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मेट्रो सिटीज को पछाड़ आगे निकले टियर-टू शहर, घर खरीदारों को भा गई कौन सी खासियत? जानें cheap property price and best facilities in tier 2 cities

Which city is best to buy property: भारत के रियल एस्टेट बाजार में हर छह महीने में कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है. घर खरीदारों की पसंद और डिमांड तेजी से बदल रही हैं. पहले मेट्रो शहरों की तरफ भागने का ट्रेंड अब बदलकर छोटे शहरों की तरफ मुड़ गया है. आंकड़े गवाह हैं कि पिछले दो सालों में महानगरों में घर खरीदने के बजाय लोग ऐसे शहरों में घर खरीदना पसंद कर रहे हैं, जहां से मेट्रो शहरों के लिए कनेक्टिविटी तो बेहतर है ही साथ ही उन्हें रहने के लिए ट्रैफिक फ्री, हरा-भरा वातावरण, अच्छी तरह से प्रस्तावित सोसायटीज और सस्ते दामों पर लग्जरी सुविधाएं मिल रही हैं.

आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट मार्केट तेजी से टियर-2 शहरों की ओर शिफ्ट हो रहा है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि सिर्फ 2025 की पहली छमाही में ही 2,898 एकड़ ज़मीन 76 सौदों के जरिए खरीदी-बेची गई है जो 2024 के पूरे साल के आंकड़े से भी ज़्यादा है. इनमें से करीब 991 एकड़ ज़मीन देश के शीर्ष सात शहरों में रही, जबकि इसकी लगभग दोगुनी 1,907 एकड़ टियर-2 और टियर-3 बाजारों में केंद्रित रही. इन लेन-देन में से 1,200 एकड़ से अधिक ज़मीन टाउनशिप, विला और प्लॉटेड हाउसिंग जैसी रेजिडेंशियल परियोजनाओं में गई, जबकि 1,034 एकड़ मिक्स्ड-यूज़ डेवलपमेंट के लिए निर्धारित की गई. ऐसे में उभरते शहरों की ओर यह झुकाव बिल्कुल साफ है.

वहीं पिछले पांच सालों की बात करें तो साल 2021 से लेकर 2025 की पहली छमाही तक करीब 12,000 एकड़ ज़मीन 423 सौदों के जरिए खरीदी-बेची गई, जिससे 841 मिलियन वर्गफुट का डेवलपमेंट पोटेंशियल खुलना एक और महत्वपूर्ण रुझान है. यह खासकर टियर टू शहरों में हुआ, जहां जमीनों की मांग तेजी से बढ़ी है.

लोहिया वर्ल्डस्पेस के डायरेक्टर पीयूष लोहिया कहते हैं कि रियल एस्टेट या प्रॉपर्टी आज जितना भी आगे बढ़ रही है उसमें असली कहानी खरीदारों की है. आज खरीदार टियर-2 शहरों की ओर आकर्षित हो रहा है क्योंकि यहां उसको वो सब सस्ते दामों में मिल रहा है जिसके लिए उसे मेट्रो शहरों में बहुत मोटा पैसा देना पड़ता है. छोटे शहरों में हाईराइज बिल्डिंगों से अलग विला, प्लॉट्स या लो राइज इमारतों के साथ-साथ बड़ा घर, स्वच्छ हवा, कम भीड़भाड़ और बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है. कोविड के बाद से हाइब्रिड और रिमोट वर्किंग ने पेशेवरों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे जहां चाहें वहां रहें न कि केवल वहीं जहां नौकरी मिले. इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों में हाईवे, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड्स ने इन शहरों को पहले से कहीं ज़्यादा कनेक्टेड और निवेश योग्य बना दिया है.

रॉयल ग्रीन रियल्टी के मैनेजिंग डायरेक्टर यशांक वासन कहते हैं कि इंदौर का शीर्ष तीन प्लॉटेड डेवलपमेंट्स मार्केट में उभरना टियर-टू शहरों के विकास का प्रमाण है.सबसे रोमांचक बात यह है कि जमीनी स्तर पर बदलाव अब दिखने लगा है. टियर-2 बाजार अब केवल एक विकल्प भर नहीं रह गए हैं. इन्हें अपने आप में आधुनिक इकोसिस्टम के रूप में तैयार किया जा रहा है. यहां इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित हो रही हैं, जिनमें हेल्थकेयर, शिक्षा, रिटेल और लीजर सभी शामिल हैं न कि सिर्फ हाउसिंग ब्लॉक्स. निवेशकों के लिए यह लंबे समय के मूल्यवान एसेट्स हैं.

वहीं ईएक्सपी रियल्टी इंडिया के प्रेसिडेंट और कंट्री हेड सैम चोपड़ा का कहना है कि इन 10 टियर टू शहरों में मात्र तीन वर्षों में 4.7 लाख प्लॉटों की लांचिंग, निर्मित इकाइयों से भूमि स्वामित्व की ओर खरीददारों के व्यवहार में निर्णायक बदलाव को दर्शाती है. भारतीय परिवारों के लिए यह एक ऐसा जीवनशैली मॉडल है जो आकर्षक भी है और हासिल करने योग्य भी है. यही वजह है कि शहरी विकास का अगला चरण अब केवल मुंबई, बेंगलुरु या दिल्ली नहीं बल्कि लखनऊ, मुरादाबाद, इंदौर, सोनीपत और कोयंबटूर जैसे शहरों से भी तय होगा.

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