Rajasthan

Jhalawar School Collapsed: झालावाड़ स्कूल हादसे में शर्मनाक खुलासा! शिक्षकों ने कहा- दो-दो सौ जुटाओ, तब बनेगी नई छत!

भीलवाड़ा. राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ. सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत सुबह प्रार्थना सभा के दौरान अचानक ढह गई, जिसके मलबे में दबकर सात बच्चों की मौत हो गई और 22 बच्चे घायल हो गए. ग्रामीण बालकिशन ने बताया कि तेज आवाज के साथ छत ढही और बच्चों की चीखें गूंजने लगीं. स्थानीय लोग तुरंत बचाव के लिए दौड़े, मलबा हटाया और घायल बच्चों को निजी वाहनों से स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.

ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन पिछले चार साल से जर्जर हालत में था. बारिश में छत से पानी टपकता था, और कई बार अधिकारियों व स्कूल प्रशासन से मरम्मत की गुहार लगाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीण बाबूलाल ने कहा कि तहसीलदार और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को सूचित किया गया था, लेकिन जवाब में अधिकारियों ने ग्रामीणों से खुद मरम्मत कराने या प्रति परिवार 200 रुपये इकट्ठा करने को कहा. ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर ने दावा किया कि चार साल पहले मरम्मत हुई थी, लेकिन ग्रामीणों ने इसे गलत बताया.

स्थानीय लोगों में गुस्सा

हादसे के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया. सरपंच रामप्रसाद लोढ़ा ने बताया कि इमारत ढहने के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई. उन्होंने अपनी जेसीबी मशीन से 20 मिनट तक बचाव कार्य किया और 13 बच्चों को मलबे से निकाला. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की मदद देर से पहुंची और एंबुलेंस को घटनास्थल पर आने में 45 मिनट लगे. घायल बच्चों को दोपहिया वाहनों से अस्पताल ले जाना पड़ा. ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही को इस त्रासदी का मुख्य कारण ठहराया.

हादसे ने पिपलोदी गांव को मातम में डुबो दिया. शुक्रवार को किसी घर में चूल्हा नहीं जला. स्थानीय प्रशासन ने केवल बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था की. मृतक बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम कर शनिवार तड़के परिजनों को सौंपा गया, और गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सांसद दुष्यंत सिंह ने गांव पहुंचकर शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात की. राजे ने कहा कि यदि स्कूल भवन को पहले चिह्नित किया गया होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था. वहीं बच्चों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है. अंतिम संस्कार के दौरान हर आंखे नम थी.

मृत बच्चे के परिजनों को 10 लाख मुआवजा

हादसे के बाद प्रशासन ने पांच शिक्षकों और एक अधिकारी को निलंबित किया. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जिम्मेदारी ली और घायल बच्चों से अस्पताल में मुलाकात की. सरकार ने मृतक बच्चों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और संविदा पर नौकरी देने की घोषणा की. नए स्कूल भवनों के कक्षा कक्ष मृतक बच्चों के नाम पर रखे जाएंगे. इस हादसे ने राजस्थान में स्कूलों की जर्जर स्थिति को उजागर किया है.

कोटा और सीकर में लोगों का फूटा गुस्सा

भीलवाड़ा में हुए स्कूल हादसे के बाद कोटा में भी शिक्षा विभाग के विरूद्ध लोगों ने आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया हैं. सीकर में भी लोगों ने प्रदर्शन किया. लोगों ने स्पष्ट कहा कि जब तक स्कूलों का मरम्मत नहीं होगा, तब तक बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे. बता दें कि कोटा संभाग में 650 से अधिक स्कूल जर्जर हैं, और मरम्मत के लिए 18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव लंबित है. ग्रामीणों और विपक्ष ने सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाए, जिसके चलते नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की. इस त्रासदी से सबक लेने की जरूरत है.

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