विधवा दोबारा शादी करे तो क्या पहले पति की मौत पर अनुकंपा वाली नौकरी नहीं मिलेगी? हाईकोर्ट ने किया साफ

Last Updated:November 14, 2025, 22:56 IST
केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि विधवा की दोबारा शादी उसके कंपनसेटरी अपॉइंटमेंट के अधिकार को खत्म नहीं कर सकती. 51 वर्षीय मिनी आर.के. को पति की मौत के बाद Rule 51B के तहत नौकरी मिलनी चाहिए थी, जिसे स्कूल प्रबंधन ने दोबारा शादी का हवाला देकर ठुकरा दिया था. कोर्ट ने प्रबंधन की सभी आपत्तियां खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह अधिकार सांविधिक है और बाद की परिस्थितियां इसे नहीं छीन सकतीं.
केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया.
नई दिल्ली. केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया कि किसी विधवा के दोबारा शादी करने पर उसके कंपनसेटरी अप्वाइंटमेंट के अधिकार को खत्म नहीं कर सकती. पहले पति की मौत के बाद उन्हें यह नौकरी दी जानी थी। अदालत ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधीन सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्तियां केरल एजुकेशन एक्ट के रूल-51 बी के तहत दी जाती हैं, जो एक कानूनी बाध्यता है, न कि सरकारी दया का विषय. यह फैसला 51 वर्षीय मिनी आर.के. के पक्ष में आया है, जिन्होंने पति के निधन के बाद नौकरी की मांग की थी लेकिन दोबारा शादी को आधार बनाकर उनका दावा खारिज कर दिया गया था.
मिनी आर.के. के पति मोहना सुंदरम केपी करविंबिल हाई स्कूल में हाई स्कूल असिस्टेंट थे. अगस्त 2017 में उनकी मौत के कुछ महीनों के भीतर मिनी Rule 51B के तहत नौकरी की मांग कर दी थी. मैनेजमेंट ने उस समय वैकेंसी न होने का हवाला देकर मामला टाल दिया था. 2024 में स्कूल में ऑफिस अटेंडेंट की पोस्ट खाली हुई तो मिनी ने फिर दावा किया. लेकिन इस बार मैनेजमेंट ने उनका आवेदन यह कहकर ठुकरा दिया कि वह 2018 में दोबारा शादी कर चुकी हैं, इसलिए अब आश्रित नहीं मानी जाएंगी. साथ ही दावा किया गया कि उन्होंने सही फॉर्मेट में आवेदन नहीं दिया और ‘continued dependency’ का प्रमाण-पत्र नहीं जोड़ा.
यह कानूनी अधिकार हैजस्टिस एन. नागरेश ने सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि Rule 51B का उद्देश्य मृत शिक्षक के आश्रितों को सुरक्षा व स्थिरता देना है. यह कोई सरकारी नीति नहीं बल्कि कानूनी अधिकार है, जिसे प्रबंधन नजरअंदाज नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा कि प्रबंधन द्वारा GO(P) No.12/2023/P&ARD का हवाला देना गलत है, क्योंकि यह आदेश सरकारी नौकरियों से संबंधित है, जबकि सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति का आधार सांविधिक नियम हैं.
स्कूल प्रबंधन ने ठुकराई याचिकामिनी की ओर से पेश अधिवक्ता सी.पी. पीथाम्बरन ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि आवेदन गलत फॉर्मेट में होने मात्र से खारिज नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी बताया कि मिनी ने समय पर दावा कर दिया था, इसलिए दोबारा शादी से उनका क्लेम खत्म नहीं हो सकता. सरकार और स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि करुणामूलक नियुक्ति तुरंत आर्थिक मदद देने के लिए होती है, न कि वर्षों बाद दावा करने के लिए. साथ ही दोबारा शादी से आश्रितता खत्म हो जाती है. लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि Rule 51B के तहत अधिकार पति की मौत के समय आश्रित होने पर आधारित होता है. बाद की परिस्थितियां इस अधिकार को नहीं छीन सकतीं.
Sandeep Gupta
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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November 14, 2025, 22:53 IST
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विधवा की दोबारा शादी से क्या कटेगा अनुकंपा नौकरी का हक? हाईकोर्ट का साफ फैसला



