Rajasthan

राजस्थान में अरावली विवाद गहराया, पहाड़ियों को बचाने की मुहिम तेज, आंदोलन जारी

Aravalli Hills Controversy LIVE: राजस्थान में अरावली पहाड़ियों को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है.अरावली खनन विवाद की आंच सिर्फ राजस्थान तक ही सीमित नहीं रह गया है. अब यह हरियाणा से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है और प्रखर विरोध शुरू हो गया है. वहीं राजस्थान में उदयपुर, सिरोही सहित आस-पास के जिलों में स्थानीय निवासियों और प्रशासन के बीच जमीन के उपयोग को लेकर टकराव जारी है. स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि कुछ क्षेत्रों में अवैध खनन और निर्माण गतिविधियां चल रही हैं, जिससे अरावली की प्राकृतिक संरचना और पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा है.

ग्रामीणों ने कहना है कि अरावली के जंगल और पहाड़ी क्षेत्र स्थानीय जल स्रोतों की सुरक्षा और मिट्टी के संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने अवैध खनन रोकने और क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है. कई लोग सोशल मीडिया पर भी अपनी आवाज उठा रहे हैं और #AravaliProtection के तहत अभियान चला रहे हैं. राज्य प्रशासन ने मामले पर कड़ा रुख अपनाया है. अधिकारियों ने कहा कि कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है और सभी पक्षों से सहयोग मांगा गया है. सिरोही जिले में प्रशासन और पुलिस ने अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए निरीक्षण किया और आवश्यक कार्रवाई की.

माउंट आबू से अरावली बचाओ आंदोलन की होगी नई शुरूआत

माउंट आबू से आज अरावली बचाओ आंदोलन की नई शुरुआत हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल चौधरी के नेतृत्व में अरावली बचाओ पैदल मार्च का आगाज किया जाएगा. इस मार्च का लक्ष्य करीब 1000 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करना है. यह यात्रा अरावली पहाड़ियों के आस-पास बसे सैकड़ों गांवों से होकर गुजरेगी, जहां पर्यावरण संरक्षण और अरावली बचाने का संदेश दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में शुरू हो रहे इस आंदोलन की शुरुआत माउंट आबू स्थित अर्बुदा देवी मंदिर से होगी. नक्की झील की आरती के बाद पैदल मार्च विभिन्न क्षेत्रों की ओर रवाना होगा.

पर्यावरण विशेषज्ञ किस चीज को लेकर हैं मुखर

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली की अवैध कटाई से गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. मिट्टी कटाव, जल संकट, और पारिस्थितिकी में असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती है. इसके अलावा, क्षेत्र में जलस्तर कम होने और मौसम संबंधी बदलाव आने की संभावना भी जताई जा रही है. सोशल मीडिया पर लोग हर अपडेट साझा कर रहे हैं और अरावली की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ा रहे हैं. लोग फोटो और वीडियो साझा कर रहे हैं, जिससे अरावली विवाद पर जनता की नजर बनी रहे. राजस्थान में अरावली विवाद ने स्थानीय प्रशासन, ग्रामीण और पर्यावरण विशेषज्ञों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है. सभी पक्ष यह चाहते हैं कि अरावली की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय संतुलन सुरक्षित रहे, साथ ही स्थानीय लोगों के अधिकारों का भी संरक्षण हो.

लोगों को किस बात का है डर

अरावली पर्वतमाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2025 के फैसले के बाद राजस्थान में पर्यावरण प्रेमियों, राजनीतिक दलों और स्थानीय निवासियों में गहरा आक्रोश फैल गया है. कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को मानते हुए अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा तय की है, जिसमें केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियां ही संरक्षित मानी जाएंगी. इस फैसले से राजस्थान में अरावली के करीब 90 प्रतिशत हिस्से संरक्षण से बाहर हो सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर खनन की आशंका बढ़ गई है. इसकी को लेकर लोग आंदोलन पर उतर आए हैं और अरावली को बचाने की मुहिम छेड़ रखा है. लोगों के लिए अरावली की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj