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी जान रही हैं. आयोजकों का मानना है कि इस प्रकार की पहल न केवल लोकनृत्य को संरक्षित करती है, बल्कि युवाओं में अपनी जड़ों से जुड़ाव भी पैदा करती है. इस तरह की कार्यशालाएं यह संदेश देती हैं कि राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को फिल्मी चकाचौंध से दूर रखकर उसकी असली गरिमा में सहेजना ही असली संरक्षण है.
भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें India पर देखेंLocation :
Udaipur,Rajasthan
homelifestyle
‘पद्मावत’ मूवी के दृश्य पर भी उठे सवाल, आज घूमर की नजाकत को सहेजती कार्यशाला


