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बच्चों की किडनी पर पड़ रहा कफ सिरप का दुष्प्रभाव, बिलासपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ ने दी चेतावनी – Chhattisgarh News

Last Updated:October 12, 2025, 12:39 IST

Bilaspur News: डॉ श्रीकांत गिरी ने लोकल 18 से कहा कि हर बच्चा अलग शारीरिक प्रकृति वाला होता है, इसलिए यह जरूरी नहीं है कि जो दवा एक बच्चे को सूट कर रही है, वह दूसरे को भी सूट करेगी. बच्चों की किडनी विकसित अवस्था में होती है, इसलिए छोटी गलती भी बड़ी मुसीबत की वजह बन सकती है.

बिलासपुर. बदलते मौसम में बच्चों को सर्दी-खांसी होना आम बात है लेकिन अक्सर माता-पिता बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कफ सिरप दे देते हैं. यह लापरवाही बच्चों की किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ श्रीकांत गिरी ने लोकल 18 को बताया कि हाल के दिनों में ऐसे कई केस सामने आए हैं, जिनमें कफ सिरप के अंधाधुंध इस्तेमाल से बच्चों की किडनी फंक्शन पर गंभीर असर पड़ा है. उन्होंने माता-पिता से अपील की है कि किसी भी प्रकार की दवा देने से पहले हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लें.

डॉ गिरी के अनुसार, बाजार में उपलब्ध ज्यादातर कफ सिरप में ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो बच्चों के शरीर में मेटाबोलाइज होने के दौरान किडनी पर दबाव डालते हैं. खासकर जब बच्चे को पहले से संक्रमण या डिहाइड्रेशन हो, तो यह सिरप किडनी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ सिरप में फेनेसिटिन, कोडीन और डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन जैसे तत्व होते हैं, जो छोटे बच्चों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं.

लक्षणों पर दें ध्यानउन्होंने कहा कि यदि बच्चे को सिरप देने के बाद उल्टी, सूजन, पेशाब में कमी या कमजोरी महसूस हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें. यह किडनी पर दवा के दुष्प्रभाव के संकेत हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.

प्राकृतिक उपाय और घरेलू नुस्खे बेहतर विकल्पडॉ गिरी ने आगे कहा कि छोटे बच्चों में सर्दी-खांसी की शुरुआत में उन्हें भाप देना, हल्की गुनगुनी दालचीनी चाय या तुलसी-अदरक का काढ़ा जैसे घरेलू उपाय ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी दवा को बच्चों को देने से पहले उसकी मात्रा, उम्र और वजन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

डॉक्टर की सलाह से ही दें सिरपडॉ श्रीकांत गिरी ने कहा कि हर बच्चा अलग शारीरिक प्रकृति वाला होता है, इसलिए ऐसा भी होता है कि जो दवा एक बच्चे को सूट करे, वह दूसरे के लिए हानिकारक हो सकती है. बच्चों की किडनी विकसित अवस्था में होती है, इसलिए छोटी गलती भी बड़ी समस्या का कारण बन सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि क्वालीफाई डॉक्टर से ही इलाज कराएं. झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने से भी बचें. अगर वे ऐसी स्थिति में बच्चों का इलाज करते हैं, तो मासूमों की जान को खतरा हो सकता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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Bilaspur,Chhattisgarh

First Published :

October 12, 2025, 12:39 IST

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