इस पारंपरिक गहने के बिना राजस्थानी श्रृंगार है अधूरा, शादी के दौरान पहनती है दुल्हन, जानें इसका महत्व

Last Updated:October 26, 2025, 08:39 IST
Rajasthan Traditional Jewelry Shishphool: नागौर का पारंपरिक शीशफूल गहना सिर की शोभा बढ़ाने के साथ राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक है। शादी, त्योहार और सांस्कृतिक आयोजनों में इसकी मांग बढ़ी है. कारीगर सोने, चांदी, मोती और कुंदन से इसे सजाते हैं, जिससे स्थानीय सुनारों को रोजगार और युवाओं को पारंपरिक श्रृंगार का अवसर मिलता है.
ख़बरें फटाफट
नागौर. राजस्थान अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी जाना जाता है. यहां के धरोहर, खानपान और पहनावा इसे अलग बनाता है. बात यहां के आभूषण की करे तो आज भी राजस्थान में पारंपरिक गहनों का अधिक चलन है. ये पारंपरिक आभूषण न केवल सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि प्राचीन समय से चले आ रहे रीति-रिवाज का तोहफा है. ऐसा ही राजस्थानी पारंपरिक ग़हना है शीशफूल, यह गहना राजा महाराजाओं के समय रानियां की सुंदरता की समान मानी जाती थी. वर्तमान समय में उनकी मांग बढ़ती ही जा रही है.
शिशफूल के बिना राजस्थानी श्रृंगार अधूरा
शिशफूल को सिर के बीचो-बीच या मुकुट की तरह बालों में सजाया जाता है. यह माथे की रेखा और बालों की सुंदरता को और निखार देता है. अक्सर इसे मांग टीका या माथा पट्टी के साथ पहनकर पूरा राजस्थानी श्रृंगार पूरा किया जाता है. नागौर के कारीगर इसे बहुत बारीकी से बनाते हैं. शीशफूल को सोने-चांदी, मोती, कुंदन, माणिक्य और पन्ना जैसे कीमती रत्नाें से सजाया जाता है. स्थानीय कारीगर पारंपरिक डिजाइनों के साथ-साथ आधुनिक डिजाइन में भी इसे तैयार करते हैं, ताकि यह हर पीढ़ी की पसंद बना रहे. शिशफूल पारंपरिक गहने की बढ़ती मांग ने नागौर के स्थानीय सुनारों को नए रोजगार के अवसर दिए हैं. पहले जहां यह केवल ऑर्डर पर बनता था, अब इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई है. कारीगर इसे सीजनल तैयारी के साथ पहले से बनाने लगे हैं.
शादी के समय दुल्हन पहनती है शीशफूल
बुजुर्ग ग्रामीण महिला गीता देवी ने बताया कि पहले शीशफूल को केवल शादियां खास अफसर पर दुल्हन पहनती थी. लेकिन अब इसकी मेहता फैशन और सांस्कृतिक आयोजनों में दिखने लगी है. नागौर की युवतियां अब इसे राजस्थानी पारंपरिक पहनावे के साथ फोटोशूट, स्कूल कल्चरल प्रोग्राम और त्योहारों में पहनना पसंद कर रही है. यह सिर्फ गहना नहीं, बल्कि राजस्थानी पहचान और गौरव का प्रतीक बन चुका है. आधुनिक दौर में डिजाइनरों ने शिशफूल को नया रूप दिया है. हल्की वजन, ट्रेडिंग डिजाइन और नकली कुंदन मोती से इसकी बनावट और भी सुंदर बनने लगी है. नागौर के ज्वेलरी बाजार में इसकी बिक्री में पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.
deep ranjan
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 26, 2025, 08:39 IST
homelifestyle
इस पारंपरिक गहने के बिना राजस्थानी श्रृंगार है अधूरा, जानें इसका महत्व



