Rajasthan

Amla Farmers Facing Price Crash in Dausa

Last Updated:November 01, 2025, 08:11 IST

Dausa: दौसा जिले के आंवला किसानों को इस बार भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. पूरे साल की मेहनत के बावजूद बाजार में खरीदार नहीं मिल रहे, जिससे आंवला खेतों में सड़ने लगा है. किसानों को पिछले साल के मुकाबले आधे दाम भी नहीं मिल रहे. जहां पहले 40–50 रुपए किलो तक कीमत थी, अब मात्र 15–20 रुपए तक रह गई है. गीजगढ़ और आसपास के किसानों का कहना है कि व्यापारी फसल देखकर भी खरीद से पीछे हट रहे हैं.

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दौसा जिले में इस बार आंवला किसानों की मेहनत पर बाजार के मंदे हालात ने पानी फेर दिया है. पूरे साल पसीना बहाकर फसल तैयार करने वाले किसान अब खरीदारों के इंतजार में परेशान हैं. बाजार में मांग घटने और व्यापारियों के पीछे हटने से आंवला खेतों में ही सड़ने लगा है. गीजगढ़ के किसान शिवचरण सैकड़ा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया, “हमने एक व्यापारी को एक लाख रुपए में आंवला बेचने का सौदा किया था, लेकिन बाद में उसने लेने से मना कर दिया. इसके बाद कई व्यापारी खेत देखकर गए, पर किसी ने भी खरीद नहीं की. इस बार मौसम भी अच्छा रहा, फसल भी बढ़िया हुई, फिर भी दाम गिर गए और खरीददार नदारद हैं.” किसानों को समझ नहीं आ रहा कि इतनी अच्छी उपज होने के बावजूद यह स्थिति क्यों बनी है.

आंवले के दाम में आई भारी गिरावट ने किसानों की कमर तोड़ दी है. पिछले साल किसानों को प्रति किलो 40 से 50 रुपए तक मिलते थे, जबकि इस बार 15 से 20 रुपए प्रति किलो भी नहीं मिल रहे हैं. मांग कम होने और खरीदारों की कमी के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही है, जिससे लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. कई किसानों के खेतों में आंवले अब पेड़ों से टूटकर नीचे गिर रहे हैं और सड़ने लगे हैं, जिससे उनकी साल भर की मेहनत बर्बाद हो रही है. फसल की कटाई और ढुलाई का खर्च भी किसानों को घाटे में डाल रहा है.

किसानों में निराशा, खेती छोड़ने की सोच में कई किसानदौसा जिले में सैकड़ों किसान इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि जब फल तैयार होता है, तो खरीददार नहीं आते, और जब उम्मीद बनती है, तब तक माल खराब हो जाता है. आंवले की खेती में लागत और जोखिम दोनों अधिक होते हैं, ऐसे में उचित मूल्य न मिलने से किसानों में भारी निराशा है. कई किसानों ने अब आंवला खेती से मुंह मोड़ने और अगली बार अन्य वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करने की बात कही है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो आने वाले वर्षों में क्षेत्र में आंवले का उत्पादन प्रभावित हो सकता है.

किसानों की सरकार से मांग, तय हो MSP या सहकारी खरीदइस गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए किसानों ने प्रशासन से गुहार लगाई है. उनकी प्रमुख मांग है कि सरकार आंवला जैसी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करे या सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की व्यवस्था बनाए. किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो यह स्थिति और गंभीर आर्थिक संकट का कारण बन सकती है. समय पर सरकारी हस्तक्षेप ही उनकी मेहनत को बचा सकता है.

Location :

Dausa,Dausa,Rajasthan

First Published :

November 01, 2025, 08:11 IST

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मेहनत बेकार! दौसा के आंवला किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार, खेतों में सड़

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