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बिहार में जेएमएम के 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का किसे होगा नुकसान?

जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “पार्टी ने बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है. वह छह विधानसभा सीटें जिनमें चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती (एससी) पर चुनाव लड़ेगी.”

राजद और कांग्रेस ने नहीं मानी बात

उन्होंने आगे कहा, “हमने कांग्रेस, हमने लेफ्ट और बिहार की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक राजद जैसे दलों से सीटें देने का आग्रह किया था. साल 2019 के झारखंड चुनाव में हमने कांग्रेस और राजद को अपना समर्थन दिया था. पार्टी ने न केवल राजद को सात सीटें दीं, बल्कि चतरा से विधायक को मंत्री भी बनाया.”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मौके का फायदा उठाते हुए महागठबंधन पर निशाना साधा है. बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने इसके लिए तेजस्वी यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. मालवीय ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “राहुल और तेजस्वी का अहंकार ही महागठबंधन टूटने की असली वजह है.”

पहले भी उठ चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है जब महागठबंधन की पार्टियों इस तरह के सवाल उठाए हैं. इससे पहले भी महागठबंधन की पार्टियों में चर्चा रही है. मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 25-30 सीटें मांगने के बाद 15 सीटें दी गई हैं. इस कमी से निराशा फैल गई है और सहनी ने बड़े सहयोगियों पर “सामंती सौदेबाजी” का आरोप लगाया था. वो पहले कह चुके है कि गठबंधन अस्वस्थ्य हैं.

जेएमएम के साथ गठबंधन के टूटने के बाद से भारती जनता पार्टी लगातार हमलावर है. बीजेपी के नेता लगातार हमले कर रहे हैं.

विपक्षी महागठबंधन पर तीखा हमला करते हुए, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह बिखराव की स्थिति में है. उन्होंने कहा, “दिल के टुकड़े हज़ार हुए, कोई यहाँ गिरा, कोई वहाँ गिरा.”

महागठबंधन की बढ़ सकती हैं चिंता

लोकनीति-सीएसडीएस परियोजना के सह-निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने फ्रंटलाइन न्यूजपेपर से इन बिहार में इन पार्टियों की प्रभाव पर बात की थी. उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर बताया, छोटे दल वोट स्प्लिट से फायदा ले सकते हैं, लेकिन विपक्ष को एकजुट होना चाहिए. जाति से वर्ग की ओर बदलाव हो रहा है. जेएमएम जैसी दरारें महागठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

लेकिन यहां ये देखना भी जरूरी होगा कि हेमंत सोरेन की पार्टी अपने लक्षित वोटर्स को एक साथ ला पाएगी. बिहार में दो सीटें हैं जो आदिवासी आरक्षित हैं और जेएमएम दावा करती है कि ये पार्टी आदिवासियों का नेतृत्व करती है. पार्टी यहां 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसलिए उन्हें अन्य वोटर्स की भी जरूरत होगी.

झारखंड में भी हैं उपचुनाव

बिहार चुनाव के साथ ही झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इसके लिए शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सोमेश सोरेन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाबूलाल सोरेन ने नामांकन पत्र दाखिल किया है. प्रत्याशियों के नामांकन के बाद घाटशिला में दोनों सियासी धड़ों की ओर से अलग-अलग स्थानों पर जनसभाओं का आयोजन किया जा रहा है.

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 2024 के चुनाव में झामुमो के रामदास सोरेन ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्हें हेमंत सोरेन ने अपने मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के तौर पर जगह दी थी. तीन माह पहले उनके आकस्मिक निधन की वजह से यहां उपचुनाव कराया जा रहा है.

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