फलदार पेड़ों के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है यह लेप, जानिए इसके फायदे और लगाने का सही समय

Last Updated:November 27, 2025, 12:40 IST
एग्रीकल्चर टिप्स: फलदार पेड़ों पर चूने की सफेदी लगाना एक पुरानी और प्रभावी कृषि तकनीक है, जो पेड़ों को कीटों, फफूंद और रोगों से बचाती है. चूना तने पर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जिससे दीमक, छाल खाने वाले कीट और रोगजनक दूर रहते हैं. यह पेड़ की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और तेज गर्मी-सर्दी में तने को सुरक्षित रखता है. चूने में मौजूद तत्व पेड़ की वृद्धि और फल उत्पादन में भी मदद करते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक फरवरी-मार्च और अक्टूबर-नवंबर सफेदी लगाने का सही समय माना जाता है.
फलदार पेड़ों पर चूने का सुरक्षा कवच लगाना पारंपरिक और बेहद कारगर कृषि तकनीक है. किसान इसे वर्षों से अपनाते आ रहे हैं, क्योंकि चूना तने पर एक मजबूत सफेद परत बनाता है, जो पेड़ को कई प्रकार के कीटों से बचाती है. यह परत छाल खाने वाले कीटों और दीमक को पेड़ तक आसानी से पहुंचने से रोकती है, जिससे पेड़ लंबे समय तक स्वस्थ रहता है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि चूना स्वभाव से क्षारीय होता है और इसी वजह से यह फफूंद और कई प्रकार के रोगजनकों के विकास को रोकता है.

चुना जब तने पर चूने का लेप लगाया जाता है, तो यह बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देता. इससे पेड़ की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रहता है. यह तरीका रासायनिक दवाओं की आवश्यकता भी काफी कम कर देता है. इसके अलावा चूना पेड़ की मिट्टी में मौजूद कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को उपलब्ध कराने में भी सहायक होता है. ये तत्व तने और जड़ों के माध्यम से अवशोषित होकर पेड़ की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं.

इससे पेड़ की मजबूती, पत्तियों की हरियाली और फल उत्पादन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. इससे प्राकृतिक रूप से मिल रहे ये तत्व पेड़ के स्वास्थ्य को मजबूत बनाते हैं. इसके अलावा सर्दी के मौसम में तेज सर्दी पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है. चूने का सफेद रंग गर्मी में भी सूरज की किरणों को परावर्तित करता है, जिससे तने का तापमान नियंत्रित रहता है. यह पेड़ को गर्म हवाओं और लू जैसे प्रभावों से बचाता है. तेज गर्मी में पेड़ की छाल फटने और जलने जैसी समस्याए चूने के लेप से काफी कम हो जाती है.
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एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि पुराने पेड़ों की छाल में समय के साथ दरारें पड़ जाती है, जो कीटों और रोगों का घर बन सकती हैं. चूने की सफेदी इन दरारों को बाहरी हानिकारक तत्वों से सुरक्षित रखती है. इसके अलावा, यह तने पर नमी बनाए रखने में भी मदद करती है, जिससे पेड़ को गर्म और शुष्क मौसम में भी पर्याप्त नमी मिलती रहती है. यह पेड़ के तनाव को कम कर उसे स्वस्थ बनाती है.

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि ने बताया कि पेड़ों पर सफेदी लगाने की विधि बहुत आसान है. इसके लिए एक किलो बुझा हुआ चूना, 200 ग्राम तूतिया (कॉपर सल्फेट) और 10 लीटर पानी मिलाकर एक चिकना घोल तैयार किया जाता है. इसके बाद ब्रश की सहायता से इस घोल को तने पर नीचे से ऊपर की ओर अच्छी तरह लगाया जाता है. ध्यान रहे कि कम से कम 4 से 5 फीट तक का तना पूरी तरह कवर होना चाहिए.

बहुत से किसानों को नहीं पता कि पेड़ों पर सफेदी लगाने का सही समय कौन सा होता है. यह सर्दी और गर्मी के हिसाब से अलग अलग समय पेड़ो पर लगाई जाती है. सर्दी में सफेदी लगाने का सही मौसम फरवरी, मार्च और अक्टूबर से नवंबर माना जाता है, क्योंकि इस समय पेड़ों की वृद्धि धीमी रहती है और वे कीटों के प्रति कम संवेदनशील होते हैं. इस दौरान लगाया गया चूना अधिक समय तक टिकता है और पेड़ को मजबूत सुरक्षा देता है.
First Published :
November 27, 2025, 12:39 IST
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फलदार पेड़ों के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है यह लेप, जानिए इसके फायदे



