इस नस्ल की बकरियों का पालन करें, 5 महीने में कमाई होगी तीन गुना, सरकार भी दे रही है मदद

Last Updated:October 11, 2025, 19:00 IST
Goat Farming Tips: सिरोही नस्ल की बकरियां छोटे और बड़े दोनों प्रकार के पशुपालकों के लिए लाभकारी साबित होती हैं. ये बकरियां साल में दो बार जुड़वा बच्चे देती हैं और 5 से 6 महीने में लागत का दो से तीन गुना मुनाफा दे सकती है. औसत वजन 50-60 किलोग्राम और दूध उत्पादन 1-1.5 लीटर प्रतिदिन होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण ये बकरियां किसी भी माहौल में पाली जा सकती है. सिरोही और आस-पास के जिलों के पशुपालक इस नस्ल से अच्छी आय कमा सकते हैं.
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सिरोही. अगर पशुपालन की बात की जाती है, तो बकरी पालन में सबसे उत्तम किस्म की बकरियां में सिरोही नस्ल की बकरी का नाम आता है. अगर आप भी बकरी पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, तो सिरोही नस्ल की बकरियां आपको अच्छा खासा मुनाफा दे सकती है. 5 से 6 महीने में ही ये बकरी लागत से दो से तीन गुना तक का मुनाफा दे सकती है. इस बकरी की नस्ल का यह नाम सिरोही जिले की वजह से पड़ा है, क्योंकि इस मसले की बकरियां सिरोही और आसपास के जिलों में ही ज्यादा पाई जाती है.
सिरोही नस्ल के बकरे का औसत वजन 50 से 60 किलोग्राम होता है. ये बकरियां साल में दो बार बच्चे देती है और अधिकांश बच्चे जुड़वा होते है. सिरोही नस्ल की बकरियां रोजाना औसतन 1 से डेढ़ लीटर दूध देती है. पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा अधिकारी ओर डॉ. जगदेव चौधरी ने बताया कि पशुपालन में सिरोही नस्ल की बकरी का पालन छोटे पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा होता है. इस नस्ल की बकरियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. इस वजह से इस नस्ल की बकरियां किसी भी माहौल में रह सकती है.
5 महीने में दो से तीन गुना होती है कमाई
सिरोही नस्ल की बकरियां साल में दो बार जुड़वा बच्चे देने की वजह से कुछ महीनों में पशुपालक अपनी कमाई को डबल या तीन गुना तक बढ़ा सकते हैं. इस वजह से इसकी डिमांड पूरे देश में होती है. सिरोही जिले के अलावा इस नस्ल की बकरियां राजसमंद, नागौर, जालोर, पाली आदि जिलों में भी पाई जाती है. इस नस्ल की बकरियों की पहचान इनके भूरे या काले रंग पर बने सफेद या भूरे निशान से होती है.
इस योजना के तहत पा सकते हैं नि:शुल्क बकरे
राज्य में पशुपालन विभाग भी इस नस्ल की बकरियों के पालन के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित कर रहा है. विभाग द्वारा जनजाति उप योजना के तहत टीएसपी क्षेत्र के जनजाति पशुपालकों को सिरोही नस्ल के बकरे नि:शुल्क प्रदान करता है. वहीं पशुपालन विभाग की राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत इस नस्ल के बकरे नि:शुल्क दिए जाते हैं, ताकि पशुपालकों की आय में इजाफा हो.
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Sirohi,Rajasthan
First Published :
October 11, 2025, 19:00 IST
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बकरियों के इस नस्ल का करें पालन, 5 महीने में कमाई होगी तीन गुना