अलवर में चना खेती: सही समय, तकनीक और रोग नियंत्रण उपाय

Last Updated:November 08, 2025, 17:35 IST
Agriculture: अलवर जिले में चने की खेती कम होती है, लेकिन किसान इसे बड़े पैमाने पर उगाते हैं. बुवाई का सही समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक है. खेतों की अच्छी जुताई और समय पर बुवाई से फसल की उपज बेहतर होती है, किसान आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
अलवर. जिले में सरसों और गेहूं की तुलना में चने की खेती कम होती है, लेकिन किसान फिर भी बड़ी संख्या में चना बोते हैं. जिले में चने की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर तक माना जाता है. इन दिनों किसान इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. खेतों की अच्छी जुताई कर किसान चने की बुवाई जोरों पर कर रहे हैं, विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर बुवाई और सही नमी होने पर चने की उपज बेहतर मिलती है. जिले के कई क्षेत्रों में किसान आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
गांव बंबोरा निवासी किसान टीटू सैनी ने बताया कि चने की खेती करने से पहले खेत में 3-4 ट्रैक्टर से जोत लगानी चाहिए. इसके बाद चने के बीज को अच्छे तरीके से सुखाकर खेत में गहरी बिजाई करनी चाहिए. जिले में अभी चना अच्छा निकल रहा है, लेकिन इसमें शुरू में विल्ट रोग लगता है, जिसके बचाव के लिए किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर उपचार करना चाहिए.
कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार मिट्टी का प्रशिक्षण करवाएं
किसान ने बताया कि अगर यह रोग लगता है तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार मिट्टी का प्रशिक्षण करवा कर उसमें मैनकोज़ेब 63% और कार्बेंडाजिम 12% डालते हैं, ताकि लगने वाले रोगों पर नियंत्रण पाया जा सके. किसान एक एकड़ खेत में 15 से 18 किलो तक चने का बीज डाल सकते हैं. किसान का कहना है कि अगर आप बेहतर तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो सबसे पहले मिट्टी का परीक्षण कराना बेहद जरूरी है. मिट्टी परीक्षण से यह पता चलता है कि उसमें कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है, इसके बाद खेत की गहरी जुताई करें और समय पर बुवाई (उराई) करें.
दो विधियों से की जाती है चने की खेती
किसान ने बताया कि चने की खेती दो विधियों से की जाती है छीटका विधि और उराई विधि। प्रगतिशील किसानों का मानना है कि यदि बीज को उराई विधि से उचित गहराई में बोया जाए, तो फसल की वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन भी अधिक मिलता है. इस विधि से फसल में रोग लगने की संभावना भी काफी कम हो जाती है. किसान ने बताया कि चने की खेती मुख्यतः शुष्क (ड्राई) क्षेत्रों में की जाती है. इसमें केवल एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिसके बाद फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। इस विधि से एक एकड़ खेत में लगभग 25 से 30 मण तक चने का उत्पादन प्राप्त होता है.
Monali Paul
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें
Location :
Alwar,Rajasthan
First Published :
November 08, 2025, 17:35 IST
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