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Slogan of Swadeshi but incomplete information, leaders do not know which are indigenous products, know what is the matter: Uttarakhand

Last Updated:October 15, 2025, 19:02 IST

Indigenous Products: स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का नारा देने वाले नेता खुद स्वदेशी उत्पादों की पहचान से अनजान निकले हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की नसीहत के बाद जब न्यूज 18 ने रियलिटी चेक किया तो कई नेताओं को यह तक नहीं पता था कि कौन से उत्पाद वास्तव में स्वदेशी हैं. स्वदेशी मुहिम नारे से आगे नहीं बढ़ पा रही है.स्वदेशी का नारा लेकिन जानकारी अधूरी, नेताओं को नहीं पता कौन से हैं देशी उत्पादस्वदेशी का ताना बाना , लेकिन क्या बला है स्वदेशी नहीं है खबर ! 

देहरादून. स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का नारा जोर-शोर से बुलंद किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. जिस मुहिम को आत्मनिर्भर भारत और भारतीयता के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है, उसी के प्रचारक नेताओं को यह तक नहीं पता कि असली स्वदेशी उत्पाद कौन से हैं. न्यूज 18 के रियलिटी चेक में यह चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई कि जिन पर स्वदेशी को प्रमोट करने की जिम्मेदारी है, वे खुद ही अधूरी जानकारी रखते हैं.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी थी सलाहतीन दिन पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को स्वदेशी उत्पादों की लिस्ट देखने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था कि सिर्फ नारे लगाने से काम नहीं चलेगा बल्कि स्वदेशी को जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा. रावत ने यह भी कहा था कि कई लोगों को पता ही नहीं कि असली स्वदेशी उत्पाद कौन से हैं. इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि नेता संघ कार्यालय से उत्पादों की लिस्ट देखें और उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें.

रियलिटी चेक में खुली पोलन्यूज 18 ने जब इस बयान के बाद रियलिटी चेक किया तो नतीजे हैरान करने वाले थे. जिन नेताओं के जिम्मे स्वदेशी उत्पादों को प्रमोट करने का दायित्व है, उनमें से अधिकांश को यह तक नहीं पता था कि कौन से उत्पाद स्वदेशी श्रेणी में आते हैं. कई नेता सवालों से बचते दिखे जबकि कुछ ने गोलमोल जवाब देकर बात टाल दी.बीजेपी नेता अनिता मंमगाई और विधायक खजानदास से जब पूछा गया तो उनके जवाबों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि स्वदेशी का नारा देने वाले खुद उसकी परिभाषा से अंजान हैं.

बाजार में नहीं मिल रहे स्वदेशी विकल्पकुछ नेताओं ने यह भी स्वीकार किया कि बाजार में पर्याप्त स्वदेशी उत्पाद उपलब्ध नहीं हैं. उनका कहना था कि विदेशी ब्रांड्स ने इतना बड़ा बाजार बना लिया है कि अब स्थानीय उत्पादों की पहचान मुश्किल हो गई है. बीजेपी की दर्जाधारी मधु भट्ट ने कहा कि अभियान के बाद से वह उबटन और भीमल के साबुन जैसे स्वदेशी उत्पाद बाजार में ढूंढ रही हैं लेकिन वे आसानी से मिल नहीं रहे.

आत्मनिर्भरता का संदेश लेकिन चुनौती बड़ीस्वदेशी को अपनाने की पहल निश्चित रूप से सराहनीय है लेकिन यह भी सच है कि विदेशी उत्पाद अब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं. मोबाइल फोन, कपड़े, कॉस्मेटिक्स से लेकर रसोई तक- हर क्षेत्र में विदेशी ब्रांड्स का बोलबाला है. ऐसे में केवल नारा देने से बात नहीं बनेगी. जरूरत है कि स्वदेशी उत्पादों को न केवल प्रमोट किया जाए बल्कि उनकी उपलब्धता और गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाए ताकि वे बाजार में टिक सकें और विदेशी उत्पादों से मुकाबला कर सकें.

अभियान तभी सफल होगा जब होगा व्यवहारिक परिवर्तनस्वदेशी की भावना तभी मजबूत होगी जब आम जनता और नेता दोनों अपने दैनिक जीवन में देशी उत्पादों का प्रयोग शुरू करेंगे. सिर्फ भाषणों या पोस्टरों से आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा नहीं होगा. इसके लिए स्वदेशी उत्पादों की पहचान, प्रचार और वितरण को प्राथमिकता देनी होगी.

Location :

Dehradun,Uttarakhand

First Published :

October 15, 2025, 19:02 IST

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स्वदेशी का नारा लेकिन जानकारी अधूरी, नेताओं को नहीं पता कौन से हैं देशी उत्पाद

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