नागौर की कर्मा बाई जिनकी खिचड़ी आज भी जगन्नाथ पुरी में चढ़ती है, जानिए क्यों है ये दूसरी मीरा के नाम से प्रसिद्ध

Last Updated:October 12, 2025, 20:23 IST
नागौर के कलवा गांव में जन्मी कर्मा बाई को ‘दूसरी मीरा’ कहा जाता है. बचपन में जब माता-पिता ने भगवान को भोग लगाने की सीख दी, तो उन्होंने सच्चे भाव से बाजरे का खिचड़ा बनाकर श्रीकृष्ण को अर्पित किया. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर भोग स्वीकार किया.
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नागौर. राजस्थान की पवित्र भूमि संतों और भक्तों की जन्मभूमि रही है, यहां की लोकसंस्कृति में आस्था और भक्ति का भाव हर युग में देखने को मिलता है. इन्हीं भक्तों में एक नाम है कर्मा बाई, जिन्होंने अपने प्रेम और सादगीपूर्ण भक्ति से भगवान श्रीकृष्ण को साक्षात अपने घर बुला लिया था. नागौर जिले के कलवा गांव में जन्मी कर्मा बाई की भक्ति कथा आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध है, उन्हें ‘दूसरी मीरा’ के नाम से भी जाना जाता है.
नागौर के कलवा गांव में कर्मा बाई का एक मंदिर है, जहां आज भी भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. इस मंदिर में यह मान्यता है कि जो भी भक्त कर्मा बाई के सामने मन्नत मांगता है, वह भगवान श्रीकृष्ण तक जरूर पहुंचती है. यहां राजस्थानी व्यंजनों का भोग लगता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
भगवान श्रीकृष्ण ने खुद खिचड़ा खाया
कहा जाता है कि एक दिन जब कर्मा बाई के माता-पिता घर पर नहीं थे, तो जाते समय उन्होंने बेटी से कहा कि खाना खाने से पहले भगवान को भोग जरूर लगाना. बाल्यावस्था में भोली-भाली कर्मा बाई ने अगले दिन बाजरे का खिचड़ा बनाया और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने रख दिया. जब भगवान ने भोग स्वीकार नहीं किया, तो कर्मा बाई ने सोचा शायद घी कम है. उसने और घी डालकर फिर से भगवान से खाने की विनती की, लेकिन खिचड़ा वैसे का वैसा ही रहा. भूख लगने के बावजूद कर्मा बाई ने खुद कुछ नहीं खाया.
कहा जाता है कि उसकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर बालकृष्ण स्वयं प्रकट हुए और खिचड़ा खा लिया. इसके बाद कर्मा बाई रोज भगवान के लिए खिचड़ा बनाती रहीं और श्रीकृष्ण रोज आकर भोग स्वीकार करते रहे. जब माता-पिता लौटे और सारा घी खत्म पाया, तो उन्होंने बेटी की बात पर विश्वास नहीं किया. तब कर्मा बाई ने फिर से खिचड़ा बनाया और भगवान श्रीकृष्ण ने सबके सामने प्रकट होकर भोग स्वीकार किया. यह देखकर उनके पिता दंग रह गए और पुत्री के चरणों में नतमस्तक हो गए.
भगवान जगन्नाथ के मंदिर में पहुंचा भोग
कहा जाता है कि उसी समय जब कर्मा बाई भगवान को भोग लगा रही थीं, ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रसोईघर में अपने आप खिचड़ी प्रकट हो गई. जब पुजारियों ने इसका रहस्य जानने की कोशिश की, तो पता चला कि यह भोग नागौर की कृष्णभक्त कर्मा बाई की भक्ति का परिणाम है. तभी से पुरी के मंदिर में प्रतिदिन कर्मा बाई के खिचड़े का स्मरण किया जाता है और वह भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. कर्मा बाई न सिर्फ एक भक्त थीं, बल्कि वे नारी श्रद्धा, सादगी और समर्पण की जीवंत प्रतीक भी हैं. जिस तरह मीराबाई ने अपने गीतों से श्रीकृष्ण को पाया, उसी तरह कर्मा बाई ने अपने श्रद्धा, सेवा और प्रेम से भगवान को पाया.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 12, 2025, 20:23 IST
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भक्ति ऐसी कि भगवान ने खुद खिचड़ा खाया, जानिए दूसरी मीरा कर्मा बाई की कहानी