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Night Shift Health Risks 5 Diseases and Prevention Tips | नाइट शिफ्ट करने से इन 5 बीमारियों का बढ़ता है खतरा

How Night Shifts Affect Your Health: आजकल की जिंदगी में लोगों पर काम का दबाव काफी बढ़ गया है. कई जगहों पर लोगों को नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है, जिसका असर उनकी सेहत पर देखने को मिलता है. रात में जागने से शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक यानी सर्केडियन रिदम बिगड़ जाती है. इससे न केवल बॉडी की फंक्शनिंग गड़बड़ हो जाती है और लॉन्ग टर्म में कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार नाइट शिफ्ट शरीर के बायोलॉजिकल क्लॉक, नींद, मेंटल हेल्थ और पाचन तंत्र पर गहरा असर डालती है.

न्यूज मेडिकल डॉट नेट की रिपोर्ट के मुताबिक हमारा शरीर दिन में एक्टिव रहने और रात में आराम करने के लिए बना है. जब यह नेचुरल साइकल उलट जाती है, तब नींद बुरी तरह प्रभावित होती है. नाइट शिफ्ट करने वाले लोग दिन में सोते हैं, लेकिन रोशनी, शोर और घरेलू एक्टिविटी के कारण उनकी नींद बार-बार टूटती रहती है. इससे इंसोमिया, चिड़चिड़ापन, थकान और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं बढ़ती हैं. कई स्टडीज में पाया गया है कि नाइट शिफ्ट करने वालों को औसतन 2 से 4 घंटे कम नींद मिलती है, जिससे लगातार स्लीप डेफिसिट हो जाता है. इससे पूरे शरीर का सिस्टम गड़बड़ा जाता है.

रात में काम करना सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी गहरा असर डालता है. सर्केडियन रिद्म के असंतुलन और नींद की कमी के कारण नाइट शिफ्ट वर्कर्स में एंजायटी, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, तनाव, क्रॉनिक थकान और डिप्रेशन जैसी समस्याएं देखी जाती हैं. कई अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों में तनाव का स्तर अधिक होता है और कुछ को ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है. नाइट शिफ्ट में खान-पान का समय अनियमित हो जाता है. कई लोग रात में ज्यादा कैफीन, स्नैक्स, तला-भुना या पैकेज्ड फूड खाते हैं, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है.

नाइट शिफ्ट करने वालों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा 20 से 40% तक बढ़ा पाया गया है. लॉन्ग टर्म में इसकी वजह से वजन बढ़ना, हाई कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ना, ब्लड शुगर असंतुलित होना और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. यह असंतुलन इंसुलिन की फंक्शनिंग पर असर डालता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. रात में काम करने वाले लोग अक्सर ज्यादा कैलोरी लेते हैं, कम एक्टिव रहते हैं और दिन में ठीक से सो नहीं पाते है. ये सभी फैक्टर्स मिलकर मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ते हैं और बीमारियों को पैदा करते हैं.

कई रिसर्च बताती हैं कि लंबे समय तक नाइट शिफ्ट करने से हार्ट डिजीज का खतरा लगभग 40% तक बढ़ सकता है. इररेगुलर लाइफस्टाइल, नींद की कमी, अत्यधिक तनाव और अस्थिर हार्मोन्स हार्ट हेल्थ पर नेगेटिव असर डालते हैं. कुछ रिसर्च में नाइट शिफ्ट को कैंसर के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है. हालांकि इस बारे में ज्यादा रिसर्च की जरूरत है. कई रिसर्च में पता चला है कि नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में गैस, एसिडिटी और कब्ज की समस्या ज्यादा होती है. रात में जागने से पेट में भारीपन, पाचन एंजाइम का असंतुलन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और पेप्टिक अल्सर का खतरा बढ़ सकता है. यह इसलिए होता है, क्योंकि शरीर का पाचन तंत्र भी सर्केडियन रिद्म पर चलता है और रात में इसकी क्रिया धीमी होती है.

अब सवाल है कि नाइट शिफ्ट करने वाले लोग बीमारियों से कैसे बचें? हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो नाइट शिफ्ट खत्म होते ही अंधेरे और शांत कमरे में सोने की कोशिश करें, कैफीन का सेवन कम करें और हर 1-2 घंटे में हल्की स्ट्रेचिंग करें. रात में भारी खाना न खाएं और आसानी से पचने वाला खाना लें. सुबह के समय सूर्य की रोशनी लें और रोज 20 से 30 मिनट एक्सरसाइज करें. लगातार थकान या हार्टबीट में गड़बड़ी हो, तो डॉक्टर से सलाह लें.

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