NISAR First Image: NISAR ने भेजी पहली शानदार तस्वीर: ISRO की आंखें रात में क्या-क्या देख सकती हैं?

Agency:एजेंसियां
Last Updated:November 29, 2025, 00:00 IST
NISAR First Image: NISAR ने अंतरिक्ष से भारत की पहली हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीर भेज दी है. गोदावरी डेल्टा की यह S-Band SAR इमेज दिखाती है कि ISRO–NASA मिशन बादलों और रात के अंधेरे में भी जमीन की हलचल कैप्चर कर सकता है. 12-मीटर एंटीना वाले इस सैटेलाइट ने अब वैज्ञानिक चरण शुरू कर दिया है, जो कृषि, हिमालय, मौसम और आपदा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा.
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NASA–ISRO मिशन NISAR ने भारत की पहली हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीर भेजी. (फोटो X)
नई दिल्ली: भारत-अमेरिका की ऐतिहासिक NISAR मिशन ने अंतरिक्ष से अपनी पहली शानदार तस्वीर भेज दी है. इस तस्वीर में भारत सचमुच सुनहरा नजर आ रहा है. यह वही तस्वीर है जिसने न सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय को चौंकाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि पृथ्वी को देखने की हमारी क्षमता कितनी आगे बढ़ चुकी है. हाई-रिजॉल्यूशन S-Band SAR इमेज में आंध्र प्रदेश का गोदावरी डेल्टा इतना सूक्ष्म, इतना जीवंत और इतना सटीक कैप्चर हुआ है कि रात के अंधेरे में भी धरती की हलचल दर्ज होती दिखाई देती है.
इन पहली तस्वीरों ने यह भी साबित कर दिया है कि ISRO और NASA की संयुक्त तकनीक आखिरकार अपनी असली शक्ति दिखाने लगी है. NISAR की यह नाइट विजन तकनीक अब भारत के वैज्ञानिकों को वह जानकारी देने जा रही है जो पहले कभी संभव नहीं थी. खास बात यह है कि यह बादलों, जंगलों, पानी और धुंध के आर-पार भी धरती की सतह देख सकती है. यह मिशन न सिर्फ पृथ्वी को देखने का तरीका बदल रहा है, बल्कि आने वाले समय में कृषि, आपदा चेतावनी, हिमालयी बर्फ, भू-विज्ञान और जल संसाधन अध्ययनों में क्रांति लाने वाला है.
गोदावरी डेल्टा की पहली तस्वीर-NISAR की आंखों की असली ताकत
ISRO ने जो पहली S-Band SAR इमेज सार्वजनिक की है, वह भारत के पूर्वी तट पर स्थित गोदावरी रिवर डेल्टा की है. तस्वीर में मैंग्रोव वन, खेती के क्षेत्र, सुपारी (Arecanut) के प्लांटेशन और एक्वाकल्चर पोंड्स बेहद बारीकी से दिखाई दे रहे हैं. इतनी सूक्ष्मता इस वजह से संभव है क्योंकि NISAR का सिथेटिक अपर्चर रडार बादलों के बीच से भी जमीन की बनावट, नमी और बदलाव को रिकॉर्ड कर सकता है.
NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR): The 12m diameter Antenna Reflector which enables S-Band and NASA’s L-Band Synthetic Aperture Radar (SAR) Payload to operate has been deployed.



