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5 करोड़ बनाने का फॉर्मूला: पहले 50 लाख जोड़ने में लगेंगे 8 साल और अंतिम 50 लाख बनेंगे केवल 10 महीनों में

Last Updated:September 17, 2025, 12:48 IST

Investment Tips : फंड्स इंडिया की एक रिपोर्ट में कंपाउंडिंग की ताकत और निवेश में धैर्य के महत्‍व को शानदार ढंग से समझाया है. इसमें बताया गया है कि वक्‍त के साथ चक्रवृद्धि ब्‍याज मिलने पर पैसा कैसे तेजी से बढ़ता है.

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5 करोड़ बनाने का फॉर्मूला: धीमी होगी शुरुआत पर अंत होगा तूफानीजब आप ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक पहुंचते हैं तो तस्वीर बदल जाती है.

नई दिल्‍ली. अगर आप सोचते हैं कि करोड़पति बनना सिर्फ़ किस्मत का खेल है, तो आप बिल्‍कुल गलत सोच रहे हैं. आप भी अगर सही जगह और सही तरीके से पैसा लगाते हैं जहां आपको चक्रवृद्धि ब्‍याज मिले, तो करोड़प‍ति बनने का सपना आपका भी सच हो सकता है. आप केवल 30 हजार रुपये महीने के निवेश से भी पांच करोड़ रुपये का फंड तैयार कर सकते हैं. बस शुरुआत में आपको धैर्य रखना होगा. अगर आपने 8 साल तक धैर्य दिखाते हुए लगातार निवेश करते रहे तो फिर कंपाउंडिंग का जादू अपना असली रंग दिखाना शुरू करेगा. फिर यह सीधी लाइन की तरह नहीं बल्कि बर्फ़ के गोले की तरह आपके पैसे को बढाता है और तेज़ी से लुढ़कने लगता है.

हाल ही में FundsIndia की एक रिपोर्ट में कंपाउंडिंग की ताकत और निवेश में धैर्य के महत्‍व को शानदार ढंग से समझाया है. मान लीजिए आप हर महीने ₹30,000 निवेश करते हैं और आपको औसतन 12% वार्षिक रिटर्न मिलता है. अब जरा देखें कि ₹5 करोड़ का सफर कैसे तय होता है.

पहला पड़ाव है लंबा

शुरुआत हमेशा कठिन होती है. पहले ₹50 लाख जमा करने में आपको पूरे 8 साल 3 महीने लगेंगे. वजह साफ़ है—इस समय तक आपके पास बहुत बड़ा निवेश आधार (कोर्पस) नहीं होता. जो रिटर्न मिलता है, वह छोटा होता है और मुख्य बोझ आपके योगदान पर ही रहता है. असलियत यह है कि पहले ₹50 लाख में से लगभग 59% यानी ₹29.5 लाख आपकी जेब से जाते हैं, जबकि सिर्फ़ 41% यानी ₹20.5 लाख रिटर्न से आते हैं. यही वजह है कि शुरुआती दौर धैर्य और अनुशासन की असली परीक्षा होती है.

दूसरे पड़ाव से कंपाउंडिंग दिखाने लगता है रंग

जब आप ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक पहुँचते हैं, तो तस्वीर बदल जाती है. अब आपका कोर्पस इतना बड़ा हो चुका होता है कि कंपाउंडिंग अपना असली असर दिखाना शुरू कर देती है. इस चरण में नए योगदान की हिस्सेदारी सिर्फ़ 29% यानी ₹14.5 लाख होती है, जबकि रिटर्न का हिस्सा बढ़कर 71% यानी ₹35.5 लाख हो जाता है. यानी अब आपके लिए पैसा आपके पैसे से काम करना शुरू कर देता है.

आखिर में होती है पैसों की बरसात

यात्रा के अंतिम चरण में कंपाउंडिंग का असली जादू दिखता है. जब आपका निवेश ₹4.5 करोड़ पर होता है और आपको आखिरी ₹50 लाख जोड़कर ₹5 करोड़ तक पहुँचना होता है, तो इसमें समय लगता है सिर्फ़ 10 महीने. और इसमें योगदान का अनुपात और भी चौंकाने वाला है. आखिरी ₹50 लाख में से केवल 6% यानी ₹3 लाख आपकी जेब से आते हैं और पूरे 94% यानी ₹47 लाख सिर्फ़ रिटर्न से आते हैं. यही है कंपाउंडिंग का सबसे बड़ा राज़—एक बार जब आपका आधार मजबूत हो जाए, तो पैसा खुद-ब-खुद तेजी से बढ़ता है.

धैर्य बनाएगा धनवान

यह पूरी कहानी सिर्फ़ गणित नहीं, बल्कि निवेशकों के लिए गहरी सीख है.शुरुआती सालों में धीमी प्रगति देखकर हताश न हों. धैर्य और नियमित निवेश ही कंपाउंडिंग को ईंधन देते हैं. जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ही बड़ा लाभ मिलेगा. नए निवेशक अक्सर तेज़ रिटर्न की चाह में गलत फैसले कर बैठते हैं. जबकि असली ताकत लंबी अवधि, अनुशासन और कंपाउंडिंग में है.

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New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

September 17, 2025, 12:48 IST

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