Jaipur Royal Family Diwali | Black Clothes Tradition | Diwali History | Cultural Rituals Rajasthan | Royal Family Celebrations | Diwali 2025

Last Updated:October 19, 2025, 16:41 IST
Jaipur Royal Family Diwali 2025: जयपुर राजपरिवार में दिपावली को पारंपरिक रूप से काले कपड़े पहनकर मनाया जाता है. यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसके पीछे धार्मिक मान्यता और सांस्कृतिक इतिहास जुड़ा है. इसे देखकर पता चलता है कि राजपरिवार दिवाली के दौरान अपने रीति-रिवाजों और संस्कारों को कितना महत्व देता है.
दिपावली पर राजस्थान में खासतौर राजपरिवार में आज भी दिपावली उत्साह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं, राजपरिवारों की ऐतिहासिक इमारत सिटी पैलेस से लेकर किलों महलों में जबरदस्त सजावट की जाती हैं. साथ ही कुछ प्राचीन परम्पराओं के साथ राजपरिवारों में दिपावली मानाने अनोखी परम्परा रहती हैं. ऐसे ही राजस्थान में जयपुर राजपरिवार में काले और डार्क ब्लू रंग के कपड़े पहनकर दिपावली मानाने की अनोखी परम्परा जो आज भी राजपरिवार में निभाई जाती हैं. जयपुर राजपरिवार में खासतौर पर हर साल दिपावली पर जयपुर राजपरिवार के सभी सदस्य जिनमें राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, पद्मनाभ सिंह, लक्ष्यराज सिंह, गौरव सिंह सहित सभी परिवार के सदस्य काले रंग की पोशाक पहनते हैं, इसके पीछे कई परम्पराएं और मान्यताएं है. जिसका पालना जयपुर का राजपरिवार वर्षों से करते आ रहा है.
जानकारी के मुताबिक हर साल दिपावली पर जयपुर राजपरिवार में काले कपड़े पहने के परम्परा वर्षों पुरानी हैं कहा जाता है कि पूर्व राज परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों के बलिदान को याद कर काले या डार्क ब्लू कलर के कपड़े पहनता है. शाम ढलते ही जयपुर का पूर्व राजपरिवार इसी तरह के कपड़ों में नजर आता है. कहां जाता हैं कि काले कपड़े पहनने की एक मान्यता यह हैं राजपरिवार युद्ध में अपने पूर्वजों के बलिदान और उनकी शहादत को याद करते हुए राजपरिवार के सभी लोग पीढ़ियों से सिम्बॉलिक रूप में रात को डार्क कपड़े पहनकर उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि देने की परम्परा भी वर्षों से चली आ रही हैं.
राजपरिवार के इतिहास के मुताबिक एक मान्यता यह भी है कि 10वीं शताब्दी में ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में कछवाहा राजा ‘सोध देव’ के निधन के बाद जब उनके भाई ने सिंहासन पर कब्जा जमा लिया तो परेशान होकर रानी अपने पुत्र ‘दूल्हा राय’ को लेकर जयपुर के खोह-नागोरियान इलाके में आ गईं. खोह के राजा चंदा मीना ने रानी को बहन का सम्मान दिया और साथ ही दूल्हा राय की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठाया. लेकिन पति के भाई की इस हरकत पर गहरा रोष और नाराजगी जताने के लिए उन्होंने काली ड्रेस पहनकर दीपावली मनाई. इसके बाद से इसी तरह की दीपावली जयपुर राजपरिवार में मनाई जाने लगी.
राजपरिवार के सदस्यों के मुताबिक अमावस्या की काली रात में काले और नीले कपड़े पहनकर पूर्व राजपरिवार के सदस्य उजाले की कामना करते हैं. अंधकार से उजाले की ओर ले जाने वाला दीपोत्सव का यह पर्व सबकी जिन्दगी में खुशियां और उजाला लेकर आए यह कामना की जाती है. जयपुर के पूर्व राजपरिवार को भगवान राम के वंशज हैं इसलिए भगवान श्रीराम जब 14 साल का वनवास पूरा करके और रावण का वध करके भगवान श्रीराम इसी अमावस्या पर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे.<br />इसी अमावस्या की काली रात के प्रतिक के रूप में काले कपड़े पहने की परम्परा जुड़ी हैं.
जयपुर राजपरिवार के सदस्यों के मुताबिक राजा मानसिंह जी ने एक रूल बुक बनवाई थी. जिसे राजपरिवार के सदस्य ‘रेड बुक’ बोलते हैं, आज भी पोथीखाने में वह बुक मौजूद है. इस ‘रेड बुक’ में खासतौर पर यह मेंशन किया होता है कि कौन से त्योहार और पर्व पर रॉयल फैमिली के सदस्यों को किस तरह की ड्रेस पहननी है. जिसकी परम्परा वर्षों से राजपरिवार पिढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहा हैं. इतिहासकारों के मुताबिक जयपुर का पूर्व राजपरिवार अयोध्या के राजा श्री राम और माता सीता के जुड़वा पुत्रों में से एक कुश के वंशज हैं. जयपुर को पहले ढूंढाड़ (दौसा) या आमेर के नाम से जाना जाता था. ढूंढ़ाड़ राज्य की स्थापना 1093 में (दूल्हा राव) ने की थी, जो अयोध्या के राजा नल के वंशज थे. 1300 से लेकर 1727 तक जयपुर को आमेर के रूप में जाना जाता था.
First Published :
October 19, 2025, 16:41 IST
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