– कांग्रेस संगठन विस्तारः दो निगम वाले तीन शहरों में अल्पसंख्यक वर्ग से अध्यक्ष बनना तय, असंतोष भी उभरा

जयपुर। प्रदेश में लंबे समय से ही सत्ता और संगठन से नाराज चल रहे अल्पसंख्यक वर्ग को साधना की कवायद अब सीधे ही कांग्रेस आलाकमान ने शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और महापौर चुनाव को लेकर अल्पसंख्यक वर्ग में चल रही नाराजगी को दूर करने के लिए अब उन्हें संगठन में अहमियत दी जा रही है। यही वजह है कि संगठन विस्तार और जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों में अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को एडजस्ट किया जा रहा है।
वहीं दो नगर निगम वाले जयपुर, जोधपुर, कोटा शहर में भी अल्पसंख्यक वर्ग से ही अध्यक्ष बनाया जाना भी अब तय हो गया है। इसकी कमान खुद अब प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने अपने हाथ में ली है और प्रदेश नेतृत्व को भी साफ संकेत दे दिए हैं कि दो नगर- निगम वाले जयपुर, जोधपुर, कोटा में दो-दो शहर अध्यक्ष बनाए जाएंगे, जिनमें एक 1-1 अध्यक्ष अल्पसंख्यक वर्ग से होगा। प्रदेश प्रभारी अजय माकन की इस कवायद को 2023 के विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की इस कवायद का प्रदेश कांग्रेस में ही अंदर खाने विरोध है। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता इस फैसले का अंदर खाने विरोध दर्ज करा कर आ चुके हैं।
जयपुर हेरिटेज. जोधपुर उत्तर और कोटा उत्तर में अल्पसंख्यक वर्ग से अध्यक्ष
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो दो नगर निगम वाले जयपुर, जोधपुर, कोटा में दो-दो शहर अध्यक्ष बनाए जाने हैं जिनमें जयपुर हेरिटेज, कोटा उत्तर और जोधपुर उत्तर से अल्पसंख्यक वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना तय है।
माकन के समक्ष भी नियुक्ति का विरोध
विश्वस्त सूत्रों की माने तो जयपुर, जोधपुरस कोटा में अल्पसंख्यक वर्ग को जिलाध्यक्ष बनाए जाने के फॉर्मूले की चर्चाओं के बीच पार्टी के कई नेता भी दिल्ली जाकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के समक्ष नाराजगी दर्ज करा चुके हैं लेकिन प्रदेश प्रभारी माकन ने साफ स्पष्ट कर दिया है कि इस फैसले में अब कोई बदलाव नहीं हो सकता है।
अल्पसंख्यक वर्ग में इसलिए नाराजगी
दऱअसल प्रदेश में अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी की वजह यह भी है कि विधानसभा-लोकसभा चुनाव में बंपर वोटिंग के बावजूद न तो उन्हें मंत्रिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला और न ही उनसे जुड़े बोर्ड- निगमों और आयोगों में अभी तक सरकार की ओर से कोई नियुक्ति की गई है, जिससे उनके कामकाज प्रभावित हो रहे हैं।
इधर बताया जा रहा है कि अल्पसंख्यक वर्ग को संगठन में अहमियत देने की वजह यह भी है कि कांग्रेस पार्टी को आशंका है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक की नाराजगी भारी ना पड़ जाए, एमआईएम और दूसरी क्षेत्रीय दलों की तरफ उनका झुकाव हो सकता है। ऐसे में उसका परंपरागत वोट बैंक छिटक नहीं जाए इसी के चलते यह कवायद शुरू की गई है।
महापौर चुनाव से ही नाराज है अल्पसंख्यक वर्ग
प्रदेश में पिछले साल अक्टूबर माह में जयपुर, जोधपुर, कोटा में हुए नगर निगम चुनाव में जीत के बावजूद अल्पसंख्यक वर्ग से महापौर नहीं बनाए जाने के बाद कांग्रेस से जुड़े अल्पसंख्यक नेताओं ने अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के बाहर भी धरने प्रदर्शन हुए थे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के समक्ष भी अल्पसंख्यक नेताओं ने विरोध दर्ज कराया था। तब से ही अल्पसंख्यक वर्ग में पार्टी और सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।