कोटा के उभरते लैंडमार्क: नयापुरा, घटोत्कच और हाड़ी रानी सर्किल में देखने को मिलती संस्कृति और आधुनिकता की झलक!

कोटा. शहर तेजी से आधुनिकता, सांस्कृतिक धरोहर और शहरी विकास का संगम बनकर उभर रहा है. शहर के प्रमुख चौराहों और सर्किलों का सौंदर्यीकरण न केवल इसकी पहचान को नया रूप दे रहा है, बल्कि आने वाले पर्यटकों को भी कोटा की विविधता और विरासत से रूबरू करा रहा है. नयापुरा चौराहा अपनी भव्य स्वामी विवेकानंद प्रतिमा और आधुनिक डिज़ाइन के कारण नया सिग्नेचर स्पॉट बन रहा है, वहीं घटोत्कच सर्किल पौराणिकता और आधुनिकता का जीवंत संगम प्रस्तुत करता है.
दूसरी ओर, श्रीनाथपुरम ई-सेक्टर स्थित हाड़ी रानी सर्किल वीरांगना के अद्वितीय बलिदान की प्रेरक गाथा को संवेदनशीलता से दर्शाता है. इन सभी प्रयासों ने न केवल शहर की सुंदरता को निखारा है, बल्कि कोटा की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को नई ऊर्जा भी प्रदान की है. शहरवासी और पर्यटक अब इन स्थानों को कोटा के उभरते प्रतीक के रूप में देख रहे हैं.
नयापुरा चौराहा – आधुनिक सौंदर्यीकरण का नया प्रतीकनयापुरा चौराहा से चंबल ब्रिज तक का सौंदर्यीकरण कोटा शहर के आधुनिक विकास का एक प्रभावशाली उदाहरण बन चुका है. 22.37 करोड़ रुपये की लागत से हुए इस प्रोजेक्ट ने इस क्षेत्र का पूरा रूप बदल दिया है. यहां स्थापित 18 फीट लंबी और 6 टन वजनी स्वामी विवेकानंद की विशाल प्रतिमा इस चौराहे की भव्यता को और बढ़ाती है. सर्किल के चारों तरफ अलग-अलग मुद्राओं में विवेकानंद की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिकता और प्रेरणा का संगम बन जाता है. चौराहे के आसपास स्थित मकानों के फ़्रंट एलिवेशन भी नए सिरे से तैयार किए गए हैं, जिससे पूरा इलाका एकसमान और आकर्षक दिखाई देता है. साफ-सुथरी सड़कें, सुंदर लाइटिंग और आधुनिक डिज़ाइन इसे शहर का एक प्रमुख लैंडमार्क बनाते हैं. स्थानीय निवासी और आगंतुक दोनों ही इस क्षेत्र की नई पहचान की खूब सराहना कर रहे हैं, जिससे नयापुरा चौराहा कोटा का एक नया ‘सिग्नेचर स्पॉट’ बन चुका है.
घटोत्कच सर्किल – पौराणिकता और आधुनिकता का अनोखा मेलघटोत्कच सर्किल कोटा शहर के उन खास स्थानों में से एक है, जहां पौराणिक इतिहास और आधुनिक शहरी जीवन एक साथ नजर आते हैं. महाभारत के वीर योद्धा घटोत्कच के नाम पर बना यह सर्किल सांस्कृतिक आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. गोलाकार डिज़ाइन, सुंदर लैंडस्केपिंग और कलात्मक मूर्तियां इसे शहर का एक प्रतिष्ठित लैंडमार्क बनाती हैं. यह चौराहा कई महत्वपूर्ण मार्गों को जोड़ता है, इसलिए यहां दिनभर तेज़ यातायात रहता है, लेकिन इसका व्यवस्थित डिज़ाइन ट्रैफिक फ्लो को सुगम बनाता है. सर्किल के आसपास दुकानों, छोटे व्यवसायों और भोजनालयों की मौजूदगी इसे एक जीवंत व्यापारिक क्षेत्र का रूप देती है. स्थानीय लोगों के लिए यह केवल यातायात केंद्र नहीं, बल्कि मिलन स्थल और सामाजिक गतिविधियों का हब भी है. पर्यटक यहां आते हैं और कोटा की चहल-पहल के साथ-साथ घटोत्कच की वीरता से जुड़ी पौराणिक कहानियों को भी जान पाते हैं, यह सर्किल इतिहास, कला और शहर की ऊर्जा का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है.
श्रीनाथपुरम ई-सेक्टर हाड़ी रानी सर्किल – बलिदान और वीरांगना की प्रेरक कथाश्रीनाथपुरम ई-सेक्टर में स्थित यह सर्किल हाड़ी रानी के अद्वितीय बलिदान को समर्पित है, जो हाड़ौती की वीरांगनाओं की परंपरा का गौरवपूर्ण प्रतीक है. सर्किल पर स्थापित मूर्ति उस ऐतिहासिक क्षण को दर्शाती है जब हाड़ी रानी ने अपने पति सेनापति रतनसिंह चूंडावत के युद्ध धर्म को निभाने हेतु अपना शीश काटकर दे दिया था. यह कथा प्रेम, साहस, निष्ठा और त्याग का ऐसा उदाहरण है, जो आज भी लोगों के हृदय को उद्वेलित करती है. सर्किल पर लगे शिलापट्ट पर इतिहासविद फिरोज अहमद द्वारा विस्तृत वर्णन दिया गया है, जो आगंतुकों को इस घटना के संदर्भ और उसकी गहराई से अवगत कराता है. ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण संस्थाओं ने भी इस कार्य की सराहना की है, जिससे यह स्थान कोटा की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. शांत, सौम्य और ऐतिहासिक आभा से भरपूर यह सर्किल लोगों को हाड़ौती की वीर गाथाओं से जोड़े रखता है.



