राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, फिलहाल नहीं होंगे चुनाव, भजनलाल सरकार को मिली राहत

Last Updated:December 19, 2025, 13:28 IST
Rajasthan High Court Student Union Elections Verdict: राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बैंच ने छात्रसंघ चुनावों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि चुनाव संवैधानिक अधिकार है, लेकिन यह शिक्षा के अधिकार से ऊपर नहीं है. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा है कि वह इसे लेकर स्पष्ट नीति बनाए। हाईकोर्ट के इस फैसले से राजस्थान की भजनलाल सरकार को बड़ी राहत मिल गई है.
हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा है कि वह छात्रों के चुनाव को लेकर स्पष्ट नीति बनाएं.
जयपुर. छात्रसंघ चुनाव को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए अपना फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि चुनाव संवैधानिक अधिकार, लेकिन यह शिक्षा के अधिकार से ऊपर नहीं है. हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव बहाली से जुड़ी याचिकाओं को निस्तारित करते हुए साफ कहा कि छात्रसंघ चुनाव कराना अनिवार्य नहीं है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि छात्रों के चुनाव को लेकर स्पष्ट नीति निर्धारित की जाए. हाईकोर्ट के इस फैसले से राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली है.
जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट का कहना है कि शैक्षणिक वातावरण और शिक्षा का अधिकार सर्वोपरि है. उसने कॉलेज परिसरों में चुनाव संबंधी गतिविधियां नहीं करवाने के निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार को भी छात्रसंघ चुनाव को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के मुताबिक चुनाव का अधिकार संवैधानिक है लेकिन इसका संतुलन शिक्षा से जरूरी है. 14 नवंबर को जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने इसका फैसला सुरक्षितरखा था. याचिकाकर्ता जय राव और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला सामने आया है.
साल 2023 में राज्यभर में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगी थीन्याय मित्र डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत में अपना पक्ष रखा. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने पैरवी की. याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट शांतनु पारीक, अनीष भदाला और तुषार पंवार ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा. राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. शिक्षा विभाग ने वर्ष 2023 में राज्यभर में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी थी. उसके बाद से लगातार इस मामले पर बवाल मच रहा है. बाद में यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया.
चुनाव से शिक्षण कार्य प्रभावित होता हैइस मामले में सरकार ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को लागू करते हुए चुनावों को स्थगित किया गया है. क्योंकि नियमों के अनुरूप चुनाव करना आवश्यक नहीं माना गया है और इससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है. छात्रों और छात्र संगठनों ने इस रोक का विरोध किया. कई जगह प्रदर्शन, विरोध और भूख हड़ताल तक हुई. राजनीतिक स्तर पर भी इसे लेकर चर्चा होती रही कि छात्रसंघ राजनीति युवा नेताओं के लिए राजनीति की प्रारंभिक सीढ़ी है.
हाईकोर्ट में लगी थी याचिकाएंजयपुर के जय राव और अन्य छात्रों ने इस मसले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों को छात्रसंघ चुनाव करवाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. उनका कहना था कि छात्र संगठन के प्रतिनिधित्व के अधिकार को लागू किया जाए. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चुनाव रोकने से छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार और सामूहिक प्रतिनिधित्व प्रभावित हो रहे हैं. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी.
चुनाव को अनिवार्य रूप से कराना कानूनन जरूरी नहीं हैराजस्थान विश्वविद्यालय और राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत कर यह भी कहा था कि छात्रसंघ चुनाव कराना किसी व्यक्ति का मूलभूत संविधानिक अधिकार नहीं है. चुनाव को अनिवार्य रूप से कराना कानूनन जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले सत्रों में भी चुनाव नहीं हुए और इससे किसी के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ.
About the AuthorSandeep Rathore
संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर…और पढ़ें
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
December 19, 2025, 13:28 IST
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छात्रसंघ चुनाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, अभी नहीं होंगे चुनाव



