Kumbhalgarh Festival 2025 | Kumbhalgarh Fort Event | Lok Nritya Program

Last Updated:November 25, 2025, 12:40 IST
Kumbhalgarh Festival 2025: कुंभलगढ़ फेस्टिवल 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जिसमें राजस्थान की समृद्ध कला और संस्कृति का भव्य प्रदर्शन होगा. लोक नृत्य, आदिवासी परंपराएं और शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम इस आयोजन की मुख्य विशेषताएं हैं. यह फेस्टिवल हर वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है और राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत बनाता है.
कुंभलगढ़ किले में बहुप्रतीक्षित सांस्कृतिक महोत्सव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. पर्यटन विभाग और राजसमंद जिला प्रशासन की साझेदारी में 1 से 3 दिसंबर तक कुंभलगढ़ फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा.आयोजन की सभी तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं.देश और प्रदेश के नामी कलाकार कला-संस्कृति की अनूठी छटा बिखेरेंगे. राजस्थानी परंपराओं, लोक नृत्यों और शास्त्रीय संगीत का संगम इस बार की थीम की मुख्य विशेषता रहेगा.

फेस्टिवल में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक लोक कला और आदिवासी कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां होंगी. चकरी, चरी, सहरिया, भैरूपिया, चंग, लंगा, कालबेलिया, लाल घेर और सफेद घेर जैसे मारू व वागड़ क्षेत्र के लोकप्रिय नृत्य दर्शकों का मनोरंजन करेंगे. सुबह का सत्र पूरी तरह लोक रंगों से सराबोर रहेगा, जहां परंपरागत वेशभूषा, संगीत और नृत्य पर्यटन प्रेमियों को राजस्थान की जड़ संस्कृति से रूबरू करवाएंगे.

फेस्टिवल का दूसरा सत्र शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक चलेगा, जिसमें भारत के शास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ प्रस्तुतियां होंगी. महाराणा कुंभा को शास्त्रीय संगीत से गहरा लगाव होने के कारण इस बार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को उनकी रुचि के अनुरूप डिजाइन किया गया है. उल्लेखनीय है कि विश्व प्रसिद्ध कुंभलगढ़ किले का निर्माण भी महाराणा कुंभा ने ही करवाया था. रात के कार्यक्रमों में साज, स्वर और नृत्य की अनूठी जुगलबंदी दर्शकों को ऐतिहासिक वातावरण का एहसास कराएगी.
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फेस्टिवल के पहले दिन यानी 1 दिसंबर को शाम में एकल प्रस्तुति होगी. इसमें प्रसिद्ध कलाकार मैत्रेयी पहाड़ी विभिन्न नृत्य शैलियों की प्रस्तुति देंगी. वह कथक और मणिपुरी नृत्य की विशेषज्ञ हैं. उन्होंने कथक की शिक्षा कोलकाता में ली और दिल्ली के कथक केंद्र में पंडित बिरजू महाराज के संरक्षण में प्रशिक्षण प्राप्त किया. पदस्थ अनुप्रास, भाव अभिव्यक्ति और लयकारी के लिए मैत्रेयी देशभर में जानी जाती हैं.

2 दिसंबर को लोक रंग का रंगारंग मंचन होगा. इस शाम संदीप रत्नू फॉक म्यूजिक के जरिए राजस्थानी कला-संस्कृति का अनोखा सुर प्रस्तुत करेंगे. रत्नू के लोकगीत और पारंपरिक धुनें श्रोताओं को मरुधरा की संगीतमय यात्रा पर ले जाएंगी.मुरली, मोरचंग, खड़ताल और ढोल जैसे पारंपरिक वाद्य इस प्रस्तुति की विशेष आकर्षण रहेंगे.

फेस्टिवल के साथ पर्यटन जगत में भी नए उत्साह की लहर दौड़ गई है.आयोजन के तुरंत बाद 21 से 30 दिसंबर तक उदयपुर में शिल्पग्राम महोत्सव और मेला आयोजित किया जाएगा, जिसमें कई राज्यों के कलाकार व आर्टिजन शामिल होंगे.

लोक प्रस्तुतियों और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से दिसंबर के अंतिम दिनों में शहर में पर्यटन में तेजी आने की उम्मीद है.विदेशी पर्यटकों की आवाजाही पहले से बढ़ रही है और उदयपुर व जोधपुर आने वाले पर्यटक इस दौरान कुंभलगढ़ फेस्टिवल में शामिल होकर राजस्थान की वास्तविक सांस्कृतिक अनुभूति प्राप्त करेंगे.
First Published :
November 25, 2025, 12:40 IST
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राजस्थान का सबसे शानदार फेस्टिवल लौट आया! कुंभलगढ़ में दिखेगी कला



