स्लीप डिवोर्स क्या है… जो टूटते रिश्तों को जोड़ने का कर रहा काम, जानिए कपल्स के बीच क्यों बढ़ रहा ट्रेंड

Sleep Divorce In Relationship: बदलाव प्रकृति का नियम है… गर्मी के बाद सर्दी और फिर बरसात यानी मौसम का बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि, समय के साथ रिश्तों में भी बदलाव आते हैं, क्योंकि व्यक्ति और उनकी परिस्थितियां बदलती हैं. कई बार ये बदलाव इतने खतरनाक हो जाते हैं कि रिश्ते टूटने तक की नौबत आ जाती है. फिर इन्हें संभालने के लिए लोग तमाम तरह की कोशिशें करते हैं. इन्हीं कोशिशों के बीच आजकल एक नया ट्रेंड तेजी से फेमस हो रहा है. और इसको नाम दिया गया है स्लीप डिवोर्स (Sleep Divorce). इसके जरिए वर्किंग कपल्स अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को मजबूत बना रहे हैं. कपल्स के बीच होने वाले लड़ाई-झगड़ों से निजात मिल रही है. अब कुछ लोग स्लीप डिवोर्स को सही बता रहे हैं तो कुछ गलत भी. अब सवाल है कि आखिर स्लीप डिवोर्स क्या है? क्या हैं इसके फायदे और नुकसान? कपल्स के बीच क्यों बढ़ रहा स्लीप डिवोर्स का ट्रेंड? आइए जानते हैं बारे में-
स्लीप डिवोर्स क्या है?
स्लीप डाइवोर्स (sleep divorce), जिसमें कपल्स अपनी जरूरतों और कंफर्ट के हिसाब से अलग-अलग सोना पसंद करते हैं. इस ट्रेंड को हमारी आजकल की लाइफस्टाइल और वर्क कल्चर ने ही जन्म दिया है. कई बार आपने देखा होगा कि आपके खर्राटे लेने की आदत, एक पार्टनर की नाइट शिफ्ट या देर रात तक फोन में लगे रहने की आदत से दूसरे पार्टनर की नींद में खलल पैदा होती है. इसके चलते दोनों के बीच कई बार लड़ाई-झगड़े तक की नौबत आ जाती है. ऐसा किसी एक के साथ नहीं, कई लोगों की यह समस्या बन चुकी है. इस तरह की समस्या का समाधान ही स्लीप डिवोर्स है.
कपल्स के बीच क्यों बढ़ा स्लीप डिवोर्स का ट्रेंड?
स्लीप डिवोर्स का ट्रेंड शहरों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. दरअसल, आजकल वर्किंग कपल्स के लिए पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच तालमेल बिठाकर चलना चुनौती बन चुका है. जिस वजह से कई कपल्स का ज्यादातर वक्त लड़ते-झगड़ते ही बीतता है और जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है, तो अलगाव का ही ऑप्शन बचता है, लेकिन एक और ऑप्शन है जिसे अपनाकर आप इन मनमुटावों को दूर कर सकते हैं वो है स्लीप डिवोर्स.
स्लीप डिवोर्स पर क्या कहती है रिसर्च
स्लीप डिवोर्स का कॉन्सेप्ट अमेरिका जैसे देशों में सबसे पहले आया. अब भारत में लोग तेजी से फॉलो कर रहे हैं, जिसका फायदा भी मिल रहा है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन 2024 की रिसर्च से पता चलता है कि, 29 फीसदी अमेरिकियों ने रात के वक्त पार्टनर से अलग दूसरे कमरे में सोना पसंद किया. जबकि, 2023 में ये आंकड़ा करीब 20 फीसदी था.
स्लीप डिवोर्स के मामलों में भारत टॉप लिस्ट में
स्लीप फाउंडेशन डॉट ओआरजी के मुताबिक, 53 प्रतिशत लोग जिन्होंने स्लीप डायवोर्स को अपना है. ऐसा करने से उन्होंने बेहतर नींद भी पाई है. रिसर्च के मुताबिक, जो लोग अलग-अलग कमरे में सोते हैं वे एकसाथ सोने वाले कपल्स की तुलना में हर रात करीब 37 मिनट ज्यादा सोते हैं. आज भारत में करीब 78 फीसदी लोग स्लीप डिवोर्स को फॉलो कर रहे हैं.
क्यों अपनाना चाहिए स्लीप डिवोर्स
भारत में स्लीप डिवोर्स का कॉन्सेप्ट तेजी से ट्रेंड हो रहा है. बता दें कि, शरीर को चलाने के लिए खाना और नींद ये दो सबसे जरूरी चीजें हैं. इन दो चीज़ों की कमी आपके पूरे रुटीन में दखल पैदा कर सकती है. कई बार ये रिश्तों में खटास भी पैदा कर सकती है. इस परेशानी को दूर करने में स्लीप डिवोर्स काफी प्रभावी साबित हो रहा है. यानी हैप्पी मैरिड लाइफ का अंत बिल्कुल न समझें, बल्कि ये सोचें कि अगर व्यक्ति तनावमुक्त रहेगा तो हर एक चीज को आसानी से मैनेज कर सकता है.
स्लीप डिवोर्स रिलेशनशिप के लिए कैसे घातक
– बेडरूम में एक साथ सोने से पार्टनर के साथ प्यार और कई तरह की शिकवा-शिकायतें दूर होती हैं. इससे एक-दूसरे को समझते हैं और आपसी कनेक्शन बिल्ड अप होता है. वहीं, स्लीप डिवोर्स में इन चीजों के लिए वक्त ही नहीं मिलता, जिससे अटैचमेंट में कमी आने लगती है.
– जो कपल्स अलग-अलग कमरों में सोते हैं उनमें रोमांस धीरे-धीरे कम होने लगता है. ये आपकी शादीशुदा जिंदगी को डिस्टर्ब कर सकता है. इसके अलावा, पर्सनल लाइफ से जुड़ी किसी भी तरह की प्रॉब्लम आपके प्रोफेशनल लाइफ को भी प्रभावित करती है.
– पूरा दिन ऑफिस फिर घर के कामकाज निपटाने के बाद रात का ही वक्त होता है जब उन्हें एक-दूसरे के साथ समय बिताने का मौका मिलता है. ऐसे में अलग-अलग सोने का डिसीजन दोनों के ही लिए मुश्किल भरा हो सकता है. इससे आपसी मनमुटाव बढ़ने लगता है.



