Rajasthan

Zinc and Copper Minerals: आयरन ओरे, लेड जिंक और कॉपर की क्षेत्र सीमा में हो बढ़ोतरी

जयपुर। आयरन ओरे, लेड व जिंक और कॉपर खनिज के प्रोस्पेक्टिव लाइसेंस के लिए अधिकतम क्षेत्र सीमा 25-25 वर्ग किमी से बढ़ाकर 100-100 वर्ग किमी और आयरन ओरे के माइनिंग लाइसेंस की अधिकतम क्षेत्र सीमा 10 वर्ग किमी से बढ़ाकर 50 और लेड व जिंक के माइनिंग लाइसेंस की अधिकतम क्षेत्र सीमा 10 वर्ग किमी से बढ़ाकर 100 वर्ग किमी करने के केन्द्र सरकार स्तर पर लंबित प्रकरण का राजस्थान सरकार ने शीघ्र निस्तारण करने का आग्रह किया है। इससे इन खनिजों के ऑक्शन की राह प्रशस्त होगी और स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा बढऩे के साथ ही सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
लाइमस्टोन के खनन पट्टों को अप्रधान खनिज से प्रधान खनिज मेें परिवर्तित करने के राज्य सरकार के प्रकरण पर भी शीघ्र निर्णय करने को कहा। लाइमस्टोन के खनन पट्टों को माइनर से मेजर में परिवर्तित करने से राज्य में रोजगार के अवसर बढऩे के साथ ही राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। राजस्थान पोटाश के भण्डार वाला एकमात्र प्रदेश है ऐसे में पोटाश की दरों का भी प्राथमिकता से निर्धारिण किया जाए ताकि पोटाश खनन प्लॉटों के ऑक्शन की कार्यवाही शुरु की जा सके।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में खनन प्लॉटों के चिंहीकरण और ऑक्शन कार्य में तेजी लाई गई है। नए खाज व खनन कार्य के लिए आवश्यकतानुसार आउट सोर्सिंग भी की जाएगी, ताकि खनन खोज व ऑक्शन कार्य को और अधिक गति दी जा सके। केन्द्रीय खान सचिव आलोक टंडन ने बताया कि लाइम स्टोन के अप्रधान खनिज से प्रधान खनिज में परिवर्तित करने का प्रकरण हिमाचाल प्रदेश से रिपोर्ट आने के लिए पेडिंग है। टंडन ने राजस्थान के सभी विचाराधीन प्रकरणों पर शीघ्र निस्तारण का विश्वास दिलाया। बैठक में प्रधान खनिजों की रायल्टी दरों में संशोधन के विचाराधीन प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय करने, राजस्थान में खनन ब्लॉकों के चिन्हीकरण और पीएल व एमएल प्रगति आदि पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

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