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Last Updated:October 19, 2025, 21:59 IST
ECO Friendly Diwali 2025: राजस्थान के एक गांव में दिवाली पर विशेष परंपरा निभाई जाती है. यहां पटाखों की जगह बर्तन बजाकर गाय, भेड़ और बकरियों को दौड़ाया जाता है. यह सदियों पुरानी परंपरा स्थानीय लोगों द्वारा आज भी निभाई जा रही है. देखने वाले इस अनोखी परंपरा को देखकर दंग रह जाते हैं.
राजस्थान ऐतिहासिक स्थलों और अलग-अलग परपंराओं के लिहाज से अपनी अलग पहचान रखता है. पशुधन के स्वास्थ्य की कामना के लिए भी यहां एक अलग परंपरा है. पाली जिले के धनला गांव में दिवाली के कुछ दिन बाद बरसों से एक परपंरा बरकरार है.जिसको इसबार भी उसी अनुरूप निभाया जाएगा.
200 घरों की आबादी वाले देवासी बाहुल्य मोहल्ले मे चरवाहे परिवारों द्वारा पशुधन के स्वस्थ रहने की कामना के लिए भेड़ और बकरियों को दौड़ाया जाता है. इस परपंरा के तहत बच्चों संग युवतियों और महिलाओं ने अपने हाथों से बर्तन बजाकर रेवड़ भड़काते हुए खूब उत्साह के साथ रस्म को निभाया जाएगा.
मोहल्ले की युवतियां और बच्चे बुजुर्ग महिलाओं के निर्देशन में देवासी समाज के गाजण माता मंदिर के पास घंटों तक डटे रहते है. यहां से दर्जनों चरवाहे रेवड़ लेकर गुजरते हैं. जैसे ही रेवड़ का यहां से निकलना शुरू होता है, तैयार बैठे बाल गोपालों ने बर्तन बजाकर पशुओं को भड़काने का काम शुरू किया जाता है.
देवासी समाज के हरजीराम की माने तो चरवाहे परिवार पशुधन के स्वस्थ रहने की कामना को लेकर पीढ़ियों से इस प्रथा को उत्साह के साथ निभा रहे हैं. इस बार भी पशुधन को एक दिन पहले रंग कर तैयार किया जाएगा. हर साल की तरह इस साल भी रस्म को निभाया जायेगा.
कीरवा गांव में चरवाहों ने परंपरानुसार पशुधन गाय, भेड़-बकरियों को सतरंगी रंगो से रंगकर बाड़े से बाहर निकाला जाएगा और बाद में हाथों में बर्तन और डण्डे लिए पहले से ही मौजूद बच्चों व महिलाओं ने रेवड को भड़काकर खूब दौड़ाया जाएगा. प्राचीन काल से पशुओं की पूजा अर्चना कर पशुओं को रंगने से साल भर पशुओं को बीमारी की आशंका नहीं रहती है.
First Published :
October 19, 2025, 21:59 IST
homerajasthan
OMG! पटाखों से नहीं, बर्तनों की धुन से सजती है राजस्थान की दिवाली