वायरल बीमारी से भेड़ों की सैकड़ों मौत, पशुपालक चिंतित

Last Updated:October 27, 2025, 19:59 IST
जालोर जिले के रामा और आहोर क्षेत्र में भेड़ों में फैल रही रहस्यमयी बीमारी ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है पिछले सात दिनों में रामा में 60 से ज्यादा भेड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि आहोर क्षेत्र के कई गांवों में भी रोजाना भेड़ों के मरने की खबरें आ रही हैं. संक्रमित भेड़ों में अचानक कमजोरी, चक्कर आना और मुंह से झाग या खून निकलने जैसे लक्षण दिख रहे है.
जालोर जिले के आहोर और रामा क्षेत्र में भेड़ों में एक अज्ञात वायरल बीमारी तेजी से फैल रही है. पिछले सात दिनों में रामा में करीब 60 से अधिक भेड़ों की मौत दर्ज की गई है, वहीं आहोर क्षेत्र के कई गांव—गुड़ारामा, मालगढ़, नोसरा, दुदिया, किशनगढ़, मुलेवा, मोहिवाड़ा और गोविंदला में भी इसी बीमारी से सैकड़ों भेड़ों की मौत की सूचना है. लगातार हो रही इन मौतों के कारण पशुपालकों में भय और निराशा का माहौल बन गया है.

बीमारी के लक्षण भी बेहद चिंताजनक हैं। पशुपालकों के अनुसार, संक्रमित भेड़ें अचानक कमजोर पड़ जाती हैं, खाना-पीना बंद कर देती हैं, और मुंह या नाक से खून या झाग निकलने लगता है. कई मामलों में, भेड़ें इन लक्षणों के कुछ ही घंटों में दम तोड़ देती हैं. रामा क्षेत्र में देखा गया है कि संक्रमित पशु सात दिन तक खाना नहीं खाते और अंततः उनकी मौत हो जाती है. ये सभी संकेत किसी गंभीर वायरल संक्रमण की ओर इशारा कर रहे हैं, लेकिन बीमारी का सटीक कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.

भंवरानी में जोधपुर से आई डॉक्टरों की टीम ने रामा और आसपास के गांवों से संक्रमित भेड़ों के सैंपल लिए हैं, ताकि लैब जांच के बाद बीमारी की प्रकृति का पता लगाया जा सके. वहीं, भाद्राजून प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के डॉक्टर जावेद हुसैन ने बताया कि यह बीमारी वायरल संक्रमण जैसी प्रतीत हो रही है. इसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और विभागीय स्तर पर दवा और रोकथाम के उपाय भी शुरू कर दिए गए हैं.

पशुपालकों का आरोप है कि विभाग की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. भीखाराम, कालूराम और मगजीराम जैसे कई भेड़पालकों का कहना है कि अगर समय पर वैक्सीन और इलाज की व्यवस्था की जाती, तो इतने बड़े नुकसान से बचा जा सकता था. उनका आरोप है कि विभाग की टीमों ने प्रभावित गांवों का ठीक से सर्वेक्षण नहीं किया और किसी भी गांव में विशेष चिकित्सा शिविर नहीं लगाए गए.

लगातार बढ़ती मौतों के चलते ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है. पशुपालकों का कहना है कि यदि बीमारी प्रभावित इलाकों में मोबाइल चिकित्सा शिविर लगाए जाएं, तो एक ही स्थान पर उपचार, दवा और जांच की सुविधा मिल सकेगी. साथ ही, संक्रमित और स्वस्थ भेड़ों को अलग रखने, साफ-सफाई बनाए रखने और नियमित टीकाकरण जैसे उपायों पर भी जोर दिया गया है.

इस बीमारी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका दिया है. एक भेड़ की औसत कीमत ₹10,000 से ₹15,000 के बीच होती है. ऐसे में सैकड़ों भेड़ों की मौत से पशुपालकों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. कई परिवार, जिनकी जीविका भेड़ पालन पर निर्भर थी, अब कर्ज और चिंता में डूब गए हैं. ग्रामीणों ने विधायक, जिला कलेक्टर और विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे स्थिति पर तुरंत संज्ञान लेकर राहत सामग्री, दवा और वैक्सीन की पर्याप्त व्यवस्था करें.
First Published :
October 27, 2025, 19:59 IST
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जालोर में वायरल बीमारी से भेड़ों की सैकड़ों मौत, पशुपालक चिंतित



