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Agriculture Story: जड़ें मजबूत तो फसल दमदार… भरतपुर में इस तरकीब ने बदली खेती की तस्वीर, किसान मालामाल!

Last Updated:July 25, 2025, 15:17 IST

Bharatpur News: भरतपुर के किसान पारंपरिक तकनीक को आधुनिक तरीकों से मिलाकर फसल की पैदावार बढ़ा रहे हैं. ट्रैक्टर से खेतों की कुरूप कर मिट्टी ढीली करते हैं, जिससे पौधे स्वस्थ होते हैं और उत्पादन बढ़ता है.

हाइलाइट्स

किसान पारंपरिक तकनीक से बाजरे की पैदावार बढ़ा रहे हैं.ट्रैक्टर से खेतों की कुरूप कर मिट्टी ढीली करते हैं.कुरूप से पौधे स्वस्थ और उत्पादन में वृद्धि होती है.भरतपुर. भरतपुर के किसानों ने परंपरागत तकनीक को आधुनिक तरीकों के साथ मिलाकर अपनी फसल की पैदावार बढ़ाने का अनोखा रास्ता अपनाया है. किसान ट्रैक्टर की मदद से खेतों में हल चलाकर बाजरे की कुरूप करते हैं, जिससे मिट्टी ढीली हो जाती है और फसल में तेजी से वृद्धि होती है. भरतपुर जिले के कई इलाकों जैसे रूपबास, कामां, नदबई और बयाना में किसान आज भी इस विधि को अपनाते हैं. इससे न सिर्फ पौधे की जड़ें मजबूत होती हैं, बल्कि मिट्टी में नमी भी संरक्षित रहती है. यही कारण है कि इस क्षेत्र के कई किसान अब दोबारा इस पारंपरिक तरीके की ओर लौटने लगे हैं.

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाजरे की फसल को बोने के एक से डेढ़ महीने के भीतर खेतों की कुरूप कर देनी चाहिए. इससे उत्पादन बढ़ता है और पौधे अधिक पोषक तत्व ले पाते हैं. यह तकनीक मिट्टी में हवा के संचार को भी बेहतर बनाती है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है और प्रति हेक्टेयर पैदावार में 15 से 20 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है.

कुरूप से मिट्टी ढीली, जड़ें मजबूत और पौधे स्वस्थ
कृषि विभाग के अधिकारी गजेंद्र शर्मा ने बताया कि कुरूप एक पारंपरिक विधि है, जिसमें बुवाई के कुछ समय बाद खेत को ट्रैक्टर से हल चलाकर ढीला किया जाता है. इससे मिट्टी में हवा का प्रवाह बढ़ता है और नमी बनी रहती है. यह प्रक्रिया पौधों की जड़ों को मजबूती देती है और उनके विकास को गति मिलती है. शर्मा के अनुसार कुरूप करने से खरपतवार पर नियंत्रण होता है, मिट्टी का ढीलापन बना रहता है और फसल को आवश्यक पोषक तत्व बेहतर रूप से मिलते हैं.

कृषि विभाग दे रहा प्रशिक्षण, किसान देख रहे परिणामकृषि विभाग समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण देकर इस विधि की जानकारी देता है. किसानों को बताया जाता है कि वे किस समय कुरूप करें और किन बातों का ध्यान रखें. विभाग के मुताबिक जिन किसानों ने यह विधि अपनाई है, उन्हें फसल की गुणवत्ता में सुधार और पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है. भरतपुर के कई किसानों ने अब इसे नियमित खेती की प्रक्रिया में शामिल कर लिया है. यदि अन्य किसान भी कुरूप जैसी पारंपरिक विधियों को अपनाएं, तो फसल की सेहत के साथ-साथ उत्पादन में भी बड़ा फर्क आ सकता है.

Location :

Bharatpur,Rajasthan

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