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रामदेवरा महाकुंभ: ये है राजस्थान का मिनी कुंभ, हिंदू ही नहीं, आस्था में सरोबार होते हैं मुस्लिम भी

राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित रामदेवरा, हर साल भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर) में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का गवाह बनता है, जिसे ‘रामदेवरा महाकुंभ’ या ‘मिनी कुंभ’ के नाम से जाना जाता है. यह मेला लोकदेवता बाबा रामदेव जी महाराज को समर्पित है, जिन्हें भक्त हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में ‘रामसा पीर’ के रूप में पूजते हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु रामदेवरा मंदिर में दर्शन करने और आस्था के इस महासंगम में हिस्सा लेने पहुंचते है. यह मेला ना केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है.

रामदेवरा मंदिर 14वीं शताब्दी के संत बाबा रामदेव जी को समर्पित है, जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. मान्यता है कि बाबा रामदेव ने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किए और समाज में समानता, भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता का संदेश दिया. उन्होंने जाति और धर्म के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया, जिसके कारण वे हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय में भी पूजनीय हैं. रामदेवरा में उनके समाधि स्थल पर बना मंदिर आज एक प्रमुख तीर्थस्थल है. रामदेवरा महाकुंभ की तुलना कुंभ मेले से इसलिए की जाती है, क्योंकि यहां भी भक्तों का विशाल जमावड़ा होता है और स्नान की परंपरा प्रचलित है.

मेला भाद्रपद मास की द्वितीया से नवमी तक आयोजित होता है. इस दौरान भक्त मंदिर के पास स्थित पवित्र जलाशय में स्नान करते हैं, जो उनकी आस्था का प्रतीक है. यह स्नान पापों से मुक्ति और बाबा के आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है.

मेले की खासियतविशाल भक्त समागम: रामदेवरा महाकुंभ में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से लाखों भक्त शामिल होते हैं.सामाजिक समरसता: यह मेला हिंदू और मुस्लिम भक्तों को एक मंच पर लाता है. बाबा रामदेव को रामसा पीर के रूप में पूजने वाले मुस्लिम भक्त भी यहां बड़ी संख्या में आते हैं, जो सामाजिक एकता का अनूठा उदाहरण है.सांस्कृतिक आयोजन: मेले में भक्ति भजनों, लोक नृत्यों और कथाओं का आयोजन होता है. रातभर चलने वाले भजन संध्या और रामदेव जी की कथाओं के माध्यम से भक्त उनकी महिमा का गुणगान करते हैं.चमत्कारों की मान्यता: भक्तों का मानना है कि बाबा रामदेव की कृपा से असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है. मेले में कई लोग अपनी मन्नतें पूरी होने पर चांदी के घोड़े और अन्य भेंट चढ़ाते है.बाजार और व्यापार: मेले में स्थानीय हस्तशिल्प, भोजन और धार्मिक वस्तुओं की दुकानें लगती हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है.

आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
रामदेवरा महाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है. यह मेला लोगों को एकजुट करता है और बाबा रामदेव के समानता के संदेश को जीवंत रखता है. यहां आने वाले भक्त ठंडी रातों में खुले आसमान के नीचे सोते हैं और लंबी यात्रा की कठिनाइयों को सहते हैं, केवल बाबा के दर्शन और आशीर्वाद के लिए. यह आस्था और समर्पण का प्रतीक है. विशेषज्ञों का कहना है कि रामदेवरा मेला भारतीय संस्कृति का एक जीवंत उदाहरण है, जो विभिन्न धर्मों और समुदायों को एक मंच पर लाता है. यह मेला UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त कुंभ मेला की तरह ही एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखा जाता है, जो सामाजिक एकता और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है.

कैसे पहुंचें रामदेवरा?रामदेवरा जैसलमेर जिले में पोखरण के पास स्थित है. यहां पहुंचने के लिए जोधपुर हवाई अड्डा (लगभग 180 किमी) सबसे नजदीकी है. रामदेवरा रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुंबई और जयपुर जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा है. सड़क मार्ग से जोधपुर, बीकानेर और जयपुर से नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध है. मेले के दौरान विशेष बसें और ट्रेनें भी चलाई जाती है.

आधुनिक व्यवस्थाएं और चुनौतियांरामदेवरा महाकुंभ में हर साल भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा, स्वच्छता और आवास की व्यवस्था की जाती है. CCTV कैमरे, पुलिस बल और अस्थायी शिविर लगाए जाते है. हालांकि, भीड़ प्रबंधन और स्वच्छता जैसी चुनौतियां बनी रहती हैं, जैसा कि बड़े कुंभ मेलों में देखा जाता है.

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