Mini Fountain Irrigation Success Story of Bal Swaroop Meena

Last Updated:November 14, 2025, 08:51 IST
Dausa News: पूर्व अधिकारी बाल स्वरूप मीणा आज आधुनिक खेती के अग्रणी किसान बन गए हैं. मिनी फव्वारा प्रणाली अपनाकर वे कम पानी में अधिक पैदावार ले रहे हैं. सरसों की फसल में इस तकनीक का बेहतरीन असर देखने को मिला है. सरकारी सब्सिडी से किसानों के लिए तकनीक अपनाना आसान हुआ है, और यह प्रणाली क्षेत्र में गिरते भूजल स्तर के बीच एक प्रभावी समाधान बनी है.
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दौसा. दौसा जिले के सिकराय उपखंड के रहने वाले बाल स्वरूप मीणा आज आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने वाले उन्नत किसान के रूप में पहचाने जाते हैं. लेकिन उनकी यात्रा ने कई मोड़ देखे हैं. मीणा ने अपना करियर कृषि प्रसार अधिकारी के तौर पर शुरू किया था. समर्पण और दक्षता के चलते उनका प्रमोशन होता रहा और वे विकास अधिकारी बने. टोडाभीम, रैणी, राजगढ़, बड़ी नादौती और सिकराय जैसी कई पंचायत समितियों में उन्होंने वर्षों तक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. इसके बाद कृषि विभाग में उनका पदोन्नति होकर सहायक निदेशक के पद पर नियुक्ति हुई. इस पद पर रहते हुए मीणा ने धौलपुर, दौसा सहित कई जिलों में कृषि योजनाओं, किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी जागरूकता को बढ़ावा दिया. उनका किसानों से गहरा जुड़ाव ही उन्हें सेवा निवृत्ति के बाद पूर्णकालिक किसान बनने के लिए प्रेरित करता रहा.
मीणा बताते हैं कि सरकारी सेवा के दौरान भी उनका रिश्ता खेती से कभी कम नहीं हुआ. समय निकालकर वे हमेशा खेत जाते थे और नई तकनीकों का प्रयोग करने की कोशिश करते थे. उनका यह लगातार प्रयास आज फल दे रहा है. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने आधुनिक तकनीक आधारित खेती को पूरी तरह अपनाया और इसी के चलते आज वे क्षेत्र के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं. वे न केवल फसल उगा रहे हैं, बल्कि आस-पास के किसानों को तकनीकी खेती के गुर भी सिखा रहे हैं.
भूजल संकट के बीच मिनी फव्वारा बना समाधानक्षेत्र में लगातार गिरते भूजल स्तर ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. पहले जहाँ सिंचाई के लिए बरुआ और क्यारी पद्धति का प्रयोग होता था, वहीं अब पानी की कमी के कारण यह तरीका अप्रभावी हो गया है. ऐसे में मीणा ने अपने खेत में मिनी फव्वारा सिंचाई प्रणाली स्थापित की है. इस तकनीक से पानी की महीन बूंदें पूरे खेत में समान रूप से फैलती हैं, जिससे कम पानी में भी फसल को पर्याप्त नमी मिलती है. यह प्रणाली पानी के प्रभावी प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण है.
सरसों की फसल में दिखा शानदार असरइस समय मीणा सरसों की फसल तैयार कर रहे हैं, जिस पर मिनी फव्वारा प्रणाली का बेहतरीन परिणाम देखने को मिल रहा है. नमी का संतुलन रहने से पौधे मजबूत विकसित हो रहे हैं और पैदावार में भी स्पष्ट बढ़ोतरी हो रही है. अनुमान है कि इस तकनीक के प्रयोग से फसल की पैदावार दोगुनी हो सकती है.
मिनी फव्वारा प्रणाली के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
पानी की 40–60% तक बचत.
खेत में नमी का समान वितरण.
पौधों की विकास गति में सुधार.
सिंचाई में श्रम और समय दोनों की बचत.
पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी.
सब्सिडी ने आसान किया आधुनिक तकनीक अपनानामीणा ने मिनी फव्वारे सरकारी सब्सिडी के माध्यम से लगाए हैं. इस योजना में 75 प्रतिशत राशि सरकार वहन करती है और केवल 25 प्रतिशत किसान को देना पड़ता है. इससे तकनीकी खेती की लागत कम हो जाती है और किसान नई तकनीकों को आसानी से अपना सकते हैं. मीणा का कहना है कि — “जल संकट को देखते हुए किसानों को आधुनिक सिंचाई प्रणालियों को अपनाने में देर नहीं करनी चाहिए. आने वाला समय जल-प्रबंधन आधारित खेती का है.”
Location :
Dausa,Dausa,Rajasthan
First Published :
November 14, 2025, 08:51 IST
दौसा का किसान बना नवाचार का मॉडल,मिनी फव्वारा सिंचाई से सरसों में रिकॉर्ड….



