Rajasthan

बर्फीली रात, गोलियों की बौछार और टाइगर हिल पर कब्जा, नायक खेमाराम आर्य से सुनें कारगिल वॉर की कहानी

Last Updated:July 26, 2025, 15:39 IST

Kargil Vijay Divas: बाड़मेर के सरली गांव के नायक खेमाराम आर्य ने 1999 के कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर बहादुरी का परिचय दिया था. उनकी टुकड़ी को दुश्मन की घेराबंदी के लिए भेजा गया था. रात के अंधेरे में बर्फीली पह…और पढ़ें

हाइलाइट्स

नायक खेमाराम आर्य ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहरायाखेमाराम की टुकड़ी ने पींपल टू चौकी पर कब्जा किया26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता हैबाड़मेर. “या तिरंगा लहराकर लौटेंगे, या उसमें लिपटकर आएंगे…” इसी जज्बे के साथ बाड़मेर जिले के सरली गांव के नायक खेमाराम आर्य कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल की ओर बढ़े थे. यह कहानी उन वीर जवानों की है, जिन्होंने बर्फीले मैदान में दुश्मनों को झुका दिया. आज लोकल 18 कारगिल विजय दिवस के अवसर पर नायक खेमाराम आर्य की आंखों देखी कहानी प्रस्तुत करेगा जो सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

यह कहानी है उस बहादुर सिपाही की जिसने दुश्मनों को उनके ही बंकर में धकेलकर जीत की इबारत लिखी, जो आज भी हर हिंदुस्तानी के दिल में जोश भर देती है. बाड़मेर जिले के गंगासरा के खेमाराम आर्य 1987 में सेना में नायक के रूप में भर्ती हुए थे. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जम्मू कश्मीर में तैनात थे और 2002 में सेवानिवृत्त होकर बाड़मेर आकर उन्होंने खुद को पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण में समर्पित कर दिया.

टाइगर हिल का बर्फीला मोर्चा जहां पाकिस्तान ने कब्जा जमायासाल 1999… पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की बर्फीली चोटियों पर कब्जा जमा लिया था. यह देश के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण समय था. टाइगर हिल के पास स्थित पींपल टू चौकी पर कब्जा वापस लेना सेना के लिए मिशन बन गया था. लगातार पाकिस्तानी फायरिंग के बीच वहां तिरंगा फहराना लगभग नामुमकिन लग रहा था. भारतीय सेना ने दुश्मन को पीछे से घेरने की रणनीति बनाई.

नायक खेमाराम आर्य की टुकड़ी को मिली थी कमानइस काम के लिए खेमाराम आर्य की टुकड़ी को जिम्मा सौंपा गया था. खेमाराम बताते हैं, दुश्मनों की चौकियों से गोलियां बरस रही थीं, ऐसे में हजारों फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़ाई करना मुश्किल था. इसलिए रात के अंधेरे में टाइगर हिल के पीछे से चढ़ाई शुरू की. इस ऑपरेशन में 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए और करीब 150 घायल हो गए.

खेमाराम की टुकड़ी ने बिना रुके आगे बढ़ते हुए रात भर की गोलीबारी में दुश्मनों की कमर तोड़ दी और सुबह होते ही बंकरों में घुसे पाक सैनिकों को दबोच लिया, जिससे पींपल टू पर कब्जा कर लिया.

टाइगर हिल पर अपने साथियों के साथ फहराया तिरंगाखेमाराम बताते हैं कि जब टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया, तो आंखों में आंसू और दिल में गर्व था. वह क्षण कभी नहीं भूल सकते. इस फतह के बाद ही कारगिल युद्ध की दिशा तय हो गई और 26 जुलाई को भारत ने आधिकारिक रूप से विजय का ऐलान कर दिया.

कारगिल युद्ध में बाड़मेर के भीखाराम हुए थे शहीदकारगिल युद्ध में बाड़मेर के पातासर गांव के भीखाराम मूढ़ उन छह लोगों में शामिल थे, जिन्हें पाकिस्तान ने बंधक बनाकर यातनाएं दीं और उनके अंग काट लिए थे. जाबांज भीखाराम ने लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के साथ रहते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे. भीखाराम 4 जाट रेजिमेंट में कार्यरत थे.

निखिल वर्मा

एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें

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