कोटा के चंद्रलोई नदी में मगरमच्छों का आतंक, किनारे पर आने से स्थानीय लोगों की जिंदगी खतरे में, प्रशासन से मांगी मदद!

Last Updated:December 13, 2025, 16:50 IST
कोटा से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित चंद्रलोई नदी इन सर्दियों में एक अनोखी लेकिन खतरनाक तस्वीर पेश कर रही है. नदी के बीच बने टीलों और चट्टानों पर कई मगरमच्छ धूप सेंकते दिखाई देते हैं, लेकिन इस प्राकृतिक दृश्य के पीछे स्थानीय लोगों के लिए बड़ा खतरा छिपा है. पिछले कुछ वर्षों में नदी किनारे मगरमच्छों द्वारा कई बार हमला होने की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिससे अब लोग और बच्चे नदी के पास जाने से डरते हैं. ठंड और कम जलस्तर के कारण इन जंगली जानवरों की हलचल बढ़ जाती है, जिससे नदी किनारे हर कदम पर जोखिम बढ़ गया है.
कोटा. शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर चंद्रलोई नदी इन दिनों सर्दियों के मौसम में रोमांच का अनोखा संगम बन चुकी है. सुबह की पहली किरण पड़ते ही नदी के बीच बने टीलों, पहाड़ों और बड़ी चट्टानों पर कई मगरमच्छ एक साथ धूप सेंकते हुए दिखाई देते हैं. यह दृश्य देखने में जितना अद्भुत लगता है, उतना ही दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण भी है. जानकारी के अनुसार, भूपेश सिंगोरिया ने बताया कि जैसे ही सर्दी बढ़ती है, मगरमच्छ पानी से निकलकर इन पत्थरीले टीलों पर आ जाते हैं और घंटों तक स्थिर पड़े रहते हैं. यह जगह उनकी नियमित सन-बास्किंग साइट बन चुकी है, जहां सुबह के समय 10–15 मगरमच्छ एक साथ दिखाई देना आम बात है. भूपेश के अनुसार, “यहां मगरमच्छों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है, और सर्दियों में तो पूरे नदी क्षेत्र में इनकी हलचल सबसे ज्यादा रहती है.”
आसपास के निवासियों का कहना है कि नदी के पास रहना और आना-जाना अब पहले जितना सुरक्षित नहीं रह गया है. कई बार ये मगरमच्छ इंसानों के बेहद करीब तक आ जाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में नदी किनारे 7–8 बार मगरमच्छों द्वारा लोगों को काटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. सबसे दिल दहला देने वाला हादसा कुछ साल पहले हुआ था, जब एक व्यक्ति नहाते समय फिसलकर नदी में गिर पड़ा. उसी दौरान एक मगरमच्छ ने उसे जबड़ों में जकड़ लिया और गहरे पानी में खींच ले गया.
चट्टानों पर सीधी धूप पड़ने से बढ़ता है मगरमच्छों का बाहर निकलना
स्थानीय लोग बताते हैं कि ठंड के मौसम में नदी में जलस्तर कम होने और चट्टानों पर सीधी धूप पड़ने से मगरमच्छों का बाहर निकलना बढ़ जाता है. कई बार ये टीलों से उतरकर किनारों तक पहुंच जाते हैं, जहां ग्रामीणों की आवाजाही रहती है. यही कारण है कि लोग अब बच्चों को नदी के पास जाने से रोकते हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि नदी किनारे सुरक्षा बोर्ड, चेतावनी संकेत और निगरानी की व्यवस्था बढ़ाई जाए, ताकि हादसों को रोका जा सके. सर्दियों का यह प्राकृतिक दृश्य भले ही देखने में अनोखा लगता हो, लेकिन चंद्रलोई नदी के मगरमच्छ स्थानीय लोगों के लिए लगातार खतरे की याद भी दिलाते हैं कि प्रकृति की खूबसूरती के बीच जोखिम भी उतना ही बड़ा छिपा होता है.
About the AuthorMonali Paul
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First Published :
December 13, 2025, 16:50 IST
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कोटा चंद्रलोई नदी में सर्दियों में मगरमच्छों की बढ़ती संख्या और खतरा.



