Thar Desert Green Revolution with Grafting Technique

Barmer: थार के तपते रेगिस्तान में हरियाली की कल्पना करना भी कभी मुश्किल माना जाता था, लेकिन बालोतरा के समदड़ी उपखंड क्षेत्र के सिलोर गांव के किसान माधोसिंह राजपुरोहित ने अपनी लगन और नई तकनीक से इस असंभव को संभव कर दिखाया है. उन्होंने महाराष्ट्र के किसानों से ग्राफ्टिंग (Grafting) तकनीक सीखकर उसे अपने खेतों में लागू किया और आज उनकी मेहनत से थार की रेत में चीकू, संतरा, नींबू, आम जैसी फसलें लहलहा रही हैं. यह सफलता थार क्षेत्र के किसानों के लिए एक नई प्रेरणा बनकर उभरी है.
जहां कभी रेत के सिवा कुछ नहीं दिखता था, अब वहां फलों के बागान नजर आने लगे हैं. माधोसिंह ने बताया कि उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय ग्राफ्टिंग विधि अपनाई, जिसमें दो पौधों को जोड़कर एक नई, अधिक मजबूत और रोग प्रतिरोधक प्रजाति तैयार की जाती है.
ग्राफ्टिंग तकनीक के फायदे:
इससे पौधों को न केवल कम पानी में अधिक उत्पादन मिलता है.
बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी लंबे समय तक बनी रहती है.
पौधे तेजी से बढ़ते हैं और बीमारी से बचे रहते हैं.
महाराष्ट्र की तकनीक से थार में नई उम्मीदमाधोसिंह ने महाराष्ट्र में किसानों से यह उन्नत तकनीक सीखकर लौटने के बाद प्रयोग शुरू किया. शुरुआत में, उन्होंने छोटे स्तर पर नींबू और चीकू की ग्राफ्टिंग की, जो बेहद सफल रही. इस सफलता से उत्साहित होकर, धीरे-धीरे उन्होंने आम और संतरे के पौधों पर भी यह तकनीक अपनाई. आज उनके खेतों में दर्जनों फलदार पेड़ हरे-भरे खड़े हैं और अच्छी पैदावार दे रहे हैं, जिससे उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफा हो रहा है.
कम पानी में अधिक पैदावार का मंत्ररेगिस्तान में पानी की कमी हमेशा से खेती की सबसे बड़ी चुनौती रही है, लेकिन माधोसिंह ने साबित कर दिया कि सही तकनीक से कम पानी में भी शानदार उत्पादन संभव है. ग्राफ्टिंग से बने पौधे कम सिंचाई में भी स्वस्थ रहते हैं और थार के कठोर मौसम का सामना आसानी से कर पाते हैं. उन्होंने बूंद-बूंद सिंचाई (Drip Irrigation) को ग्राफ्टिंग तकनीक के साथ जोड़कर ‘कम पानी में अधिक पैदावार’ के मंत्र को सिद्ध किया है.
गांव के अन्य किसान भी प्रेरितमाधोसिंह की इस पहल से अब पूरे क्षेत्र के किसान प्रेरित हो रहे हैं. कई किसान उनके खेतों का दौरा कर यह ग्राफ्टिंग तकनीक सीख रहे हैं ताकि वे भी अपने खेतों में इसका प्रयोग कर अपनी आय बढ़ा सकें. माधोसिंह का मानना है कि—
“रेगिस्तान में खेती मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. अगर किसान मेहनत और नई तकनीक अपनाएं, तो रेत भी सोना उगा सकती है और वे मालामाल हो सकते हैं.”



