सरसों की फसल सर्दियों में कैसे बचाएं | Mustard Crop Winter Protection Tips 2025

Last Updated:December 10, 2025, 04:46 IST
Mustard Crop Winter Protection Tips: सर्दियों में सरसों की फसल पर पाला, रोग और कीटों का खतरा बढ़ जाता है. सही समय पर हल्की सिंचाई, धुआं करने और सल्फर के छिड़काव से पाला नियंत्रण होता है. माहू कीट की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें. उचित पोषण और सिंचाई प्रबंधन से किसान उत्पादन में 25–30% तक नुकसान से बचकर स्वस्थ और अधिक पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं.

सर्दी का मौसम सरसों की फ़सल के लिए फ़ायदेमंद माना जाता है, लेकिन जब तापमान अचानक गिरता है या पाला पड़ता है, तो यह फ़सल के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. तेज ठंड के कारण पौधों की बढ़वार रुक जाती है और फूल झड़ने लगते हैं, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. ख़ास तौर पर दिसंबर और जनवरी में न्यूनतम तापमान नीचे जाने पर सरसों को पाले का ख़तरा बढ़ जाता है. यदि किसान समय रहते इसके बचाव के उपाय न करें, तो पूरी फ़सल की गुणवत्ता और पैदावार प्रभावित हो सकती है.

किसानों के लिए ज़रूरी है कि वे ठंड की स्थिति में खेत की नमी का विशेष ध्यान रखें. अत्यधिक नमी से जहाँ पौधे कमज़ोर होते हैं, वहीं कम नमी पौधों को ठंड का सीधा प्रभाव झेलने पर मजबूर करती है. इसलिए हल्की सिंचाई करना सबसे कारगर तरीका माना जाता है. पाले की आशंका होने पर सुबह-सुबह हल्की सिंचाई करने से तापमान संतुलित रहता है और पौधा ठंड से बच जाता है. इसके अलावा, खेत में हवा रुकने न दें और पानी निकास की उचित व्यवस्था करें, ताकि अत्यधिक नमी जड़ को प्रभावित न करे.

सर्दी में सरसों पर पाउडरी मिल्ड्यू, तना गलन, सफ़ेद रतुआ और माहू जैसे रोग व कीट तेज़ी से फैलते हैं. इनसे पत्तियाँ सफ़ेद पड़ने लगती हैं, पौधे कमज़ोर होने लगते हैं और फलियों का विकास रुक जाता है. इसलिए नियमित निगरानी बेहद ज़रूरी है. किसानों को पत्तों की निचली सतह की जाँच करते रहना चाहिए. रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर ही तत्काल छिड़काव करना अधिक कारगर रहता है, क्योंकि देर होने पर पूरा खेत प्रभावित हो सकता है. सही समय पर नियंत्रण से बीमारियाँ फैलने से पहले ही रुक जाती हैं.
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पाउडरी मिल्ड्यू के नियंत्रण के लिए 0.2%घुलनशील गंधक का छिड़काव प्रभावी माना जाता है, जबकि तना गलन की समस्या होने पर कार्बेन्डाजिम या मैनकोजेब का उपयोग मददगार होता है. सफेद रतुआ के प्रकोप में किसान प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव कर सकते हैं. वहीं माहू Aphids के बढ़ने पर नीम का काढ़ा, थायोमेथॉक्साम या इमिडाक्लोप्रिड का सीमित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है.यह ध्यान रहे कि कीटनाशक का छिड़काव हमेशा मौसम साफ़ होने पर ही करें और अनुशंसित मात्रा में ही प्रयोग करें, ताकि फ़सल सुरक्षित रहे और मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित न हो.

सर्द मौसम में सरसों की सुरक्षा के लिए खेत में अवांछित खरपतवारों को हटाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. खरपतवार न केवल पोषक तत्व और नमी चूसते हैं बल्कि कीट और रोगों को भी बढ़ावा देते हैं. खेत की साफ़-सफ़ाई रखने से बीमारियों का ख़तरा काफ़ी कम हो जाता है. साथ ही, फ़सल के पौधों को पर्याप्त धूप भी मिलती है, जिससे बढ़वार अच्छी रहती है. यदि पौधे बहुत घने हो जाएँ, तो उनकी उचित दूरी बनाए रखना भी ज़रूरी है, क्योंकि घने पौधों में नमी अधिक रहती है और रोग बढ़ने के अवसर भी ज़्यादा होते हैं.

कृषि विभाग के कृषि अधिकारी कजोड़ मल ने बताया कि किसानों को विभाग की सलाह और स्थानीय कृषि वैज्ञानिकों के निर्देशों पर लगातार नज़र रखनी चाहिए. तापमान के गिरने, पाले की चेतावनी या कड़ाके की ठंड की भविष्यवाणी होने पर पहले से तैयारी कर लेना बेहतर रहता है. उचित सिंचाई, रोग नियंत्रण और फ़सल प्रबंधन अपनाकर किसान काफ़ी हद तक नुकसान से बच सकते हैं. सर्दी में थोड़ी-सी सावधानी और समय पर किए गए उपाय सरसों की पैदावार में बड़ा अंतर ला सकते हैं. सही प्रबंधन से किसान अपनी फ़सल को सुरक्षित रखते हुए उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं.
First Published :
December 10, 2025, 04:46 IST
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पाला पड़ते ही सरसों को होता है सबसे ज्यादा नुकसान, किसान तुरंत करें ये काम…



