आंखों में अल्सर, उत्तराखंड के पहाड़ों पर फैल रहा ये कैसा रोग, देर की तो हो जाओगे अंधे

बागेश्वर. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों समेत बागेश्वर जिले में इन दिनों आंखों से जुड़ी एक बीमारी (आंखों काअल्सर) के मरीज अधिक देखने को मिल रहे हैं. आंखों से जुड़ी बीमारियों में कॉर्नियल अल्सर सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है, क्योंकि यह सीधे कॉर्निया (आंख के पारदर्शी हिस्से) को प्रभावित करता है. कॉर्निया दागदार या क्षतिग्रस्त होने पर देखने की क्षमता तेजी से कम होने लगती है. बागेश्वर जिला अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कल्पना पांडे बताती हैं कि कॉर्नियल अल्सर को हल्के में लेना बेहद खतरनाक है, क्योंकि यह संक्रमण कुछ ही दिनों में दृष्टि पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है. डॉ. पांडे के अनुसार यह रोग आमतौर पर संक्रमण से शुरू होता है. कई मामलों में बैक्टीरिया कॉर्निया में घाव बनाकर अल्सर का कारण बनते हैं, लेकिन फंगस विशेषकर फ्यूजेरियम और एस्परगिलस भी गंभीर अल्सर का कारण बनते हैं. वायरल संक्रमण, खासकर हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस, आंख में गहरा घाव कर देता है, जिसके ठीक होने में काफी समय लग सकता है.
जानें रोग की वजह
डॉ. पांडे बताती हैं कि कि आंख में हल्की सी भी चोट, खरोंच, धूल-मिट्टी का जाना या कोई तेज वस्तु लगना भी अल्सर का कारण बन सकता है. पहाड़ी क्षेत्रों, विशेषकर खेतों में काम करने वाले लोगों में फंगल अल्सर की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि पौधों या लकड़ी से लगी सूक्ष्म चोट अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है. कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों में अल्सर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, खासकर तब जब लेंस की सफाई में लापरवाही बरती जाए या लंबे समय तक लगातार आंखों में लेंस लगे रहें. ड्राई आई सिंड्रोम और विटामिन A की कमी भी इस बीमारी को जन्म देने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं.
कॉन्टैक्ट लेंस ज्यादा खतरनाक
डॉ. पांडे के अनुसार, कॉर्नियल अल्सर के लक्षण अचानक तेज दर्द से शुरू होते हैं. सही समय पर दिए गए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल या एंटीफंगल ड्रॉप्स अल्सर को फैलने से रोकते हैं. उपचार के दौरान कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए. कभी-कभी विशेष दवाइयों से आंख की पट्टी खोलकर बार-बार ड्रॉप्स डालना पड़ सकता है. अगर अल्सर कॉर्निया को काफी नुकसान पहुंचा दे, तो कॉर्नियल ट्रांसप्लांट यानी प्रत्यारोपण की भी जरूरत पड़ सकती है.
छिन जाएगी रोशनी
डॉ. पांडे कहती हैं कि यह बीमारी मजाक नहीं, बल्कि आंखों की आपात स्थिति है. डॉक्टर के पास देर से पहुंचने पर कॉर्निया स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है, और दृष्टि हमेशा के लिए जा सकती है. ऐसे में यदि आंखों में अचानक दर्द, लालिमा, जलन, धुंधलापन या मवाद जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत विशेषज्ञ से जांच कराएं. आंखों की सेहत के लिए सावधानी सबसे जरूरी है. आंखों को चोट से बचाएं, धूल में काम करते समय चश्मा पहनें, कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई रखें. किसी भी संक्रमण या चोट को हल्के में बिल्कुल न लें. छोटी सी लापरवाही आंखों की रोशनी छीन सकती है.



